होली का त्यौहार हमारे शहर के हिन्दू मन्दिर के सौजन्य से संपन्न हुआ - रास्ता एक संकरी गली से गुजरता है और वहां यातायात ठप्प था ! जैसा यहां होता है जब् किसी भी व्यक्ति की तबियत ख़राब हो जाती है , फ़ौरन एंबुलेंस आ जाती है । यहां ९११ डायल किया जाता है । वही इमर्जेंसी लाइन है जिससे पुलिस, स्वास्थ्य विभाग तथा आग निरोधक दस्ते , बस मिनटों में रवाना किए जाते हैं !
ऐसे ही किसी के ऊपर ऐसी तकलीफ आयी थी और रास्ते के दोनों ओर लोग संयम से राह देखते हुए , खड़े थे अपने अपने वाहनों को रोके हुए ! हल्की वर्षा भी हो रही थी -
जो भी होगा ईश्वर उसे स्वस्थ रखें ! " सर्वे भवन्तु सुखिन: "
होली से जुड़े गीत तथा श्री कृष्ण तथा राधा और गोप - गोपियों के संग होली का उत्सव भारत में , मनाया जाता है वैसा आज , विश्व के हरेक प्रदेश में उसी उत्साह तथा प्रेम से मनाया जाता है ।-
हां , जी , क्यों नही , भला भारतीय मूल के लोग अपने त्योहारों को कैसे भूल जाएँ ?
हमारे विरासत में मिले यही संस्कार , एक नये सिरे से , नई भूमि पर ,
जड़ें जमाने की कोशिश में हैं ।-
बहुत से देशों से आ कर बसे लोग भी इसी तरह अपने अपने त्यौहार तथा दुसरे रीत रिवाज , हमारी तरह , यहां भी जारी रखते हैं ।
इटालियन हों या जर्मन या आयरिश या चीनी या भारतीय ! सभी ऐसा करते हैं
अश्वेत लोग क्रिसमस शायद उतने उत्साह से नहीं मनाते जितना क्वांज़ा नामक त्यौहार मनाने लगे हैं !
ये गीत नृत्य , " मधुबन में कभी कान्हा किसी गोपी से मिले, राधा कैसे ना जले ....राधा कैसे ना जले "ऐ आर रहमान के "लगान " फ़िल्म के गीत पर किया गया था --
२ कृष्ण थे ? ना ना ... ...शायद १ बलदाऊ भैया थे ! ;-)
फ़िर बारी आयी नवरंग फ़िल्म के गीत " जा रे हट नटखट ..." गीत की ॥
नन्ही सी लडकी ने मुखौटा लगा कर बहुत सुंदर नृत्य किया ।
एक तरफ़ स्त्री और दूसरी तरफ़ पुरूष का अभिनय , नृत्य के संग किया और उल्टे हाथों से ढोल भी बजाया और खूब तालियाँ बटोरीं !!
शाबाश बिटिया रानी !!
आप अभी महज १० साल की हो और इतना गज़ब किया वाह !!
अब मंच पर बहुत सारी अमरीकी कन्याएं भी आ गयीं और खूब बढिया नृत्य किया। सही शब्दों पर, सही भाव भंगिमा , सही अभिनय ने साबित कर दिया की प्रेक्टीस, जम कर की गयी है और उत्साह भी भरपूर है !
-- जीती रहो ..खुश रहो बच्चियों !!
होली मुबारक हो !!
और अंत में , हमारे नज़दीक ही किशन कन्हैया जी मुरली थामे , ये प्यारा सा पोज़ देकर मुस्कुराते हुए , फोटो खींचवाने खड़े हुए हैं ! देखिये ना ...
ऐसा है ना, मन प्रफुल्लित करने के लिए सुंदर सुंदर रंगबिरंगे फूल , तितली, बाग़ बगीचे , समुन्दर में बल्खातीं लहरें, चन्द्रमा से दमकता रात का आकाश, अंधेरे में जगमगाते जुगनू, मयूर पक्षी का नृत्य, हंसो का जोड़ा , सारस के संग सरोवर का जल , हल्की फुहारें , पके हुए आम्र से आच्छादित वृक्ष , नारीकेल के लहराते पेड़ , सागर किनारा , गंगा की निर्मल धारा , जल प्रपात , विहंगम परबत , घर का आँगन और तुलसी के समीप रखा दीपक !
ये सारे ऐसे द्रश्य हैं जो मन को शीतल करते हैं आत्मा को सुख पहुंचाते हैं और मन को शांति देते हैं ...
- और इन सारे नामों के साथ , बच्चों की भोली - मुस्कान भी शामिल कर रही हूँ .....
उन्हें देख कर , परदेस में भी , बचपन के मेरे अम्मा पापा जी के आश्रम जैसे पवित्र घर में , युवावस्था में मनाई होली याद आ गयी !
....पास पडौस के सारे परिचित , मित्र का सुबह सुबह आ जाना ....
जयराज अंकल, वामन अंकल, हिंगोरानी परिवार , भाटिया फेमेली , स्वरूप जी , पदमा खन्ना दीदी और पारीख आंटी जी, मेरी सहेलियां मीना और गीतू ....याद आए ...और मेरी बहन वासवी जो अब जीवित नहीं है ..और बांधवी और भाई परितोष !
