Sunday, October 18, 2009

श्री राज कपूर जी : भारतीय चलचित्र निर्माण , " BOLLYWOOD " एक विशाल व्यवसाय है [ कई सारी दुर्लभ तस्वीरें ]


इस चित्र में, रितू के विवाह से २ दिवस पहले, आयोजित " संगीत संध्या " के अवसर पर रीतू के लिए, मेरी अम्मा, श्रीमती सुशीला नरेंद्र शर्मा ने, हमारी बगिया से ,चमेली , जूही और नन्हे गुलाब की कलियों के बाजू बंद, टीका
 कर्ण ~ फूल, गलहार, हाथ के गजरे, बनाकर, हल्की केसरीया ओढ़नी से सर ढके, रितू को सजाया था तब वह अपूर्व देव कन्या सी सुन्दर दिखीं थीं। 
 उस वक्त की यह छवि है।
      पास ही रितू और रिशी कपूर ( जो रीतू के छोटे भाई और रणबीर कपूर के पिता हैं उन दोनों से छोटी बहन रीमा भी एक दम सटकर बैठी हुई, अपनी बड़ी बहन रितू को निहारतीं हुईं दीखलाई दे रही है। 
      चलिए, आज आपको हिंदी सिने संसार से जुड़े प्रसिध्ध कपूर परिवार की यादों की झलकियाँ दीखलाऊँ ! यहाँ कई चित्र, नेट से उपलब्ध हुए हैं। जिन्हें आप अवश्य पसंद करेंगें --( आभार गुगल बाबा जी का :)
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फिल्मी दुनिया , एक विशिष्ट प्रकारकी दुनिया है ।-- यह एक आभासी सच है ।
   यहां, कथा, कहानी और गीतों को, संगीत से सजाकर, आपके लिए ३ घंटों का सफ़र,जहां आप, कुर्सी पर, सोफे पर बैठे हुए या खड़े होकर भी, एक कथा के पात्रों से रूबरू होते हैं। फिल्मों को बड़े परिश्रम और मनोयोग से, तैयार किया जाता है।
       रदे के पीछे, कई लोग काम करते हैं जिसे " फिल्म यूनिट " कहा जाता है। परदे पर नायक, नायिका , खलनायक, खलनायिका, सह अभिनेत्री , सहकलाकार जो,दादा दादी , भाई बहन , बुआ , भतीजी और परिवार , मित्र, पडौसी , साथ काम करनेवाले, दफ्तर के सहकर्मी, मालिक - पैसा ब्याज पर देनेवाला सेठ साहूकार , किसान - मजदूर , क्लब में नाचनेवाली औरत , या बाजारू स्त्री या खूनी दरिन्दे और क्लर्क से लेकर , नेता - और आला -- अफसर तक या ऐसे ही अनगिनत पात्रों के बीच चलती, आम जीवन की छाया - सी , कथा , ही असल में, फिल्म के केंद्र  में अपनी प्रधान भूमिका ले लेती है - एक आभासी कथा को परदे पर , फ़िल्म के माध्यम से सजीव रूप देने के लिए , फ़िल्म यूनिट काम करने लगती है ।
       लेख़क और संवाद लेखक , मिलकर इस पटकथा को तैयार करते हैं ।
भारतीय फिल्मे कई सारे गीत लिए बनायी जातीं हैं ।
गीतकार, इन फिल्मों में, प्रसंग अनुरूप गीत लिखतें हैं ।
संगीतकार चलचित्र के हर द्रश्य को एक तरह का बेक ग्राउंड देते हुए, पार्श्व संगीत तैयार करता है और कथानक के साथ चल रहे गीतों को भी संगीत से , संवारते हुए, सजीव करता है। छायांकन, कैमरे से, फोटोग्राफर करता है ।
निर्देशक इन सभी को मार्गदर्शन देते हुए, फिल्म तैयार करता है औरफ़िल्म निर्माता निर्माण के लिए, अपना धन लगाता है ।
