संशोधित व्याख्यान : २१ सितम्बर, २०२१
ॐ
' परदेस : चुनौतियां एवं संभावनाएं ' जैसे भौगोलिक एवं सामाजिक विषय पर
विश्व के " सुपर पावर " अमेरिकी सन्दर्भ से मेरे विनम्र विचार प्रस्तुत हैं।
विश्व के " सुपर पावर " अमेरिकी सन्दर्भ से मेरे विनम्र विचार प्रस्तुत हैं।
पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध पर कनाडा और मेक्सिको के मध्य में अमेरिका भूखंड स्थित है।
प्रत्येक व्यक्ति विश्व के किस
देश में जन्म लेता है, किस समाज में निवास करता है और वयस्क होने पर वह व्यक्ति कौन से क्षेत्र मेम और क्या कार्य करता है, तदनुसार जीवन निर्वाह के आयाम निर्धारित होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति, अपने देश का महत्वपूर्ण नागरिक है। व्यक्ति, समाज एवं देश इन तीनों के संयोग से ही स्वस्थ समाज निर्माण कार्य संभव होता है। व्यक्ति कहीं भी
रहे, जीवन में चुनौतियां आएंगी और संभावनाएं भी उसी प्रकार जीवन के उत्तर चढ़ावों के संग संग अवश्य उपस्थित होती रहेंगीं।
भारतीयता ने हमें महामंत्र दिया ' वसुधैव कुटुंबकम '
भारतीयता ने हमें महामंत्र दिया ' वसुधैव कुटुंबकम '
" अयं निजः परो वेति गणना लघु चेतसाम् ।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम् बकम ॥ (महोपनिषद्, अध्याय ४, श्लोक ७१) "
- अर्थ - यह अपना बन्धु है और यह अपना बन्धु नहीं है, इस तरह की सोच छोटे चित्त वाले लोग करते हैं। उदार हृदय वाले लोगों के लिए, सम्पूर्ण धरती और विश्व एक परिवार है। यह मंत्र हमें सिखाता है कि, सम्पूर्ण विश्व, मनुष्य का बृहद परिवार है। इस समन्वयकारी, शांति व सौहार्दपूर्ण संदेश के विपरीत सदियों से, सत्ता व धरा के अधिग्रहण के लिए , विभिन्न कौमों में विभिन्न देशों की भूमि के अधिग्रहण के लिए खूंखार और खूनी लड़ाईयां लड़ीं गईं हैं। हम यह कदापि न भूलें कि जिस अन्न के बिना मनुष्य जीवित नहीं रहता, वह अन्न, धरती माता का प्रसाद है। वीरभोग्या वसुंधरा ' कृतज्ञता ' रूपी सद्गुण से ही हरी भरी रहती है। हमारे वन, वृक्ष एवं हरियाली, धरती माता की उर्वरता के सजग प्रहरी हैं।
अब भारत से अमेरिका आये भारतीय प्रवासी की परिसतिहिति से हम परिचित हो लें ~ अमेरिका आये भारतीय प्रवासी को अमेरिका में 'इमिग्रंट या फॉरेन बोर्न 'कहते हैं। मतलब वह व्यक्ति जिन्होंने अमेरिकी धरा पर जन्म नहीं लिया बल्कि जो परदेस से अमेरिका आये हैं और इस कारण वे ' इमिग्रंट ' हैं ।
भारत में उसी व्यक्ति को 'नॉन रेजिडेंट इंडियन या NRI ' कहते हैं। मतलब, वह भारतीय व्यक्ति, जो अब भारत में नहीं बल्कि परदेस का निवासी है।- सन् १९४६ - year - 1946 में पारित हुए ' Luce–Celler Act ' के बाद 100, सौ, भारतीय मूल के लोग प्रतिवर्ष, अमेरिका में स्थायी हो सकते हैं यह प्रावधान अमेरिकी सरकार द्वारा पारित किया गया था।
