Friday, December 28, 2012

' नारी ' होने की सजा

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वेदना की सीमाओं से परे 

एक दबी चीख सुनी क्या 

' निर्भया ' खामोश है अब 

क्या कहे ? कह चुकी सब 

यातनाओं से परे जो भी सहा 

मौत से आँख मिलाये पड़ी 


Sophie Lancaster


' नारी ' होने की सजा 

मौत से भी बदतर है 

शब्द नहीं संभव जहां 

उस घोर यन्त्रणा से परे 

निर्भया अभया रहेगी 

निर्भ रा , अब सो रहेगी 

यांत्रिकी उपचार सारे 

चलते रहेंगें जब तक 

सांस आतीं जातीं रहेंगीं 

हर प्रार्थना में तुम रहोगी 

हर दुआ तुम तक चलेगी 

हे भारत की बिटिया 

हम सब तुम्हारे संग दोषी 

न बदला समाज अगर 

न किसी की बहन बेटी 

सुरक्षित जीवन जियेगी 

- लावण्या

दिल्ली में सामूहिक बलात्कार का शिकार हुई लड़की ज़िंदगी की जंग हार गई है. हालत बिगड़ने के बाद उसे गुरुवार को सिंगापुर भर्ती कराया गया था जहाँ अब से कुछ देर पहले डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2012/12/121228_rape_victim_health_va.shtml

Thursday, December 6, 2012


हे माँ ! दे मुझे वरदान ..

घना जो अन्धकार हो तो हो  रहे, हो रहे 
तिमिराच्छादित हो निशा भले हम वे सहें  
चंद्रमा अमा का लुप्त हो आकाश से तो क्या 
हूँ चिर पुरातन, नित नया रहस्यमय बिंदु मैं 
हूँ मानव ! ईश्वर का सृजन अग्नि शस्य हूँ मैं! 

काट तिमिर क्रोड़ फोड़ तज  कठिन कारा , 
नव सृजन निर्मित करूं निज कर से पुनः मैं !
हैं बल भुजाओं में  वर शाश्वत शक्ति पीठ का  
हे माँ ! दे मुझे वरदान ऐसा हूँ शिशु अबोध तेरा  
कन्दराएँ फोड़ निर्झर सा बहूँ  ऐसा वरदान दे !

चन्द्र सूर्य तारक समूह सृष्टि के कण कण पर 
तेरा है सहज अधिकार सर्वत्र हे माँ स्वयं प्रभा 
ब्रह्मांड की सृजन दात्री हैं मेरी माँ अंबे भवानी 
तुझ से ही प्रलय या नव विहान होते साकार ! 
हर सर्जन विसर्जन तेरी भृकुटी का हैं विलास I 

अमावस्या की कालिमा खंडित ये तेरी कृपा  
दीपकों से जगमगा उठे घनी अंधियारी निशा 
धर परम शुभ मंगल स्वरूप महालक्ष्मी प्रकाशित 
आतीं हर घर कृपा का अमृत रस बिखरातीं! 

श्री राम, बुध्ध, महावीर नानक देव ऋषि गण 
तेरी कृपा याचते दीप पर्व उत्सव सभी मानते   

हो शुभ मंगल सदा सुख धरती के जन जन पर 
हों शान्ति पूर्ण अस्तित्त्व ये कर बध्ध अंजलि 
लिए माँ , हम  शुभ आशिष तुझ से मांगते हैं !

- लावण्या दीपक शाह 
2012 ओहायो , यु। एस ए I