फिल्म बन जाने पर, वितरक या Distributor = डिस्ट्रीब्यूटर , फिल्म को  दुनियाभर में प्रदशित करने के लिए  खरीद कर, बेचते हैं। हम और आप जैसी, आम - जनता , तब ये फिल्म देखती है। या चित्र घर में या थिएटर्स में या फ़िर डी वी डी जब बाज़ारों में आ जातीं हैं तब घर पर लाकर भी हम फिल्मों को देख लेते हैं । कई सारे व्यवसाय इन से, इंडिरेक्टली जुड़े हुए हैं । संगीत सीडी, डीवीडी ,की खपत भी करोड़ों में होतीं हैं । अच्छी लगे तो फिल्म हिट और बहुत बढिया फिल्म सुपर हिट ! या कदाचित, डिब्बे में, बंद रहने के लिए, उतार ली जाती है और फ़ैल हो जाती है या पिट जाती है। 
भारत विश्व का सर्वाधित फिल्म उत्पादक देश है। इस मामले में, भारतीय फ़िल्म व्यवसाय ने दूसरे नंबर पर आनेवाले,  अमरीकी फिल्म निर्माण संस्था होलीवुड को भी पीछे छोड़ दिया है ।
फ़िल्म, आम जनता के लिए, एक सस्ता और सुलभ मनोरंजन है । इसे आम जनता के लिए उपलब्ध कराना,यही हिन्दी व प्रादेशिक भाषाओं में बन ने वालीं फिल्म निर्माण का, मुख्य लक्ष्य है। धन उपार्जन इस का मूलभूत कारन भी है । ये एक बहुआयामी और अत्यन्त विशाल व्यवसाय है।
बोम्बे या बम्बई नामक शहर में , भारतीय सिने संसार प्रमुखत: विद्यमान हैबंबई का नामकरण " मुम्बा देवी " से अब " मुम्बई " कर दिया गया है । बोम्बे नगरी में बसी यह इंडस्त्री इसी कारण से , बोलीवुडके नाम से , जग प्रसिध्ध हो गयी है ।
City named " Bombay " now known as " MUMBAI "
is the capital of Film Industry hence it is also known ,
the world over as " BOLLYWOOD " --
Thus, a new word has been coined & was  accepted which is quite similar  to " Hollywood"!  Hollywood is in WEST mainly, situated in the Golden Sun Shine State ,in North America's California State , in the city of Los ~ Angeles. 
 बहुत बड़ी तादाद में, लोग , BOLLYWOOD= भारतीय चलचित्र निर्माण
संस्था में कार्यरत हैं और भारत सरकार, फिल्म निर्माण पर लगे कर से आमदनी से, टैक्स से , भरपूर आय प्राप्त करती है ।
भारत में, क्रिकेट के साथ, सिनेमा या फ़िल्में ही शायद सबसे ज्यादा लोकप्रिय विधा है।
फिल्म का प्रथम प्रदर्शन, माने प्रीमियर, फिल्म फेस्टिवल, अवार्ड्स ,
ये भी फिल्मों के ही बाय - प्रोडक्ट्स हैं । ये भी, इस विशाल व्यवसाय के विभिन्न पहलू हैं और भी कई बारीक बातें हैं......जिनकी चर्चा, फिर कभी ...
       श्रीमान राज कपूर साहब, भारतीय फिल्म उद्योग के बेहद लोकप्रिय ,
कई किरदार को सफलता से जीते हुए , दुनियाभर में प्रसिद्धी प्राप्त , जगमगाते नक्षत्र हैं। " राज साब " के प्यारभरे संबोधन से पुकारे जानेवाले राज कपूर,' कपूर खानदान ' के यशस्वी स्तम्भ हैं । फिल्म तथा रंगमंच के कलाकार, अग्रज श्री पृथ्वी राज कपूर जी व् उनकी धर्मपत्नी श्रीमती रमादेवी ( जिन्हें हम सब " चाईजी " पुकारा करते थे ) उनके सबसे बड़े पुत्र हैं राज साब ! मंझले हैं श्री शम्मी कपूर जी और सबसे छोटे भाई हैं श्री शशि कपूर साहब । यहां नीचे के चित्र में देखिये , जनाब शम्मी कपूर, अपने फिल्मी किरदार के लिए मेक - अप करवा रहे हैं ।" पंढरी जूकर " यहां इनके मेक - अप मेन हैं।  कुर्सी पर बैठे हुए हैं शम्मी कपूर !! तैयार होकर, उठते ही, किरदार को अपनाकर वे बन जायेंगें कोई नये शख्श :) एक नया किरदार जीवित हो जाएगा और एक फ़िल्म बन कर तैयार हो जायेगी ।