- सन २०२० की सरकारी जनगणना के आधार पर 4 . 8 मिलियन भारतीय मूल के अमेरिकी निवासी भारतीयों का विशाल आंकड़ा दर्ज हुआ है। इक्कीसवीं शताब्दी के आरम्भ में, आज अमेरिका के सभी ५२ प्रांतों में, भारतीय मूल के लोग बसे हुए हैं।
- भारतीय मूल के लोगों के स्थानांतरण पर जो रिसर्च हुई है उस के अनुसार,
प्रवासी भारतीय, तीन विशिष्ट लहरों में अमेरिका आये। - पहली लहर ~ सन् १९६५ ~ सबसे पहले, Immigration and Nationality Act के पास होने के बाद अमेरिका में स्थायी रूप से रहने आये वे भारतीय मूल के व्यक्ति, उच्च शिक्षा प्राप्त वर्ग से थे। जैसे वैज्ञानिक, डाक्टर और इंजीनियर इत्यादि ।
दूसरी लहर ~ सन १९८० : अब, स्थायी हुए भारतीय प्रवासी के रिश्तेदार, या उनके परिवार से संबंधित भारतीय प्रवासी अमेरिका आ कर बसने लगे थे। - तीसरी लहर ~ सन १९९० तक कंप्यूटर का आविष्कार हो चुका था। विश्व के समक्ष Y2K - समस्या उपस्थित हुई थी। उस वक्त एक आशंका थी कि, ३१ दिसंबर सन १९९९की रात्रि के १२ बजे के बाद, पूरी दुनिया के कंप्यूटर काम करना बंद कर देंगे। दुनिया भर के कमप्यूटर जिस प्रोग्राम पर काम कर रहे थे उसमें ३१ दिसंबर सं १९९९ के बाद की कोई तारीख थी ही नहीं ! लिहाजा कम्प्यूटर द्वारा इसको बदल पाना लगभग असंभव माना जा रहा था। इस समस्या से सबसे बड़ा नुकसान बैंकिंग, साइबर सिक्योरिटी को होने की आशंका जताई जा रही थी। इस वायटू के संकट को 'मिलियन बग 'भी कहा गया, क्योंकि दुनियाभर के कम्प्यूटर में तारीख को लेकर 'बग' या व्यवधान होने की आशंका थी। दुनियाभर की सरकारों ने इस समस्या से निपटने के लिए अरबों डॉलर खर्च किए। आई.ए.एस. इन्फोटेक ने इस समस्या के समाधान के लिए एक ब्ल्यू चिप सूची तैयार की। दुनिया की अधिकतर कंपनियों ने इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए भारत की सॉफ्टवेयर कंपनियों की मदद ली थी और समस्या से छुटकारा दिलाकर भारतीय विशेषज्ञों ने दुनिया की एक विकट समस्या को सुलझाया । उस अर्से में 100,000 हंड्रेड थाउजेंड =१ लाख computer specialists, अमेरिका H-1B visa program के अंतर्गत अमरीका आये। वे अपने 'स्किल' माने कौशल के कारण अमरीका आये। अपने विषय में निष्णात, इन पढ़े लिखे भारतीयों को, अन्य देशों से, अमेरिका आये, इमिग्रैंट के तौर पर, जो आये हुए थे, वे अधिकाँश भारतीय कुशल आगंतुकों के मुकाबले में, कम शिक्षित या उच्च शिक्षा विहीन थे। अपने कंप्यूटर क्षेत्र कौशल के कारण, अन्य देशों से आये आगंतुकों के मुकाबले, भारतीय इमिग्रैंट को अधिक सफलता मिली। कहते हैं व्यक्ति सफलता की सीढ़ियां, धीरे धीरे, एक एक पग ऊपर बढ़ाते हुए, सीढ़ियां चढ़ते हुए, वे ऊपर सफलता के शिखर की ओर आहिस्ता आहिस्ता, ऊंचे उठते हैं। किन्तु उच्च शिक्षित भारतीय प्रवासी, अपने विषय में निपुण थे। वे, सीढ़ियां नहीं चढ़े बल्कि वे तेज गति से सफलता के शिखर की तरफ बढे और सफलता के शिखर पर जा पहुंचे !
