इंग्लैंड की राज परम्परा और साम्राज्ञी एलिजाबेथ
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विश्व - इतिहास , मौन साक्षी बनकर देख रहा था जब सन १९५३ के २ जून का दिन इंग्लैंड के लिए बहुत बड़े बदलाव को लेकर उपस्थित हुआ । इसी ऐतिहासिक दिन , राजकुमारी एलिजाबेथ को, इंग्लैंड की महारानी घोषित कर दिया गया था।
इस महत्त्वपूर्ण घटना के पहले सन १९४७ में भारत आज़ाद गणतंत्र बनकर अपना स्वराज्य प्राप्त कर चुका था और महात्मा गांधी की नाथूराम गोडसे द्वारा , दारुण ह्त्या कर देने के पश्चात, स्वतन्त्र भारत में, पुन: स्थिति सामान्य होने लगी थी।
ग्रेट ब्रिटन को यूनाईटेड कीन्गडम भी कहते हैं और स्कोत्लैंड, वेल्स एवं इंग्लैंड इन तीनों के भूभाग का संयुक्त भूभाग यु. के. कहलाता है और यह यूरोप भू खंड के उत्तर - पश्चिम भाग में नोर्थ - सी समुद्र से उत्तर दिशा में एवं दक्षिण में ईंगलीश चैनल के जल से घिरा हुआ प्राकृतिक द्वीप खंड है और घनी जन संख्या को स्थान देता १ सशक्त मुल्क है ।
इंग्लैंड की राजधानी एवं प्रमुख शहर लंदन है । स्कोत्लैंड का प्रमुख शहर एडीनबर्ग है तो वेल्स का मुख्य शहर कार्डीफ है ।१ जनवरी सन १८०१ की तारीख आते आते आयरर्लैंड के कुछ हिस्से भी यु. के . में शामिल हुए । अब सन १९२७ में यह युनाटेड किंगडम ग्रेट ब्रिटेन और नोर्धंन आयर लैंड का सयुक्त राष्ट्र संघ बना । इस देश ने विश्व के लगभग सभी भू - भागों पर शासन किया है और आज का सुपर पावर उत्तर अमरीका कि जिसकी १३ कोलोनी या प्रांत भी ब्रिटीश सता के हाथ में थी । भारत पर भी ग्रेट - ब्रिटेन का साज था । सन १७४० से १७५० के बीच भारत में , फ्रांस की कम्पनी ईस्ट इंडीया कम्पनी फ्रांस और ईस्ट इंडीया कम्पनी ग्रेट ब्रिटेन के बीच भारत पर हुकुमत जमाने की कड़ी स्पर्धा जारी रही । रोबर्ट क्लाईव ने फ्रांस की सेना को प्लासी की और बक्सर की लड़ाई में हरा कर बंगाल में अपना डेरा जमा दिया । पृथ्वी के सुदूर क्षेत्र ऑस्ट्रेलिया भूखंड के पूर्वी छोर को केप्टन कूक ने , सन १७७० में खोज निकाला और १७८७ में ब्रिटेन ने इसे , उम्र कैद की सजा पाए कैदियों के लिए चुना और कैदीयों को ऑस्ट्रेलिया भेज दिया गया । सन १७०७ में स्थापित हुई ग्रेट ब्रिटेन की पार्लियामेंट राज्य सभा या हाऊस ऑफ़ लोर्ड और लोक सभा माने हाउस ऑफ़ कोमंस से बनती है जहां कयी सभ्य या तो मनोनीत पदों पर आसीन हैं या चुनाव लड़ कर सभ्यता प्राप्त करते हैं ।
ये ग्रेट ब्रिटेन का राष्ट्रीय ध्वज है ।
लन्दन शहर हरा भरा है . ये एक अतिविशाल और वैभवशाली एवं समृध्ध नगरी है । जहां एतिहासिक , सांस्कृतिक व कला के साथ साथ ,कई तरह के उद्योग और व्यापार की कई बड़ी बड़ी इमारतें हैं । एक सैलानी के लिए, लन्दन शहर का प्रथम दर्शन , काफी रोमांचकारी अनुभव दे जाता है और उस अनुभव पर आप , कई सारे आध्याय लिख सकते हैं ।