इस नीचे रखे हुए चित्र में, राज जी, गायिका गीता दत्त जी तथा लता दी से, गीत संयोजन के मौके पर, परामर्श करते हुए दीखलाई दे रहे हैं । तीनों का ध्यान गीत पर केन्द्रीत है। राज जी ना सिर्फ मुकेश जी की आवाज़ से थे, वे गाते भी थे बेहद बढिया और हर तरह के इन्स्त्रुमेंट्स बजा लेते थे। एक बार वे, कश्मीर गए, वहां माटी की हांडी पर, संगीत बजाते कलाकार से, चन्द पलों में, उसे बजाना सीखा और रात देर तक बजाया !
नीचे वाले चित्र में, राज साब के साथ हैं उनकी पत्नी, कृष्णा भाभी जी और भारतीय फिल्म जगत के मशहूर और बेजोड़ नायक : दिलीप कुमार उर्फ़ युसूफ खान साहब ! फिल्म नायिका पत्नी सायरा के संग

राज जी को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से भारत सरकार ने सम्मानित किया तब वे स्टेज परजाने की स्थिति में नहीं थे. तब राष्ट्रपति वेंकटरमण जी नीचे उतर आये और राज साब को शोल उढाई और ट्रोफी प्रदान की  उस वक्त की तस्वीर ! ना जाने हम लोग क्यूं ऐसा करते हैं ? अकसर व्यक्ति की तारीफ़ करने में बहुत ज्यादा विलंब करते हैं :-(

    श्री राज कपूर जी की दुसरे नंबर पर संतान है रीतू - वह केसरी साडी पहने हुए, उस वक्त प्रधान मंत्री पद पर आसीन, सुप्रसिद्ध कवि, श्री अटलबिहारी बाजपेयी जी, के साथ हैं। अपने चाचा शम्मी कपूर, कलाकार विनोद खन्ना तथा रीतू जी के उद्योगपति - पतिदेव श्री राजन नंदा जी के संग राज कपूरजी की स्मृति में जो पुस्तक, प्रकाशितकी गयी है, उसी की १ प्रति देते हुए -
भारत सरकार ने भारतीय डाक टिकट जारी कर, फिल्म " मेरा नाम जोकर " से अमर करनेवाले, राज साब की यादों को सम्मान दिया है। गीत सुनें
" जीना यहां, मरना यहां, इसके सिवा जाना कहाँ ?

अपने यहीं दोनों जहां, इसके सिवा जाना कहाँ ? "
http://www.youtube.com/watch?v=TpK8hgcnyFk
आज तलक, मैंने जितनी भी स्त्रियाँ देखीं हैं, उन सभी में, ( देस और परदेस मिलाकर :) रीतू , ही सबसे सुन्दर महिला मुझे लगीं हैं । ( युवावस्था की छवि की बात कर रही हूँ । ) रीतू का अत्यंत शालीन, सौम्य, सुन्दर , सुसभ्य , ( कहें तो गौ जैसी ) भारतीय बिटिया का जीता जागता स्वरूप, आज भी मन को लुभाता है । अपने विवाह के बाद, रीतू ने, सफलतम बीमा एजेंट बनकर, सभीको आश्चर्यचकित कर दिया।  पुत्री नताशा और पुत्र निखि, रीतू और राजन नंदा जी की, २ संतान हैं। नताशा के नाम पर भी एक कंपनी रीतू ने आरम्भ की और उसे सफल किया है । "नताशा आर्ट गैलरी " भी है और निखिल, नंदा परिवार के उद्योग से जुड़े हैं । अमरीका में व्होर्टन विश्वविध्यालय से, उपाधि प्राप्त, निखिल नंदा, महानायक (बीग - बी ) अमिताभ व जया जी के दामाद हैं । निखिल, श्वेताम्बरा , अमिताभ " बच्चन " के , पति देव हैं और " नव्य नवेली " व अगस्त्य के पिता  हैं। रीतू जी, एक ममतामयी माँ और समर्पित पुत्री के दायित्त्वों को अभूतपूर्व सफलता से जीती रहीं हैं और भारतीय स्त्री की गरिमा की जीती - जागती मिसाल हैं !

