Monday, May 21, 2012

ब्लोगिंग / कुछ हिंदी महिला ब्लॉगर्स Q. & A.

    विकास ज़ुत्शी भारतीय जन संचार संस्थान -- 9871485270

2010/3/14 Vikas Zutshi <vikaszutshisn@rediffmail.com>
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one more thing,

क्या आप अपने विदेश में रहने के अनुभव को ब्लॉगिंग के साथ जो़ड़ सकती हैं ?
और ये सभी सवाल मेरे एक assingment का हिस्सा है । जो मैंने चुना था ।विषय है हिंदीं ब्लॉगिंग और महिलाएँ ।
(as iam doing post graduation in hindi journalism.)

भाई श्री विकास ज़ुत्शी जी ने प्रश्न पूछे थे उनके उत्तर व संदर्भ :
विकास जी , नमस्ते
मेरे विदेश में रहने के कारण ही मेरा, ( एक तरीके से देखा जाए तो ) " हिन्दी - ब्लोगिंग " की ओर रुझान हुआ भारत से दूर रहते हुए भी, न सिर्फ भारत से ब्लोगींग करनेवाले व्यक्तियों के अनुभव, उनके परिवेश व जिस शहर, कसबे या ग्राम में वे आबाद हैं वहां की सच्ची और खरी बातें जान पाने का ब्लॉग -- एकदम बढ़िया विकल्प है ... बनिस्बत , समाचार पत्र व मीडीया के ! ये सत्य मैं जान पायी हूँ और ऐसा मेरा निष्कर्ष एक लम्बे अनुभव के बाद हुआ है उसीने मुझे प्रेरित किया - के मैं भी ब्लॉग लेखन करूं हिन्दी ब्लॉग जगत से जुड़ने का विचार, वहीं से आया .. हिन्दी से जुड़े रहना भी इसी का अंश है . अपने लोगों से जुड़े रहना, अपनी मूल प्रकृति के समीप रहना ये ब्लॉग दुनिया से जुड़ कर ही संभव हो पाया है.
मेरी अपनी बात कहूं तो, मैंने , मुम्बई जैसे महानगर में जन्म लिया और वहीं पर मेरे जीवन का एक दीर्घ कालखंड बिता है . भारत के ग्राम्य जीवन की एक छवि मन में बसी हुई है पर ग्राम्य जीवन को, न ही करीब से कभी देखने का अवसर ही आया और नाही कोइ ग्राम्य जीवन से जुडा अनुभव ही हुआ ! हिन्दी ब्लोगर्स , जो कई सारे भारत के विभिन्न ग्राम प्रांत के बारे में लिखते हैं वो मुझे , मानो , मेरे सामने , एक नयी खिड़की खोलते से नज़र आते हैं ! जब् भी मैं, दक्षिण भारत के प्राचीन और भव्य मंदिरों के बारे में पढ़ती हूँ , ( जिन्हें न जाने कब देखूंगी ) तब, मन में एक उल्लास उभरता है और असीम प्रसन्नता होती है उनके बारे में यात्रा विवरण पढ़कर परदेस में बैठे हुए मैं तीर्थ यात्रा कर लेती हूँ मुझे ऐसा महसूस होता है ! दूसरी ओर , छतीसगढ़ के कई गाँवों में आदीवासी जन के कष्टों के बारे में पढ़कर बहोत दुःख होता है और सोचती हूँ, सरकार या समाज कोइ , मदद क्यूं नहीं करता ? ऐसा क्यूं है ? :-( कुछ संस्थाएं हैं पर बदलाव यों नहीं दीखलाई देते ? क्या कारण है जो पिछड़े और दुर्बल तबक्के में पिस रहे लोगों को आज भी इतने कष्ट हैं ? और ये दुखद और कठोर सत्य से ब्लॉग के जरिए ही साक्षात्कार हुआ है . ब्लॉग व्यक्ति की अपनी आवाज़ है , देशकाल से परे , किसी भी दबाव के बिना , हर ब्लोगर, अपने दिल की हर बात, दुनिया के कोने कोने तक पहुंचा सकता है - व्यक्ति स्वातंत्र्य का यह एक उत्तम साधन है - ऐसे ही , कारणों से ब्लॉग की विस्तृत होती दुनिया से मुझे , लगाव हुआ और अपनी बात कहने का, दूसरों की प्रतिक्रया जानने का अवसर भी इसी से मिला - अब आपके प्रश्नों के उत्तर दे रही हूँ !
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Q. ब्लॉग बनाने का विचार क्यों और कैसे आया ? और अबतक के अपने अनुभव पर क्या कहेंगी ?
A. ' एक दिन , गुगल की ब्लॉग सेवा के बारे में पढ़ते हुए, सारे निर्देश , पढ़ कर ब्लॉग बनाते हुए, मैंने अपना प्रथम ब्लॉग " अंतर्मन " बना लिया था - उसे , अंग्रेज़ी में लिखना आरम्भ किया - उन शुरुआती दिनों में , मैं, ब्लॉग - लेखन कला , सीख ही रही थी देखिये -- ये थी मेरी प्रथम प्रविष्टी ---