ब्रिटीश किंगडम , U.K. = इंग्लैंड , वेल्स और स्कोत्लैंड और उत्तर आयरलैंड की मिलीजुली संयुक्त भूमि का हिस्सा है जिसे ११ वीं सदी के बाद , राज परिवार के द्वारा शासित किया जाता रहा है । अब साथ साथ पार्लियामेंट भी जनता के ऊपर है और प्रधानमंत्री भी हैं । परन्तु ग्रेट ब्रिटेन के राज परिवार का दबदबा और शानो शौकत आज भी वहां पर कयी सदीयों से उसी दबदबे के साथ कायम है । वहीं से चली एक व्यापारी सत्ता , ईस्ट इंडीया कंपनी ने, भारत में प्रवेश किया था और मुग़ल सल्तनत के बाद भारत भूमि पर, अपना वर्चस्व स्थापित किया था ये भी भारत एवं ग्रेट ब्रिटेन का मिला जुला इतिहास है ।
भारत और ग्रेट ब्रिटन इतिहास के पन्नों पर इस प्रकार, एक साथ जुड़ गये थे ।
महारानी विक्टोरिया के आदेश पर , अंग्रेजों द्वारा चलायी जा रही सरकार - ईस्ट इंडीया कंपनी के हाथों से निकाल कर , महारानी ने स्वयम अपने हाथों में भारत की बागडोर लेकर , भारत की साम्राज्ञी बनने का ऐलान किया । वह एतिहासिक तारीख थी १ जनवरी सन १८७७ ! भारत का शासन ग्रेट ब्रेटन की नजर में ' मस्तिष्क मुकुट का सबसे चमकेला मणि ' या अंगरेजी में कहें तो , ' ज्वेल इन ध क्राउन ' सा था । उस वक्त , भारत भूमि पर भी कयी छोटे - बड़े राज परिवार, अपनी स्वतंत्र सता लिए , अपने राज सिंहासनों पर आसीन थे । ट्रावन्कोर राज्य के महाराज ने महारानी विक्टोरिया के लिए, भव्य हाथीदांत से बना हुआ सिंहासन भेंट किया था ।उसी पर महारानी विक्टोरिया विराजमान हुईं थीं भारत की महारानी विक्टोरिया ने अपने सेवक अब्दुल करीम से हिन्दुस्तानी सीखने का प्रयास भी किया था । प्रस्तुत हैं महारानी के संग्रह से प्राप्त कुछ दुर्लभ चित्र :अब्दुल करीमग्रेट ब्रिटन की आधुनिक काल में सता रूढ़ महारानी ऐलिज़ाबेथ का विवाह राज कुमार फीलीप्स के संग सन १९४७ में हुआ था तब महात्मा गांधी ने अपने हाथों से बुनी हुई खादी के तागों से गुंथी एक अनमोल शोल , जिसके मध्य में कढाई से लिखा हुआ था ' जय - हिंद ' यह गांधी जी के आदेशानुसार बनवा कर , उन्हें विवाह की भेंट स्वरूप उपहार में भेजी थी देखिये चित्र :
ज़नम स्थान: १७ ब्रुटोन स्ट्रीट, मे फेर, लँडन यु.क़े.( युनाइटेड किँगडम)
पिता:प्रिँस आल्बर्ट जो बाद मेँ जोर्ज ४ बनकर महारज पद पर आसीन हुए.
माता:एलिजाबेथ -बोज़ लियोन ( डचेस ओफ योर्क - बाद मेँ राजामाता बनीँ )घर मेँ प्यार का नाम: "लिलीबट "शिक्षा : उनके महल मेँ ही -इतिहास के शिक्षक: सी. एह. के मार्टेन - वे इटन कोलेज के प्रवक्ता थेधार्मिक शिक्षा : आर्चबीशप ओफ केन्टरबरी से पायीबडे ताऊ : राजा ऐडवर्ड अष्टम ने जब एक सामान्य अमरीकी नागरिक एक विधवा, वोलीस सिम्प्सन से प्रेम विवाह कर लिया तब एडवर्ड अष्टम को इंग्लैण्ड का राजपाट छोडना पडा था तब , ऐलिज़ाबेथ के पिता सत्तारुढ हुए - १३ वर्ष की उम्र मेँ , द्वीतीय विश्व युध्ध के समय मेँ , बी.बी.सी. रेडियो कार्यक्रम " १ घँटा बच्चोँ का" मेँ अन्य बच्चोँ को अपने प्रसारित कार्यक्रम से एलिजाबेथ ने हीम्मत बँधाई थी बर्कशायर, वीँडज़र महल मेँ, युध्ध के दौरान निवास किया था