मेरी यादों में रीतू के अति भव्य विवाह की कई बातें, आज भी सजीव हैं। सच,
ऐसी शादी आज तक देखी नहीं ! यहां नीचे के चित्र में, श्री राजन नंदा व रीतू दुल्हा दुल्हन के भेस में देख्लाई दे रहे हैं ।बाबा रे ! क्या क्या नहीं देखा वहां ~ 
चारों तरफ़ एक नवीन कार्यक्रम जारी था शादी की रात ....एक और था 
भारत कोकीला, भक्तगायिका, MS सुब्बालक्षमी जी का अद्`भुत गायन !
तो दूसरी ओर " बल्ले बल्ले " के स्वर उठ रहे थे जहाँ, पंजाब से आये, मशहूर, भांगडा ग्रुप का एक धमाकेदार डांस जारी था !! एक तरफ हेमा मालिनी नामक ( नई हिरोइन का ) भारत नाट्यम नृत्य हो रहा था !
रोमेनिया से आयी, एक परदेसी नृत्यांगना का कैबरे भी हुआ था जिसे बंगाल से आये, श्री सत्यजीत रे और मेरे पापा जी ने, उपेक्षित भाव से, पीठ किये,
अपना वार्तालाप जारी रखा था, उसकी भी स्मृति शेष है :-)
         बाराती समुदाय, दुनियाभर के हर प्रदेश से, मजे लूटने आ पहुंचे थे । वर और कन्या पक्ष ने मिलकर जश्न की रात, खूब दावत और मिलना जुलना, 
मौज - मस्ती का आनंद , बेहतरीन खाना पीना, शैम्पेन, की अविरल धारा और वेज, नॉन वेज और चाईनीज़ , एक से बढ़कर एक, खाने की आइटम, साथ में एक तरफ़ ,पसीने से लत - पथ, मोटी ताज़ी पंजाबन " तारी " नाम की एक महिला ( जो अकसर भाभी जी के यहाँ दावतों में तंदूरी रोटी बनाती दीख जाती थी ) का , तंदूर से, गर्मागर्म सींकीं भरवां तंदूरी रोटियाँ निकालना, ये भी जारी था जो भुलाए नहीं भूलता! कैसा विस्मयकारी दृश्य था जो भूलाये नहीं भूलता और आज तक वह मुझे याद है ! 