TUESDAY, SEPTEMBER 19, 2006

antarman .......from : लावण्या

My Photo
LAVANYA SHAH

In the Infinite space & Time...I'm but a petal of a flower, a drop in the Ocean. SONGS are those ANGEL's sound that Unite US with the Divine.

कई चित्र मूलतः मेरे नहीं है, मुझे इस के मूल चित्रकार के बारे में ज्ञात नहीं है, यदि आप इसके मूल चित्रकार हैं तो अपने बारे में बताएं, मैं स्त्रोत के रुप में आपका उल्लेख कर दूँगी यदि आपको इस लेख के प्रकाशन पर आपत्ति है तो कृपया प्रमाण सहित बताइए मैं इस को हटा दूँगी

(Rest of my Text + all material is copy righted under USA laws )

VIEW MY COMPLETE PROFILE


Hello World,
Feels good to be somewhere in between the world of dreams and reality which is the Cyber space !
Democracy, individualism , a passion for achievements of the finest that is within us is self evident within the diapheonous spheres of existance here like a surrelists dream . The WWW is alive with billion human thoughts and mine is a petal of a flower , a drop within the infinite Ocean of TIME ! So, here I'm , leaving my foot print on the sands of time........for all Eternity !

POSTED BY लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` AT 8:52 PM

फिर, ये पता लगा के इसी नाम का और कोइ ब्लॉग है ! तब मैंने " लावण्यम ~ अंतर्मन " के संशोधित नाम से अपना दूसरा , नया ब्लॉग आरम्भ किया और वहां पर , हिन्दी में लिखना जारी रखा - " लावण्यम्` ~अन्तर्मन्`" मेरी, आपकी, अन्य की बात और जी हां , ब्लॉग सम्बंधित - मेरे सारे अनुभव बढ़िया रहे हैं -- http://www.lavanyashah.com/
Q. बात अगर हिंदी महिला ब्लॉगिंग की करें तो ये देखा जाता है कि अधिकतर महिलाएँ सिर्फ़ साहित्य लेखन को ही अपना विषय चुनती हैं (कविताएँ आदि) , वहाँ वेराइटी की कमी देखी जाती है, ऐसा क्यों?
A. आशा है आप आपके संशोधन विषय को लेकर, मेरे दोनों ब्लोग्स , पढने का कष्ट उठायेंगें :)
तब आप की ये शिकायत कमसकम , मेरे बारे में तो नहीं रहेगी . ये विश्वास है . मैं, कई विषयों पर लिखती रही हूँ -- उदाहरणार्थ : - यात्रा, समाज, धर्म, मॉडर्न कहानी, ज़िँदगी ख्वाब है ...!!
चेप्टर ~ १ से लेकर ...ज़िँदगी ख्वाब है..चेप्टर -- - १० -- कथा का - अँत..



