जीवन की अंधियारी
- रात हो उजारी!
धरती पर धरो चरण
- तिमिर-तम हारी
- जाए कट तिमिर-पाश!
दिशि-दिशि में चरण धूलि
- छाए बन कर-प्रकाश!
आओ, नक्षत्र-पुरुष,
- गगन-वन-विहारी
- निरावरण करे निशा!
चरणों में स्वर्ण-हास
- बिखरा दे दिशा-दिशा!
पा कर आलोक,
- मृत्यु-लोक हो सुखारी
नयन हों पुजारी!
स्व. पंडित नरेंद्र शर्मा -
--भगवती चरण वर्मा
भगवती चरण वर्मा का जन्म ३० अगस्त १९०३ को उन्नाव जिले (उ. प्र.) के शफीपुर गाँव में हुआ था । वर्माजी ने इलाहाबाद से बी.ए., एल. एल. बी. की डिग्री प्राप्त की और प्रारम्भ में कविता लेखन किया । फिर उपन्यासकार के नाते विख्यात । १९३३ के करीब प्रतापगढ़ के राजा साहब भदरी के साथ रहे । १९३६ के लगभग फिल्म कारपोरेशन, कलकत्ता, में कार्य । कुछ दिनों ‘विचार’ नामक साप्ताहिक का प्रकाशन-संपादन, इसके बाद बंबई में फिल्म-कथालेखन तथा दैनिक ‘नवजीवन’ का सम्पादन, फिर आकाशवाणी के कई केंन्दों में कार्य । बाद में, १९५७ से मृत्यु-पर्यंत स्वतंत्न साहित्यकार के रूप में लेखन ।
‘चित्रलेखा’ उपन्यास पर दो बार फिल्म-निर्माण और ‘भूले-बिसरे चित्र’ साहित्य अकादमी से सम्मानित । पद्मभूषण तथा राज्यसभा की मानद सदस्यता प्राप्त ।
निघन : ५ अक्तूबर, १९८
१
Sung By : Bhupen Hajarika |
कविता : स्व. पंडित नरेन्द्र शर्मा
२६ जनवरी आते ही , भारतीय गणतंत्र दिवस की याद यही शुभकामना है ..साथ प्रस्तुत है देश प्रेम से रंगी रचनाएं .. आनंद लीजिये और हमारी मात्रु भूमि को शत शत वंदन कीजिए............... - लावण्या |
20 comments:
कल कल निनादी इस काव्य सरणी /संगम के लिए बहुत आभार !
मान गए आप की दृष्टि को !
अन्न संस्कार करती महिला का रोते (?) बच्चे की तरफ हाथ बढ़ाना बहुत कुछ कह गया।
ज़िराक्स का ऐड भी महासंघ या पुनर्एकीकरण का स्वप्न देखते लोगों को बहुत भाएगा।
कविताएँ और गीतों का संकलन तो अद्भुत रहा। आप के ब्लॉग पर आने से मन सुसंस्कारित हो जाता है। आभार।
क्या तारीफ करें इस पोस्ट की...शब्द नहीं हैं..बस आभार.
निरावरण करे निशा!
चरणों में स्वर्ण-हास
बिखरा दे दिशा-दिशा!
पा कर आलोक,
मृत्यु-लोक हो सुखारी...
अद्भुत.
सुन्दर प्रस्तुति । गिरिजेश राव जी से सहमत हूँ एक सुखद सी अनुभूति होती है आपके ब्लाग पर आ कर धन्यवाद और शुभकामनायें गण्तन्त्र दिवस की बधाई
मम्मा.... आपने निःशब्द कर दिया..... बहुत सुंदर रचनाएँ.....
जय हिंद......
धन्यवाद इस प्रस्तुति के लिये।
लावण्या दी,
आपने गणतंत्र दिवस तिरंगे के समान तोहफा दिया है,परम पूजनीय पंडित नरेंद्र शर्मा साहब और परम पूजनीय भगवतीचरण वर्मा साहब के साथ आपकी ओजमयी पंक्तियाँ तिरंगे सी लगी...आपको गणतंत्र दिवस कि शुभकामनाएं.
शानदार प्रस्तुति। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर इस से बड़ा तोहफा नहीं हो सकता।
बहुत सुंदर लगी आप की यह पोस्ट
आप को गणतंत्र दिवस की मंगलमय कामना
बहुत सुंदर प्रस्तुति .. गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं !!
हो मंगलमय प्रभात पृथ्वी पर
मिटे कलह का कटु उन्माद ,
वसुंधरा हो हरी - भरी , नित,
चमके खुशहाली का प्रात !
.............सुंदर मंगलकामना.
..उत्कृष्ठ गीतों से सजे इस स्मरणीय पोस्ट के लिए आभार.
गाने के चयन में मज़ा आ गया दीदी.मगर सुन नहीं पा रहा हूं?
भारतीय गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनायें!!
Lavanya Di
Wonderful and excellent!
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
बहुत बढ़िया!
नया वर्ष स्वागत करता है , पहन नया परिधान ।
सारे जग से न्यारा अपना , है गणतंत्र महान ॥
गणतन्त्र-दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
लावण्या जी,
आपको भी गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं. सभी गीत एक से बढ़कर एक रहे. प्रस्तुति के लिए आभार. जैसा कि गिरिजेश ने कहा, चित्र ने मेरा भी ध्यान खींचा.
आपने तो एक भारत वहां भी बसा रखा है .......शुभकामनायें गण्तन्त्र दिवस की बधाई
bahut hi grmamyi post .aur dono chitr hi asli bharat hai .nariyo ke chehro par jeevan ke sare bhav jinme atmvishvas,santosh, mamtv ,krmthta ki spshst chamak hai .
चित्रलेखा मेरी पसंदीदा पुस्तकों में से है. और गंगा तुम बहती हो क्यूँ वाले गीत के बारे में तो कुछ कहने की जरूरत ही नहीं.
GANGA BAHATI HO ......KIYU !
THE SARCASTIC TONE OF AN HUMAN BEING SAYS IT ALL ABOUT HIS DESPAIR AND HELPLESSNESS TO DO SOME THING 4 THE POORS AND THE MASSES AS A WHOLE !
AND BELIEVE THIS ,PANDIT JI HAD DONE M.A IN ENGLISH !
AND YET ,HE WAS MORE THAN A MASTER IN HINDI PROSE OR POETRY !
HE AND HIS CREATIONS SEEMS TO BE ALWAYS AHEAD OF TIME !
AND ,LASTLY,IN INDIA,SADLY ONE STILL WISH TO GANGA BAHATI HO KIU............!
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