परदे के पीछे, कई लोग काम करते हैं जिसे " फिल्म यूनिट " कहा जाता है। परदे पर नायक, नायिका , खलनायक, खलनायिका, सह अभिनेत्री , सहकलाकार जो,दादा दादी , भाई बहन , बुआ , भतीजी और परिवार , मित्र, पडौसी , साथ काम करनेवाले, दफ्तर के सहकर्मी, मालिक - पैसा ब्याज पर देनेवाला सेठ साहूकार , किसान - मजदूर , क्लब में नाचनेवाली औरत , या बाजारू स्त्री या खूनी दरिन्दे और क्लर्क से लेकर , नेता - और आला -- अफसर तक या ऐसे ही अनगिनत पात्रों के बीच चलती, आम जीवन की छाया - सी , कथा , ही असल में, फिल्म के केंद्र में अपनी प्रधान भूमिका ले लेती है - एक आभासी कथा को परदे पर , फ़िल्म के माध्यम से सजीव रूप देने के लिए , फ़िल्म यूनिट काम करने लगती है ।
लेख़क और संवाद लेखक , मिलकर इस पटकथा को तैयार करते हैं ।
भारतीय फिल्मे कई सारे गीत लिए बनायी जातीं हैं ।
गीतकार, इन फिल्मों में, प्रसंग अनुरूप गीत लिखतें हैं ।
संगीतकार चलचित्र के हर द्रश्य को एक तरह का बेक ग्राउंड देते हुए, पार्श्व संगीत तैयार करता है और कथानक के साथ चल रहे गीतों को भी संगीत से , संवारते हुए, सजीव करता है। छायांकन, कैमरे से, फोटोग्राफर करता है ।
निर्देशक इन सभी को मार्गदर्शन देते हुए, फिल्म तैयार करता है औरफ़िल्म निर्माता निर्माण के लिए, अपना धन लगाता है ।
फिल्म बन जाने पर, वितरक या Distributor = डिस्ट्रीब्यूटर , फिल्म को दुनियाभर में प्रदशित करने के लिए खरीद कर, बेचते हैं। हम और आप जैसी, आम - जनता , तब ये फिल्म देखती है। या चित्र घर में या थिएटर्स में या फ़िर डी वी डी जब बाज़ारों में आ जातीं हैं तब घर पर लाकर भी हम फिल्मों को देख लेते हैं । कई सारे व्यवसाय इन से, इंडिरेक्टली जुड़े हुए हैं । संगीत सीडी, डीवीडी ,की खपत भी करोड़ों में होतीं हैं । अच्छी लगे तो फिल्म हिट और बहुत बढिया फिल्म सुपर हिट ! या कदाचित, डिब्बे में, बंद रहने के लिए, उतार ली जाती है और फ़ैल हो जाती है या पिट जाती है।
भारत विश्व का सर्वाधित फिल्म उत्पादक देश है। इस मामले में, भारतीय फ़िल्म व्यवसाय ने दूसरे नंबर पर आनेवाले, अमरीकी फिल्म निर्माण संस्था होलीवुड को भी पीछे छोड़ दिया है ।
फ़िल्म, आम जनता के लिए, एक सस्ता और सुलभ मनोरंजन है । इसे आम जनता के लिए उपलब्ध कराना,यही हिन्दी व प्रादेशिक भाषाओं में बन ने वालीं फिल्म निर्माण का, मुख्य लक्ष्य है। धन उपार्जन इस का मूलभूत कारन भी है । ये एक बहुआयामी और अत्यन्त विशाल व्यवसाय है।
बोम्बे या बम्बई नामक शहर में , भारतीय सिने संसार प्रमुखत: विद्यमान हैबंबई का नामकरण " मुम्बा देवी " से अब " मुम्बई " कर दिया गया है । बोम्बे नगरी में बसी यह इंडस्त्री इसी कारण से , बोलीवुडके नाम से , जग प्रसिध्ध हो गयी है ।
City named " Bombay " now known as " MUMBAI "
is the capital of Film Industry hence it is also known ,
the world over as " BOLLYWOOD " --
Thus, a new word has been coined & was accepted which is quite similar to " Hollywood"! Hollywood is in WEST mainly, situated in the Golden Sun Shine State ,in North America's California State , in the city of Los ~ Angeles.
बहुत बड़ी तादाद में, लोग , BOLLYWOOD= भारतीय चलचित्र निर्माण
संस्था में कार्यरत हैं और भारत सरकार, फिल्म निर्माण पर लगे कर से आमदनी से, टैक्स से , भरपूर आय प्राप्त करती है ।
भारत में, क्रिकेट के साथ, सिनेमा या फ़िल्में ही शायद सबसे ज्यादा लोकप्रिय विधा है। फिल्म का प्रथम प्रदर्शन, माने प्रीमियर, फिल्म फेस्टिवल, अवार्ड्स ,
ये भी फिल्मों के ही बाय - प्रोडक्ट्स हैं । ये भी, इस विशाल व्यवसाय के विभिन्न पहलू हैं और भी कई बारीक बातें हैं......जिनकी चर्चा, फिर कभी ...