....कितना आनंद आता था !
...आज यादें हैं ...और आज का समय और सच साथ है .
.......अब , अगले साल की प्रतीक्षा रहेगी ..........
" दिन आए , दिन जाए ,
उस दिन की क्या गिनती ,
जो दिन, भजन किए बिन जाए ...."
गीत गायिका : लातादी , शब्द : पण्डित नरेंद्र शर्मा ....
-- लावण्या
Sunday, March 15, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
25 comments:
आप लोग होली पर रंग नहीं खेलते? उस के बिना तो होली का मजा ही नहीं।
कुछ तो खेला ही जा सकता है।
नहीँ दिनेश भाई जी,
घर लौटने की जल्दी थी ..
शायद जो रुक गये थे
उन्होँने खेली थी (गुलाल लगाकर) -
मैँ जिनके सँग गई थी
उन्हेँ जल्दी थी सो आ गये ..बस !
बडे शहरोँ मेँ ज्यादाह धमाल होता है जैसे ह्युस्टन- टेक्सास मे १० हज़ार लोग रँगोँ से होली खेले ऐसा सुना --
- लावण्या
मन प्रसन्न हो गया जानकार की हमारी संस्कृति सात समुन्दर पार भी यथावत है. बहुत आभार.
चलिए परदेस में भी होली तो मनाई और वह भी बिल्कुल अलग ढंग से।
घुघूती बासूती
असली होली तो आप लोगो ने मनायी सकून से . हमारे यहाँ तो फूहड़ हिंदी गाने पर नाच कर मनाते है पूरी बेहूदगी के साथ होली
अच्छी रही जी होली रिपोर्टिंग और उसके पहले हम भी उस रुग्ण व्यक्ति के लिए आपके साथ मंगलकामना करते हैं.
होली की शुभकामनाएं। जब पीछे छूट जाते हैं अपने, तब ही बहुत याद आते हैं। साथ रहने में तो हम प्रेम को अनदेखा कर देते हैं। रपट बेहद अच्छी थी।
देश से बाहर लगता है की अच्छे से त्यौहार मनाये जाते हैं :) बहुत अच्छा लिखा आपने
छोटे से कृष्ण जी तो वाकई बड़े प्यारे लग रहे है ।
हमने तो यहाँ खूब होली खेली ।
पर हाँ अब होली में वो बात नही जो पहले होती थी ।
आपकी होली का विवरण बहुत अच्छा लगा. देश के बाहर हमारे मंदिर ही संस्कृति के दूत हैं.
कुछ अलग रहा, मगर धूम रही!
---
गुलाबी कोंपलें
bahut achi post chitar bhi bahut khub !
मुझे लगता है,देश से दूर रहने वाले रीति रिवाजों,पर्व त्योहारों,भाषा इत्यादि से कुछ अधिक ही जुडाव महसूस करते हैं...इन सबके बीच रहकर अघाये हुए लोग ही इनकी उपेक्षा करते हैं...
बड़ा ही सुखद लगा आपलोगों का यह उत्सव मानाने का अंदाज देखना!!!
बहुत अच्छा लिखा है आपने !
बहुत सुंदर होली पोस्ट लिखी आपने. आपके अनुभव और भावनाएं बहुत अच्छी और सुखद लगती हैं.
पोस्ट का समापन
" दिन आए , दिन जाए ,
उस दिन की क्या गिनती ,
जो दिन, भजन किए बिन जाए ...."
से करना दिल को छू गया. बहुत शुभकामनाएं आप्को होली की.
रामराम.
समझ लीजिये त्यौहार के बहाने मिलना भी हो गया ओर परदेस में एक साथ देस की याद बाँट ली
आपकी पोस्ट बहुत ही अच्छी लगी...चित्र भी काफी अछे हैं ...आभार !!!
अमरीकी बालाओं की नृत्य की फोटो बहुत भाई! धन्यवाद। ये लोग जीना जानते हैं।
लावण्यम् जी बहुत ही सुंदर लगी आप लोगो की होली, हम लोग भी यहां होली का उत्सव कुछ ऎसे ही मनाते है बस रंग का एक टिका लगा लिया, ओर सब ने मिल्ल कर गप्पे मारी, ओर सब ने मिल कर खाना खाया,( सारा खाना सभी लोग घर से बना कर लाते है)ओर खुब बाते करते है
धन्यवाद
अरे देर ही सही, होली की शुभकामनाएं तो ले लें। अच्छी प्रस्तुति।
वाह यह भी होली का एक रंग !
मन खराब हो गया पढ़कर.. एक तरफ विदेशो में लोग होली मना रहे है.. और यहाँ हम खुद ही अपने त्योहारो को भुलाए बैठे है..
वैसे यहाँ भी 108 न. एंबुलेंस, पुलिस या किसी भी एमरजेंसी के लिए है जो तुरंत अपनी सेवाए देती है..
बहुत मन भावक फोटो थे पूरे कार्यक्रम के...साधुवाद आपका हमें भी दिखाने के लिए...
नीरज
waah!
aap ne bahut sundar chitron ke saath holimay post prastut ki hai.
anand aa gaya.
अच्छी पोस्ट, पसंद आया विवरणात्मक आलेख.
आप सभी की टीप्पणियोँ का शुक्रिया
-लावण्या
Post a Comment