प्रश्न : ' ग्रीन - कार्ड ' क्या है ? या lawful permanent residence (LPR status =is also known as getting a green card)
उत्तर
: जब भारतीय व्यक्ति कुछ समय के लिए अमेरिका में स्थायी रूप से रहने लगता
है तब अमेरिकी प्रशासन द्वारा उन्हें जिस कार्यक्षेत्र में वे कार्यरत हैं उस जॉब के जरिए व्यक्ति को
' ग्रीन - कार्ड ' दिया जाता है जिस के कारण उस व्यक्ति को अमेरिका में निवास करने की सुविधा प्राप्त हो जाती है।
भारतीय
मूल के लोग या तो विद्यार्थी के रूप में अमेरिका आते हैं या उनकी
शिक्षा पर आधारित कार्यक्षेत्र में कार्यकर्ता के रूप में उनका अमेरिका आगमन संभव होता है।
यदि आप विद्यार्थी हैं, तब सबसे पहले आप सावधानी पूर्वक अपने पासपोर्ट तैयार करें। अमेरिका के किस विद्यालय में आप पढ़ाई करना चाहते हैं, उस का निर्णय लें व उक्त विद्यालय द्वारा आप के बारे में वे कौन से प्रश्न पूछते हैं उन विषयों की जानकारियां एकत्रित करें तथा उन के द्वारा पूछे गए, आप से सम्बंधित किन विषयों के बारे में यह प्रश्न हैं, उनके उत्तर एकत्रित करें। विविध जानकारी एकत्रित कर लें।उस के बाद ही, आप आगे बढ़ें। सुविधा के लिए निम्न लिंक प्रस्तुत है ~ लिंक ~
यदि आप विद्यार्थी हैं, तब सबसे पहले आप सावधानी पूर्वक अपने पासपोर्ट तैयार करें। अमेरिका के किस विद्यालय में आप पढ़ाई करना चाहते हैं, उस का निर्णय लें व उक्त विद्यालय द्वारा आप के बारे में वे कौन से प्रश्न पूछते हैं उन विषयों की जानकारियां एकत्रित करें तथा उन के द्वारा पूछे गए, आप से सम्बंधित किन विषयों के बारे में यह प्रश्न हैं, उनके उत्तर एकत्रित करें। विविध जानकारी एकत्रित कर लें।उस के बाद ही, आप आगे बढ़ें। सुविधा के लिए निम्न लिंक प्रस्तुत है ~ लिंक ~
- अमेरिकी सरकारी नीतियों में प्रत्येक चुनाव परिणामों के बाद जो सत्तारूढ़ दल होते हैं उनकी विचारधारा के अनुरूप, सामाजिक एवं न्यायिक क्षेत्रों में बदलाव आते हैं।अमेरिका विविध क्षेत्रों में रिसर्च और नवीन आविष्कारों पर अत्यधिक खर्च करता है।
- उन कार्यक्षेत्रों में, तथा स्वास्थ्य से जुडी व अन्य उपचार सेवा जैसे क्षेत्रों में हमेशा काम मिलता रहता है तथा आगे के समय में, भविष्य में भी मिलता ही रहेगा। इसी कारण,
' हेल्थ एन्ड ह्यूमन सर्विसेज़ ' इन 'जॉब सेक्टर को ' रिसेशन प्रूफ वर्क सेक्टर ' कहा जाता है मतलब इन कार्यक्षेत्रों में आगामी लम्बे समय तक कार्यकर्ताओं की मांग बानी रहेगी और इन में unemployment या मंदी नहीं आएगी । ऐसा वित्त वाणिज्य प्रबंधन निष्णात की धारणा हैं। - विषय : Dignity of Labor :अमेरिका
में किसी भी क्षेत्र में कार्यरत सभी कार्यकर्ता को, सम्मान भरी दृष्टि
से देखा जाता है। प्रश्न : " हाई -पे - स्केल की संभावना " किस क्षेत्र में है ?