( जिसमे परदेस में बसे भारतीय की छवि है ) अनुभव हैं
कई मुद्दों पर मैंने , यहां उत्तर अमरीका को करीब से देखने के बाद , जितना मैं समझी हूँ , उस के आधार पर लिखा है -- जैसे ये प्रविष्टियाँ देखिएगा . यहां सिर्फ ३ उदाहरण के तौर पर दे रही हूँ . ( समय मिले तब दूसरी कई सारी प्रविष्टी भी अवश्य जांचियेगा ) और भी कई महिलाएं , कई विविध विषयों पे लिखतीं हैं ....
उनपर भी रीसर्च हो ! ...
ये देखिये विवेक जी,
१ )
५* तापमान कैसा होगा ? देखना चाहेंगें ?

२ ) बफेलो ट्रेस :

३ )
पेरेडोक्स (paradox) है अमरीका..

Q. क्या ब्लॉग सामाजिक चेतना, जागरुकता फैलाने में सहायक हो पा रहा है ?
A. हां . लोग दूर देस में रहने वाले दूर बसनेवाले लोगों के दुःख दर्द, उनके सपने, उनकी आशाएं , निराशाएं
उनकी सच्चाई और जीवन के यथार्थ से परिचित होकर ये समझ पाते हैं के वहां भी लोगों को कई सारी विषमताओं से संघर्ष करना पड़ रहा है . इस तरह एक अपनापन , ब्लॉग से उपज रहा है - ब्लोगर्स, आपस में मिलते भी हैं और कई नये दोस्त भी बने हैं . ये सारा एक सफलता का द्रश्य ही तो है ! चेतना तो फ़ैली है ..जब् चेतना रूपांतरित होकर ठोस कर्म बनेगी तब , सामाजिक सफलताएं भी सामने आ पाएंगीं . भला बुरा , हर समाज में और हर व्यक्ति के अन्दर विद्यमान है आप कौन स मार्ग चुन कर आगे बढ़ते हैं वह सर्वथा , आप पे निर्भर है .
Q. इंटरनेट पर आज फ़ेसबुक,ट्विटर और अब बज़ के आने से ब्लॉग अपनी उपयोगिता कब तक बनाए रख पाएगा ?
A. सभी कम्युनीकेशन के विभिन्न औजार हैं .
इन सभी की उपयोगिता , व्यक्ति की मौलिक , पसंद से निर्धारित होगी . रेडियो, टीवी, सिनेमा, फ़ेसबुक,ट्विट, बज़ सभी जारी रहेंगें और लोगों को जोड़ने का काम करेंगें आगे भी और नयी खोज होंगीं . नये तरीके ईजाद होंगें .
Q. अबतक के महिला ब्लॉगर्स के सफ़र को देखकर क्या कहेंगी ?
A. बढ़िया !! शानदार !!
Q. अन्य स्थानों की तरह यहाँ भी ( हिंदी ब्लॉग पर) पुरुषों की संख्या, महिलाओं से काफ़ी अधिक है . जबकी अंग्रेज़ी ब्लॉग इससे बेहतर तस्वीर पेश करता है ,इसके पीछे क्या कारण मानती हैं ?
A. अजी , महिलाओं को घर, परिवार, चूल्हा , चौका , बच्चों की परवरिश , नौकरी , सामाजिक पर्व , उत्सव , अनुष्ठान जैसे अनगिनत कार्य करने होते हैं . हिन्दी ब्लोगिंग इस मायने में समाज का दर्पण है . अंग्रेजींदा महिला ब्लोगर्स अगर ज्यादा हैं ये भी खुशी की बात है . आशा करती हूँ के हिन्दी महिला ब्लोगर्स भी अपनी उपस्थिति, भविष्य में, ज्यादह संख्या में दर्ज करवायेंगी .
Q. ऐसे कुछ हिंदी महिला ब्लॉगर्स के नाम बता सकती हैं ,जो साहित्य लेखन से इतर भी लिखतीं हों ?
:) लगता है आपका रीसर्च पेपर, मैं ही तैयार कर रही हूँ विकास जी :-)
तब क्या मुझे भी १०० / १०० अंक मिलेंगें ?
संगीता पुरी जी गत्यात्मक ज्योतिष पर लिखतीं हैं . ममता जी , यात्रा विवरण बढ़िया लिखतीं हैं !! वे पहले गोवा रहतीं थीं , अब अरुणाचल से लिख रहीं हैं.