फिल्मी दुनिया या आभासी जगत के पीछे, असली इंसान भी रहते हैं। 
उनकी अपनी जिंदगानी होतीं हैं। प्यार और समर्पण और बिछोह के किस्से होते हैं। जो किस्से कहानियां हम फिली सुनहरे परदे पर देखते हैंउन में अक्सर किसी के असली जीवन का सच भी छिपा होता है। हरेक कथा में, शोलों में 
दबी ढँकी, कोइ चिंगारी भी अवश्य होती है। यदि आपको चित्रपट का आनंद लेना है तब, सिनेमा को मनोरंजन समझिये जहां आप सिर्फ ३ घंटे और कुछ संपत्ति का खर्च कर रहे हैं, फिर आगे बढ़ जाईये, इसी में सुख है। 
बाकी, गडे मुर्दे उखाड कर, क्या लाभ ?
चित्र : यहां, सह कलाकार, राज और नर्गिस जी सहज मुद्रा में  -
आज भी इनके द्वारा अभिनीत गीत, सबसे ज्यादा पसंदीदा गीत - या कहें तो 
 " सदाबहार - गीत " कहलाते हैं और जन मानस को आज भी लुभाते हैं । 
इन दोनों की रोमांटिक जोड़ी ने सफलता के नये पैमाने कायम किये हैं ।
अब इस नीचे वाले चित्र में, राज कपूर एक वत्सल पिता की छवि में दीखलाई दे रहे हैं ।अपनी युवा बेटी रितू के गाल चूमकर आर्शीवाद देते हुए, यही छवि मुझे आज भी प्रभावित करती है। एक और वाक़या सुनाऊं -
रीतू की शादी की अगली रात थी ।सारे लोग, समधियों की ओर से दी गयी "
 " संगीत संध्या " में शामिल होने  गए हुए थे। मैं, अस्वस्थ थी, तो नहीं गयी !
मैं और रितू, उनके घर के खुले बागीचे में , टहलने लगे। वहाँ बाग़ के किनारे किनारे, आसपास ऊंची बेंत पर सजाये,कई रंगों के बिजली के लट्टू - बल्ब जगमगा रहे थे। टहलते हुए मैंने रितु  से कहा, " मुझे नीली रोशनी लिए बल्ब ही सबसे ज्यादा पसंद आये " और रीतू ने किसी को आदेश दिया,
और सिर्फ नीले लट्टूओं को रखने का आग्रह किया।
अगले दिन, विवाह की संध्या को, सिर्फ़ नीली रोशनी बिखेरते रोशनी के लट्टू ही जले थे ये भी याद है ।
फिर, शशि कपूर जी पधारे और हम लोग घर के भीतर चले गए थे ....
बीस्तर में सोने की तैयारी कर ही रहे थे के राज पापा आ गए और कहा,
" आज तो मुकेश्चंदर ने मुझे रूला दिया बेटे ..सुनो , ये बिदाई का गीत उसने गाया है तेरे लिए ...
" लाडली मेरे नाजों की पाली, तेरी डोली चली, मोतियोंवाली " ...
और राज अंकल ने यह गीत गाना शुरू किया ...
काश, उस वक्त , इसे रिकॉर्ड कर लिया जाता !!
पर यह छवि तो एक पिता की है, जिसे, हम सिर्फ महसूस करें .............
मुकेश जी की बड़ी पुत्री का ब्याह भी होने ही वाला था और उसका नाम भी था रीता / Rita ...और पुत्री के विदाई का गीत गाकर, मुकेश जी अस्वस्थ हो गए थे  ये सब , राज साब ने हमें , विवाह की पूर्व रात्रि को बतलाया था ।
गीत हसरत जयपुरी जी ने लिखा और इस गीत की ४ लाइन, फिल्म
" सत्यम शिवम् सुंदरम "  में, नायिका, जीनत अमन की शादी के प्रसंग में
राज जी ने रखीं हैं । रीतू के लिए तैयार किया गया पूरा गीत प्राइवेट गीत है और बहुत मार्मिक है। 
२००९ की इस पावन दीपावली पर उपस्थित गणमान्य साहित्यकार व साथीगण, आप सभी को पुन: दीपावली पर नमन व मंगल कामनाएं
खूब जगमगाई इस वर्ष " दीपावली " आपसी मित्रता की यह ज्योति ,
 भेदभाव, शत्रुता तथा कटुता का कालिख मिटाकर,वास्तव में, प्रकाश फैलाए यही कामना है। 
आप सभी ने मेरे जाल घर पर पधार कर, आत्मीयता से ओत- प्रोत टिप्पणियाँ रखीं हैं उनके लिए हार्दिक आभार कहती हूँ ...जो आते हैं, पढ़ते हैं .................परंतु टिप्पणी नहीं करते, उन्हें भी मेरे अभिवादन ...
हो सके तो, अपने मन में आयी प्रतिक्रया भी लिखें ..
मेरा जालघर आपका भी है। 
अनुज श्री पंकज भाई जी, आपके सुझाव, ध्यान से सुन रही हूँ :)
देखिये भाई श्री पंकज सुबीर जी का ब्लॉग
http://www.subeerin.blogspot.com/
ये प्रविष्टी भी, संस्मरण की एक कड़ी स्वरूप लिख रही हूँ ....
धन्यवाद ...शुक्रिया ....शुभम भवति ..
- लावण्या -


42 comments:

विनीत उत्पल said...

बहुत खूब, आप बेहतरीन संस्मरण लिखती हैं.

दिनेशराय द्विवेदी said...

संस्मरण बहुत सुंदर है। लेकिन बहुत से इंगित चित्र पोस्ट में नहीं हैं। आज गूगल बहुत से चित्रों को अपलोड में नहीं ले रहा है। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

दीनेश भाई जी ,
नमस्ते
मुझे तो सारे चित्र दीखाई दे रहे हैं --
ये article G mail se भेज रही हूँ -- बतलाएं अब इसे सचित्र देख पा रहे हैं या अब भी नहीं ?
शायद एकाध दिनों बाद ये समस्या हल हो जाए
यही आशा करती हूँ
ध्यान दिलाने के लिए आभार
स स्नेह,
- लावण्या

Khushdeep Sehgal said...

लावण्या जी,

राज कपूर जी का तो मैं बचपन से ही बड़ा कायल रहा हूं, लेकिन जिस तरह के दुर्लभ चित्र आपने राज जी और उनके परिवार के सदस्यों के जुटाए हैं, उसके लिए आपको साधुवाद...