श्रीमान राज कपूर साहब, भारतीय फिल्म उद्योग के बेहद लोकप्रिय ,
कई किरदार को सफलता से जीते हुए , दुनियाभर में प्रसिद्धी प्राप्त , जगमगाते नक्षत्र हैं। " राज साब " के प्यारभरे संबोधन से पुकारे जानेवाले राज कपूर,' कपूर खानदान ' के यशस्वी स्तम्भ हैं । फिल्म तथा रंगमंच के कलाकार, अग्रज श्री पृथ्वी राज कपूर जी व् उनकी धर्मपत्नी श्रीमती रमादेवी ( जिन्हें हम सब " चाईजी " पुकारा करते थे ) उनके सबसे बड़े पुत्र हैं राज साब ! मंझले हैं श्री शम्मी कपूर जी और सबसे छोटे भाई हैं श्री शशि कपूर साहब । यहां नीचे के चित्र में देखिये , जनाब शम्मी कपूर, अपने फिल्मी किरदार के लिए मेक - अप करवा रहे हैं ।" पंढरी जूकर " यहां इनके मेक - अप मेन हैं। कुर्सी पर बैठे हुए हैं शम्मी कपूर !! तैयार होकर, उठते ही, किरदार को अपनाकर वे बन जायेंगें कोई नये शख्श :) एक नया किरदार जीवित हो जाएगा और एक फ़िल्म बन कर तैयार हो जायेगी ।
मेरी यादों में रीतू के अति भव्य विवाह की कई बातें, आज भी सजीव हैं। सच,
ऐसी शादी आज तक देखी नहीं ! यहां नीचे के चित्र में, श्री राजन नंदा व रीतू दुल्हा दुल्हन के भेस में देख्लाई दे रहे हैं ।बाबा रे ! क्या क्या नहीं देखा वहां ~
चारों तरफ़ एक नवीन कार्यक्रम जारी था शादी की रात ....एक और था
भारत कोकीला, भक्तगायिका, MS सुब्बालक्षमी जी का अद्`भुत गायन !
तो दूसरी ओर " बल्ले बल्ले " के स्वर उठ रहे थे जहाँ, पंजाब से आये, मशहूर, भांगडा ग्रुप का एक धमाकेदार डांस जारी था !! एक तरफ हेमा मालिनी नामक ( नई हिरोइन का ) भारत नाट्यम नृत्य हो रहा था !
रोमेनिया से आयी, एक परदेसी नृत्यांगना का कैबरे भी हुआ था जिसे बंगाल से आये, श्री सत्यजीत रे और मेरे पापा जी ने, उपेक्षित भाव से, पीठ किये,
अपना वार्तालाप जारी रखा था, उसकी भी स्मृति शेष है :-)
बाराती समुदाय, दुनियाभर के हर प्रदेश से, मजे लूटने आ पहुंचे थे । वर और कन्या पक्ष ने मिलकर जश्न की रात, खूब दावत और मिलना जुलना,
मौज - मस्ती का आनंद , बेहतरीन खाना पीना, शैम्पेन, की अविरल धारा और वेज, नॉन वेज और चाईनीज़ , एक से बढ़कर एक, खाने की आइटम, साथ में एक तरफ़ ,पसीने से लत - पथ, मोटी ताज़ी पंजाबन " तारी " नाम की एक महिला ( जो अकसर भाभी जी के यहाँ दावतों में तंदूरी रोटी बनाती दीख जाती थी ) का , तंदूर से, गर्मागर्म सींकीं भरवां तंदूरी रोटियाँ निकालना, ये भी जारी था जो भुलाए नहीं भूलता! कैसा विस्मयकारी दृश्य था जो भूलाये नहीं भूलता और आज तक वह मुझे याद है !
फिल्मी दुनिया या आभासी जगत के पीछे, असली इंसान भी रहते हैं।
उनकी अपनी जिंदगानी होतीं हैं। प्यार और समर्पण और बिछोह के किस्से होते हैं। जो किस्से कहानियां हम फिली सुनहरे परदे पर देखते हैंउन में अक्सर किसी के असली जीवन का सच भी छिपा होता है। हरेक कथा में, शोलों में
दबी ढँकी, कोइ चिंगारी भी अवश्य होती है। यदि आपको चित्रपट का आनंद लेना है तब, सिनेमा को मनोरंजन समझिये जहां आप सिर्फ ३ घंटे और कुछ संपत्ति का खर्च कर रहे हैं, फिर आगे बढ़ जाईये, इसी में सुख है।
बाकी, गडे मुर्दे उखाड कर, क्या लाभ ?
