सूनी साँझ ...कुछ यूँ बिताई , हमने ......
[ Flashback ]
" गौरी कुण्ड की कुछ मिटटी लेकर , हाथों में ,
एक अकेली साँझ को , सोच रहीं माँ पारबती ,
कब आयेंगे घर , मेरे , शिव ~ सुंदर ?
केशर मिश्रित उबटन लेकर हाथों में
तब खूब उसे मल - मल कर उतारा
फिर अपने अंग से खेल खेल में ...
बना दी आकृति एक बालक की और हलके से ,
फूंक दिए प्राण अपनी सांसों के और कहा ,
" देखो यह मेरा पुत्र विनायक है ! "
सूनी साँझ कहाँ फिर रहती सूनी सूनी ?
हुआ आगमन , श्री गणेश का जग में !
पारबती के प्यारे पुत्र तब आये जग में
शिवजी लौट रहे थे , छोड़ कैलाश और तपस्या
द्वार के पहरेदार बन खड़े हो गये बाल गणेश !
माता के बन गये वह रक्षक ! "
एक अकेली साँझ को , सोच रहीं माँ पारबती ,
कब आयेंगे घर , मेरे , शिव ~ सुंदर ?
केशर मिश्रित उबटन लेकर हाथों में
तब खूब उसे मल - मल कर उतारा
फिर अपने अंग से खेल खेल में ...
बना दी आकृति एक बालक की और हलके से ,
फूंक दिए प्राण अपनी सांसों के और कहा ,
" देखो यह मेरा पुत्र विनायक है ! "
सूनी साँझ कहाँ फिर रहती सूनी सूनी ?
हुआ आगमन , श्री गणेश का जग में !
पारबती के प्यारे पुत्र तब आये जग में
शिवजी लौट रहे थे , छोड़ कैलाश और तपस्या
द्वार के पहरेदार बन खड़े हो गये बाल गणेश !
माता के बन गये वह रक्षक ! "
" फिर आगे क्या हुआ माँ ? कहो न ...".
पूछ रही थी बिटिया , मेरी , मुझसे !
एक सूनी साँझ के समय , जब्
वह सुन रही थी यह कथा , मुझसे
है कथा पुरानी और नयी कन्या है वो
और मैं, कर रही थी उस को , तैयार !
रात्रि - भोज के पहले , ये भी तो करना था ,
बस , अब , आते ही होंगें , आमंत्रित मेहमान !
पूछ रही थी बिटिया , मेरी , मुझसे !
एक सूनी साँझ के समय , जब्
वह सुन रही थी यह कथा , मुझसे
है कथा पुरानी और नयी कन्या है वो
और मैं, कर रही थी उस को , तैयार !
रात्रि - भोज के पहले , ये भी तो करना था ,
बस , अब , आते ही होंगें , आमंत्रित मेहमान !
[- लावण्या ]
ई - मेल, ब्लॉग , फेस बुक, ट्वीटर ये सारे विश्व के हर देश में बसे लोग , संपर्क व सम्प्रेषण के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। स्वर साम्राज्ञी सुश्री लतादीदीजी भी आजकल अपनी बात कहने लगीं हैं। उन्होंने गणेश चतुर्थी पर ये सन्देश प्रसारित किया है आप भी पढीये।
" नमस्कार . आज गणेश चतुर्थी है। आप सभी को इस पवित्र गणपति त्यौहार की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
अभी -अभी, हर साल की तरह , हमारे घर श्री गणेशजी पधारे हैं।
अब १० दिन तक सारा घर और वातावरण ख़ुशी का होगा। आनंदमय और प्रसन्न होगा। हमारे घर यह परंपरा बहुत पुरानी है और इसे मेरे बाबा , मास्टर दीनानाथजी ने शुरू किया है और हम इसे आगे चला रहे हैं तब से हमने गणेशजी को घर लाना शुरू किया है।
मेरे बाबा एक देश भक्त थे और उन पर लोकमान्य तिलकजी का काफी प्रभाव था , इसलिएबाबा ने घर पे गणेश उत्सव शुरू किया। मैं , आज , आपको मेरी गई हुई गणपति की पारंपारीक आरती , जो मराठी में है ,
सुनाती हूँ और इस का विडियो भी आप देख सकते हैं।
7 comments:
लावण्या जी,
सपरिवार आपको और सभी मित्रों, परिचितों को गणेश चतुर्थी की हार्दिक मंगलकामनायें!
शुभकामनाएं दीदी...!!!
बहुत बहुत शुभकामनाएं जी आपको भी !
बहुत बधाई आपको भी।
achhi bitayi sanjh.......a nice way...
गणेश चतुर्थी पर अच्छी प्रस्तुति. लिंक के लिए धन्यवाद.
Bahut achi prasatuti..
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