राज जी के शब्दों में ही...द शो मस्ट गो ऑन...

जय हिंद...

वाणी गीत said...

नायाब तस्वीरें जिनके लिए आपका ब्लॉग जाना जाता है ...बेहतर संस्मरण

विवेक रस्तोगी said...

नायाब शब्दों में उकेरे गये नायाब चित्र ।

संगीता पुरी said...

फिल्‍मी दुनिया से जुडे लोगों के दुर्लभ चित्रों के लिए शुक्रिया .. आपके संस्‍मरण से बहुत जानकारी भी मिली !!

ताऊ रामपुरिया said...

आज तो लगता है यादों का पूरा ज्वार ही उमड आया है. आज की पोस्ट आपकी बेहतरिन पोस्टों मे एक गिनी जायेगी. बहुत ही दुर्लभ चित्रों से युक्त. बहुत शुभकामनाएं.

रामराम.

L.Goswami said...

दुर्लभ चित्रों के लिए शुक्रिया.

दिगम्बर नासवा said...

खूबसूरत और दुर्लभ चित्रमय संस्मरण........... दूर उड़ा ले गया राज जी की फिल्मों और उस दौर के बीच .......... बहुत ही कमाल लिखा है आपने ......... चलचित्र की तरह ........... बहुत बहुत शुक्रिया इन यादों को साझा करने के लिए ......

अजित वडनेरकर said...

मेरे प्रिय फिल्मकार राजसाहब के परिवार से जुड़ी यादों के लिए आभार।
मुझे ब्लाग पर और जीमेल पर सभी चित्र नज़र आए।

Abhishek Ojha said...

इस पोस्ट में जुडी सख्सियतों का भला कौन फैन नहीं है? राज कपूर की कई फिल्में कई बार देखी है मैंने तो.आभार कई जानकारियों क लिए जो अन्यत्र उपलब्ध नहीं है.

Arshia Ali said...

आपके ब्लॉग लिखने का तरीका आपको सबसे अलग बनाता है।
( Treasurer-S. T. )

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा said...

राज कपूर जी के जिक्र के बिना हिन्दी सिनेमा जगत की बात ही नहीं की जा सकती. आपने संस्मरण बहुत ही सुंदर लिखा है, यूं लग रहा है यादें अब भी उतनी ही ताजी हैं जितनी रितूजी की शादी के समय रही होंगी।
दुर्लभ तस्वीरें पोस्ट करने के लिए शुक्रिया वाकई बहुत अच्छा कलेक्शन किया है

Udan Tashtari said...

यह तस्वीरें तो शायद ही कहीं देखने मिले. बहुत आभार इस दिव्य संस्मरण और तस्वीरों का.

Rakesh Singh - राकेश सिंह said...

बढिया संस्मरण ....

चित्रों ने संस्मरण को और भी खुबसूरत बना दिया ...

दिलीप कवठेकर said...

आज की यह पोस्ट एक संग्रहणीय पोस्ट है.

यादों की धूंध में खोने का मज़ा कुछ और ही है.ये संस्मरण हम सभी के लिये इसलिये विशिष्ट हैं क्योंकि ये वे क्षण हैं जिन्हे आपनें स्वयं अनुभव किये हैं, अत: यूं लगता है कि हमारे सामने ही मानो घटित हो रहे हैं.

वैसे ये गीत कौनसा होना चाहिये जिसमें गीता जी और राज कपूर का मेल हुआ है लताजी के साथ?

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

श्री पीयूष भाई ने लिखा है के , इस प्रविष्टी के साथ लगे चित्र क्लीक डबल क्लीक करने पर
दूसरी वींडो में खुल जाते हैं और पूरी माहिती के साथ दीखलाई देते हैं ---
ये जानकारी के लिए लिखा रही हूँ
सभी ने जिन्होंने इसे पढ़कर , पसंद किया , उन सभी का शुक्रिया............
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दिलीप भाई ,
आपका प्रश्न , मेरे मन में भी आया था - चलिए , खोजते हैं, गीता दत्त जी और लातादी और राज जी ने साथ मिलकर
कौन सा गीत तैयार किया होगा ? :-)
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many many thanx Everyone !!