चित्र : यहां, सह कलाकार, राज और नर्गिस जी सहज मुद्रा में -
आज भी इनके द्वारा अभिनीत गीत, सबसे ज्यादा पसंदीदा गीत - या कहें तो
" सदाबहार - गीत " कहलाते हैं और जन मानस को आज भी लुभाते हैं ।
इन दोनों की रोमांटिक जोड़ी ने सफलता के नये पैमाने कायम किये हैं ।
अब इस नीचे वाले चित्र में, राज कपूर एक वत्सल पिता की छवि में दीखलाई दे रहे हैं ।अपनी युवा बेटी रितू के गाल चूमकर आर्शीवाद देते हुए, यही छवि मुझे आज भी प्रभावित करती है। एक और वाक़या सुनाऊं -
रीतू की शादी की अगली रात थी ।सारे लोग, समधियों की ओर से दी गयी "
" संगीत संध्या " में शामिल होने गए हुए थे। मैं, अस्वस्थ थी, तो नहीं गयी !
मैं और रितू, उनके घर के खुले बागीचे में , टहलने लगे। वहाँ बाग़ के किनारे किनारे, आसपास ऊंची बेंत पर सजाये,कई रंगों के बिजली के लट्टू - बल्ब जगमगा रहे थे। टहलते हुए मैंने रितु से कहा, " मुझे नीली रोशनी लिए बल्ब ही सबसे ज्यादा पसंद आये " और रीतू ने किसी को आदेश दिया,
और सिर्फ नीले लट्टूओं को रखने का आग्रह किया।
अगले दिन, विवाह की संध्या को, सिर्फ़ नीली रोशनी बिखेरते रोशनी के लट्टू ही जले थे ये भी याद है ।
फिर, शशि कपूर जी पधारे और हम लोग घर के भीतर चले गए थे ....
बीस्तर में सोने की तैयारी कर ही रहे थे के राज पापा आ गए और कहा,
" आज तो मुकेश्चंदर ने मुझे रूला दिया बेटे ..सुनो , ये बिदाई का गीत उसने गाया है तेरे लिए ...
" लाडली मेरे नाजों की पाली, तेरी डोली चली, मोतियोंवाली " ...
और राज अंकल ने यह गीत गाना शुरू किया ...
काश, उस वक्त , इसे रिकॉर्ड कर लिया जाता !!
पर यह छवि तो एक पिता की है, जिसे, हम सिर्फ महसूस करें .............
मुकेश जी की बड़ी पुत्री का ब्याह भी होने ही वाला था और उसका नाम भी था रीता / Rita ...और पुत्री के विदाई का गीत गाकर, मुकेश जी अस्वस्थ हो गए थे ये सब , राज साब ने हमें , विवाह की पूर्व रात्रि को बतलाया था ।
गीत हसरत जयपुरी जी ने लिखा और इस गीत की ४ लाइन, फिल्म
" सत्यम शिवम् सुंदरम " में, नायिका, जीनत अमन की शादी के प्रसंग में
राज जी ने रखीं हैं । रीतू के लिए तैयार किया गया पूरा गीत प्राइवेट गीत है और बहुत मार्मिक है।
२००९ की इस पावन दीपावली पर उपस्थित गणमान्य साहित्यकार व साथीगण, आप सभी को पुन: दीपावली पर नमन व मंगल कामनाएं
खूब जगमगाई इस वर्ष " दीपावली " आपसी मित्रता की यह ज्योति ,
भेदभाव, शत्रुता तथा कटुता का कालिख मिटाकर,वास्तव में, प्रकाश फैलाए यही कामना है।
आप सभी ने मेरे जाल घर पर पधार कर, आत्मीयता से ओत- प्रोत टिप्पणियाँ रखीं हैं उनके लिए हार्दिक आभार कहती हूँ ...जो आते हैं, पढ़ते हैं .................परंतु टिप्पणी नहीं करते, उन्हें भी मेरे अभिवादन ...
हो सके तो, अपने मन में आयी प्रतिक्रया भी लिखें ..
मेरा जालघर आपका भी है।
अनुज श्री पंकज भाई जी, आपके सुझाव, ध्यान से सुन रही हूँ :)
देखिये भाई श्री पंकज सुबीर जी का ब्लॉग
http://www.subeerin.blogspot.com/
ये प्रविष्टी भी, संस्मरण की एक कड़ी स्वरूप लिख रही हूँ ....
धन्यवाद ...शुक्रिया ....शुभम भवति ..
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