जहाँ भावि पति , राजमुमार फीलिप से उनकी मुलाकात हुई । जो इस मुलाक़ात के बाद , नौसेना सेवा के लिये गए और राजकुमारी उन्हेँ पत्र लिखतीँ रहीँ क्यूँकि उन्हेँ राजकुमार से, प्रेम हो गया था ।सन १९४५ मेँ, नंबर २३०८७३ का सैनिक क्रमांक उन्हें मिला था। सन १९४७ मे पिता के साथ दक्षिण अफ्रीका, केप टाउन शहर की यात्रा की और देश भक्ति जताते हुए रेडियो प्रसारण किया २० नवम्बर, १९४७ मेँ ड्यूक ओफ ऐडीनबोरो, जिनका पूरा नाम है कुँवर फीलिप ( डेनमार्क व ग्रीस के ) , इस राजकुंवर से भव्य विवाह समारोह में , नाता स्थापित हुआ ।
१९४८ मेँ प्रथम सँतान, पुत्र चार्ल्स का जन्म- १९५० मेँ कुमारी ऐन का जन्म -
१९६० मेँ कुमार ऐन्ड्रु जन्मे -१९६४ मेँ कुमार ऐडवर्ड चौथी और अँतिम सँतान का जन्म हुआ१९५१ तक "माल्टा " मेँ भी रहीँ जहाँ फीलिप सेना मेँ कार्यरत थे ।६ फरवरी,१९५२ वे आफ्रीका के केन्या शहर पहुँचे जहाँ के ट्रीटोप होटेल "ठीका" में वे , नैरोबी शहर से २ घंटे की दूरी पर थे वहाँ उन्हेँ बतलाया गया कि उनके पिता की ( नीँद मेँ ) रात्रि को मृत्यु हो गई है सो, जो राजकुमारी पेडोँ पर बसे होटल पर चढीँ थीँ वे रानी बनकर उतरीँ !!राज्याभिषेक का अतिशय भव्य समारोह २ जून १९५२ को वेस्ट मीनीस्टर ऐबी मेँ सम्पन्न हुआजब वे धार्मिक रीति रिवाज से ब्रिटन की महारानी के पद पर आसीन हुईं ।
विश्व का सबसे बड़ा हीरा " कुलियन " है जो ५३० केरेट वजन का है और महारानी एलिजाबेथ के स्केप्टर में लगा हुआ है और भारत से इंग्लैंड पहुंचा कोहीनूर हीरा विश्व का सबसे विशाल हीरा है जिसे एलिजाबेथ की माता ने अपने मुकुट में जड्वाकर पहना था ।कोहीनूर की चमक दमक आज भी वैसी ही बकरार है जैसी सदियों पहले थी ।सन २०१२ , का जून माह है और इंग्लैंड के राज सिंहासन पर महारानी एलिजाबेथ आज भी शान से विराजमान हैं । ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय नेमहारानी के पद पर रहते हुए 6 फरवरी 2012 को 60 वर्ष पूरे किए हैं ।
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की ताजपोशी के हीरक जयंती समारोह के अवसर पर कराए गए एक जनमत सर्वेक्षण में उन्हें देश की महानतम रानी चुना गया है। इस मामले में उन्होंने महारानी विक्टोरिया को भी पीछे छोड़ दिया।
परंतु आज उनका परिवार कई बदलावों से गुजर चुका है और ना सिर्फ इंग्लैंड में बल्कि संसार भर में अब कई नयी प्रमुख व्यक्तियों के नाम मशहूर हो चुके हैं जैसे बील गेट्स ! जो आज संसार के सबसे धनवान व्यक्ति कहलाते हैं !संसार चक्र , अपने नये दौर से गुजर रहा है । भारत में आज अम्बानी परिवार के वैभव के किस्से सुर्ख़ियों में हैं और विश्व के कयी पहले समृध्ध खे जानेवाले देशों में जैसे ग्रीस आज आर्थिक मंदी के बादल मंडराने लगे हैं । भविष्य के भारत के उत्थान के लिए एवं विश्व के हरेक दलित व गरीब इंसान के लिए सद्भावनाएं लेकर आओ कहें ....जयहिंद !!- लावण्या दीपक शाह
Lavnis@gmail.com
- लावण्या
3 comments:
रोचक, २०० वर्षों के भारतीय धन का निवेश हैं वहाँ, अपने पैसे की चमक का सुख तो लेना बनता है।
प्रस्ताव अच्छा लगा.
सामयिक जानकारी के लिये आभार लावण्या जी।
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