उत्तर : यदि आप डॉक्टर, इंजीनियर, नर्सिंग या आईटी जैसे कार्य क्षेत्रों से जुड़े हों तब उच्च वेतन स्तर की संभावना रहती है। - अमेरिका या परदेस आये उच्च शिक्षित व्यक्ति के स्वदेश माने भारतवर्ष को छोड़ देने पर, भारत की क्षति हुई हो ऐसा महसूस होता है। इस प्रक्रिया को ' ब्रेन - ड्रेन ' कहते हैं।
- किन्तु, कई अमेरिका में निवास कर रहे भारतीय मूल के लोगों को, भारत वर्ष के लिए डॉलरों से सहायता भेजने के उदाहरण भी अक्सर चर्चित हुए हैं। जब अमरीका डॉलर कमानेवाले इमिग्रैंट भारतीय , भारत देश को अपने कमाई से धन - राशि भेज देते हैं तब इसे "रेमिटेंस " कहते हैं। वर्ल्ड बैंक द्वारा की रिसर्च के अनुसार, विविध बैंक कार्य प्रणाली द्वारा, पिछले एकाध वर्ष में - $83.1 billion डॉलर की धनराशि भारत पहुँची है।कई बार इन्हीं इमिग्रैंट व्यक्ति द्वारा महत्वपूर्ण तकनीकी सहायता भारत वर्ष को उपलब्ध हुई है। जब ऐसा होता है तब इसे ' ब्रेन - गेन ' या ' ब्रेन - सर्कुलेशन ' कहते हैं तथा इस पद्धति का थाईलैंड जैसे देश ने सफल प्रयोग किया है।
- अमेरिकी आज विश्व का सिरमौर देश है। विविध प्रकार के छोटे मोटे, कामकाज आज भी आम जनता के लिए उपलब्ध हैं।
भारत से आये कई व्यक्ति जो अधिक पढ़े लिखे न थे, उन्होंने होटल और मोटेल बिज़नेस में जिस कुशलता से जीवन निर्वाह के रास्ते अपनाये वे 'अमेरिकी सक्सेस स्टोरी ' के उदाहरण हैं । वैसे ही ' गैस - स्टेशन ' के साथ लगे ' कन्वीनियंस स्टोर ' जैसे - ९ - ११ जैसे स्टोर, इसे भी कई भारतीय कर्म वीरों ने अपना 'अमेरिकी ड्रीम ' बना कर, जीवन में, अपने लिए , अपने परिवार के लिए सफलता प्राप्ति का स्वप्न साकार किया है। उनके जीवन में जो चुनौतियां आईं, उन्हें इन वीर एवं कर्मठ भारत पुत्रों ने, 'संभावना ' में बदल दिया और सफलता प्राप्ति हासिल की है। - आज के अमेरिका में रोज के जीवन की ऐसी स्थिति है कि अमेरिकी भूखंड के सभी प्रांतों में भारतीयों को रोज के खानपान के विपुल साधन सुलभ हैं व सर्वत्र उपलब्ध हैं।
- संयुक्त गणराज्य अमेरिका, व्यक्ति स्वातंत्र्य का प्रबल हिमायती है। किन्तु अमेरिकी जीवन शैली ' एंग्लो सेक्सन ' माने ख्रिस्ती धर्म की आधारशिला पर पनप कर, आबाद हुई और टिकी हुई है। अतः उसी धर्म का सम्पूर्ण अमरीका में वर्चस्व- सा है। यह बात भी यहां रहनेवाले के लिए शीघ्र ही, सुस्पष्ट हो जाती है। वैसे अमेरिका में धार्मिक स्वतंत्रता तो है किन्तु यहाँ अमेरिका का अपना 'कल्चर' है, सामाजिक रहन सहन है जो सर्वत्र दिखलाई पड़ता है।
- भारतीय मूल के लोग, अपने धार्मिक एवं पारिवारिक उत्सव एवं त्योहारों को भारतीय जन, निजी तौर , अपने परिवार एवं मित्रों के संग मिलजुल करमनाते हैं।
जीवन यापन की आपाधापी में, भारत माता के बालक, दुनिया के सात समंदर पार कर के, विभिन्न प्रदेशों में जा बसे हैँ ! परन्तु भारतीय जन जहां कहीं भी रहते हों वे, अपने त्योहारों को मनाते समय, अपनी जननी जन्मभूमि - भारत भूमि से सीधा संबंध स्थापित कर लेते हैँ। कई प्रमुख अमेरिकी शहरों में भारतीयों ने अनेक दर्शनीय मंदिर, व कम्युनिटी सेंटर बनाये गए हैं। यहां विशेष त्यौहार, उत्सव मनाये जाते हैं कई विशिष्ट सेवाएं भी उपलब्ध हैं - जैसे वृद्ध भारतीयों के लिए स्वास्थ्य या मनोरंजन से जुडी गतिविधियां।
- अमेरिकी राष्ट्र व समाज व प्रजा - राष्ट्रीय स्तर पर, १० विशिष्ट दिवसों को छुट्टी मनाते हैं।