It makes all my efforts seem worthwhile
when you'll , appreciate it.
स स्नेह,
- लावण्या

पंकज said...

रोचक. दुर्लभ. इन यादों और चित्रों को ब्लाग पर पोस्ट कर आपने इन्हें सुलभ तो कराया ही साथ ही सहेज भी दिया.

आदर.

शोभना चौरे said...

लावण्याजी
बहुत सुंदर सहजता के साथ लिखे गये चित्रमय संस्मरण | जो हमको अपने अतीत कि याद दिला देते है जब फिल्मे देखना और फ़िल्मी पत्रिका "माधुरी "को पढना रोमांच से भर देता था था क्योकि बड़ी मुश्किल से उस समय फिल्म देखने कि इजाजत मिलती थी घर से हम लड़कियों को |
आभार

pran sharma said...

LAVANYA JEE,CHALCHITR NIRMAAN KE
BAARE MEIN AAP KEE VIPUL JAANKAAREE
SE MAINE DAATON TALE EK NAHIN
SAAREE KEE SAAREE UNGLIYAN DABAA
LEE HAIN.AAP TO CHALCHITR NIRMAAN
KAA KOSH HAIN.BOMBAY MEIN RAHKAR
MAINE FILMEE DUNIYA PAR EK KAVITA
LIKHEE THEE.KABHEE AVSAR MILAA TO
AAPKO SUNAAOONGAA.
JAHAN TAK MUJHE YAAD HAI KI RAAJ KAPOOR SAHIB NE
" CHITTOD" FILM MEIN APNE GEET KHUD
GAAYE THE.KRIPYA KAHIN SE CONFIRM
KIJIYEGA.
RAAJ KAPOOR SAHIB KE
PARIWAR KE CHITRA DEKHKAR MAN KHUSH
HO GAYAA HAI. REETA AB BHEE BAHUT
SUNDAR HAI.APNE MAA-BAAP KAA MILA-
JULAA ROOP HAI VO.
AAPKE SANSMARAN NE
DEEWALI KO BHEE CHAAR CHAAD LAGAA
DIYE HAIN.BAHUT-BAHUT BADHAAEE AUR
SHUBH KAMNA AAP SABKO.

शरद कोकास said...

राजकपूर जी मेरे पसन्दीदा अभिनेता है । उनसे जुड़ा यह चित्रयुक्त संस्मरण बहुत अच्छा लगा । मै इसे कवि भगवत रावत को भेजना चाहता हूँ उन्होने सुनो हिरामन शीर्षक से बहुत सी कवितायें लिखी हैं ।

डॉ .अनुराग said...

.राज कपूर अपने तरह के बेजोड़ आदमी थे ....उनकी सबसे बेह्तारें फिल्म मई आवारा मानता हूँ ओर किसी ओर के डायरेक्शन में अभिनीत "अनाडी" ओर तीसरी कसम ......अपने वक़्त से कही आगे उन्होंने "जागते रहो" ओर "मेरा नाम जोकर "बनायीं......जिसके कई सीन अलग अलग टुकडो में अमर है......प्रेम रोग भी मुझे बेहद पसंद है.....सबसे ज्यादा जो मुझे अपील करता है उनकी शैलेंदर ओर शंकर जे किशन .की दोस्ती .......

Asha Joglekar said...

लावण्या जी आपके माध्यम से ही हम ऐसे गणमान्य
व्यक्तित्वों के जीवन के उन पहलूओं को जान सके जो आमतौर पर सामान्यों को उपलब्ध नही होते । हमारे साथ इन्हें बांटने का आभार । रीतूजी सचमुच बहुत खूबसूरत दुल्हन थीं ।

Alpana Verma said...

आप के संस्मरण में मैं बिलकुल खो ही गयी....कितने सुंदर चित्र...कुछ तो आप ने सीधा एल्बम से निकाल कर स्कैन किये हैं ..ऐसा लगता है.]
--आभार इन यादों को हमसे बांटने के लिए.

Harshad Jangla said...

Lavanya Di
It is like a treasure which I feel like opening again and again.
Wonderful article with memorable picctures.
Thanx.
Happy New Year.

-Harshad Jangla
Atlanta, USA

निर्मला कपिला said...

+










बहुत सुन्दर संस्मरण है दुर्लभ चित्र और विस्त्रित जामकारी के लिये ापका धन्यवाद और शुभकामनायें

पंकज सुबीर said...