mamta


अदा जी बहुत बढ़िया गायिका हैं

अदा'

About में : http://www.shails.com/manjusha/index.htm

रश्मि रविजा


अल्पना वर्मा

रंजना सिंह


डॉ.राधिका उमडे़कर बुधकर

  • Location: India
  • ब्लोग्स : संगीत सम्बंधित ब्लोग्स :


    वीणापाणी
    http://aarohijivantarang.blogspot.com/

    और भी कई महिला ब्लोगर्स हैं जो विविध विषयों पे लिख रहीं हैं --

    Q. ब्लॉगिंग को आने वाले समय में किस रुप में देखती हैं ?

















    A. आगे भी लोग अपने मन की बातें शेर करते रहेंगें और व्यति स्वातंत्र्य और अपने अनुभव को अभिव्यक्ति करने से जुड़े रहेंगें येही अनुमान है

    Q. विदेशों में महिलाऔं और उनसे संबंधित मुद्दों को मुख्यधारा के मीडिया ने जब शामिल करना लगभग बंद कर दिया तो महिला ब्लॉगर्स ने मुखर होकर ब्लॉग का जमकर इस्तेमाल किया । क्या हमारे यहाँ ऐसा संभव ?
A. हां ...नेपोलियन ने कहा था न , " कोइ बात असंभव नहीं अगर कोइ ठान ले तो "
Q . ब्लॉग पर देखा जाता है कि ज़्यादातर टिप्पणियाँ जानने वालों की ही होती हैं, कहीं न कहीं ये ब्लॉग की कम लोकप्रियता, पहुँच में कमी को नहीं दर्शाता है ?
A. कई पढ़ते तो अवश्य हैं किन्तु , टिप्पणी करने से कतराते हैं , किसी को आप फ़ोर्स तो नहीं न कर सकते जिसकी जैसी इच्छा ! अगर ब्लोगिंग करनी है तब , आप प्रामाणिकता से लिखिए.महज टिप्पणी का होना या न होना, आपकी प्रतिभा अभिव्यक्ति या आपके मन की बात उजागर करने का इनाम न मान लें . हां , सकारात्मक सोच रखें और अच्छी बातें लिखें , जो कहीं न कहीं , किसी दिशा को आलोकित अवश्य करेंगीं ..
" अपना जितना काम, आप ही जो कोइ कर लेगा,
पाकर उतनी मुक्ति आप वह औरों को भी देगा ...
एक दीप सौ दीप जलाए मिट जाए अंधियारा "
( ये पंक्तिया परम आदरणीय , राष्ट्रकवि दददा मैथिली शरण गुप्त जी ने लिखीं थीं एक हस्ताक्षर देते समय, जो मेरी बड़ी बहन स्वर्गीय वासवी मोदी की एक पुस्तक में हैं . परंतु, .कहीं छपी नहीं हैं )
Q. ब्लॉग पर किसी तरह के watchdog होने पर क्या कहेंगी ?
A. अगर किसी को ये काम पसंद है तब वह, यही करे. जैसे हर समाज में खुफिया विभाग भी होता ही है क्या पाया , क्या खोया ये आनेवाला " समय " ही तय करेगा . मैं स्वयं, व्यक्ति स्वातंत्र की हिमायती हूँ और साथ साथ, व्यक्ति की शालीनता और गरिमा भी कायम रहे आपके लेखन से किसी के मन को चोट न पहुंचे इस बात का ध्यान रखा जाए आप दूसरों से वही व्यवहार कीजिये जैसा आप खुद के साथ बर्ताव होना पसंद करते हैं . " Do unto others that YOU want , others to do to you " ( as the Bible says )
Q. अगर और कोई जानकारी देना चाहें, जो इन सवालों में रह गई हों तो अच्छा लगेगा
A. मैंने अपना प्रयास किया है आप के मन में कोइ प्रश्न बाकी हों तब फिर पूछ लीजिएगा . अभी इतना ही अब आज्ञा लेती हूँ -- मेरी बात सुनने का शुक्रिया !

स स्नेह,
- लावण्या