बीमारी से उठा और मानों आपने बीमारी की कड़वाहट को दूर करने का प्रबंध कर रखा था । पूरी पोस्‍ट एक सांस में पढ़ गया । राजकपूर साहब और यश चोपड़ा जी ये दोनों ही मेरे सर्वकालिक पसंदीदी निर्देशक रहे हैं । राज साहब की राम तेरी गंगा मैली के कुछ दृष्‍य अभी भी दिमाग पर अंकित हैं । दीदी साहब मैं झूठ नहीं कहता, आपकी संस्‍मरण की शैली पद्मा सचदेव जी की तरह से निर्बाध होती है । पूरा पढ़कर ही चैन मिलता है । तो पांडुलिपि तैयार हो रही है कि नहीं । दीदी साहब आपके पास तो बहुत संस्‍मरण हैं । मुझे याद आती है परम आदरणीय महादेवी वर्मा जी की पुस्‍तक सोना हिरनी । उसमें कुछ ऐसे संस्‍मरण थे कि जिनको पढ़ते हुए जार जार रोना आता था । किसी ने सच कहा है पुरुष जब संस्‍मरण लिखता है तो कपटपूर्ण लिखता है किन्‍तु स्‍त्री जब संस्‍मरण लिखती है तो निष्‍क्‍पट और पवित्रता के साथ लिखती है । तो कब लिख रहीं हैं सम्‍पूर्ण पुस्‍तक आप । प्रतीक्षा में आपका ही अनुज

Dr. Sudha Om Dhingra said...

हमेशा की तरह दुर्लभ चित्रों से सजा संस्मरण --अनुज पंकज इतनी अच्छी तरह से संस्मरण को चित्रित कर गए कि अब कुछ कहूँगी तो पुनरावृत्ति होगी. शुरू किया तो रुक नहीं पाई , चाय पी रही थी वह भी ठंडी हो गई .लावण्या जी आप के पास तो संस्मरणों का भंडार है और शैली भी -अगली पोस्ट का इंतजार करुँगी.. बहुत -बहुत बधाई- स्वीकार करें..

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

wah! bahut khoob ............ aapne yeh sansmaran bahut hi khoobsoorti se ......... likha hai..........

bahut achcha laga.......

निर्मला कपिला said...

ापके संस्मरण केवल कुछ यादें ही नहीं हैं बल्कि हम जैसे लोगों के लिये परदे के पीछे के लोगों और उन की दुनिया को जानने का एक झरोखा है । बहुत सुन्दर संस्मरण हैं धन्यवाद शुभकामनायें

Arvind Mishra said...

हिन्दी रजत पट का एक अभिलेखागार यहाँ भी !

Smart Indian said...

"फिल्मी दुनिया या आभासी जगत के पीछे , असली इंसान भी रहते हैं"
सही कहा आपने. दुर्लभ चित्रों और जानकारी के लिए धन्यवाद!

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

दुर्लभ तस्वीर के साथ सुन्दर संस्मरण है. आभार !

Unknown said...

mam behatreen jankari ke liye shukriya ....

गुड्डोदादी said...

लावण्य जी आशीर्वाद
रोचक. दुर्लभ. इन यादों और चित्रों को ब्लाग पर पोस्ट कर आपने इन्हें सुलभ तो कराया ही साथ ही सहेज भी दिया.
यह तो कुबेर का खाजाना है यादों भरा

Anonymous said...

amazing narration and of course your memory Lavanya Ji

Anonymous said...

amazing narration and of course your memory Lavanya Ji

धीरेन्द्र अस्थाना said...

thanx for sharing sweet memories

SHAKUNTALA said...

बेहतरीन संस्मरण दुर्लभ तस्वीरों के साथ ऐसा आप ही के बस में है। और ये संस्मरण भी हर कोई नहीं लिख सकता क्यो कि सभी तो राईटर हो नहीं सकते।

SHAKUNTALA said...

बेहतरीन संस्मरण दुर्लभ तस्वीरों के साथ ऐसा आप ही के बस में है। और ये संस्मरण भी हर कोई नहीं लिख सकता क्यो कि सभी तो राईटर हो नहीं सकते।

SHAKUNTALA said...

बहुत भाग्यशाली हैं आप । अद्भुत संस्मरण ।विरले चित्र।