दीपक जोय कहा करूँ, सजनी हरि परदेस रहावे
सूनी सेज ज्यूँ लागे सिसक सिसक जिय जावे
नयन निद्रा नहि आवे
कब की ऊभी मैँ मग जोऊँ , निस दिन बिरह सतावे
कहा कहूँ कछु कहत न आवे, हिवडो अति अकुलावे
हरि कब दरस दिखावे
ऐसो है कोई परम सनेही, तुरँत सँदेसो लावे
वा विरियाँ कब होसी म्हाँको, हरि सँग कँठ लगावे
मीरा मिल होरी गावे
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पँथ निहारूँ
प्राण सखा का पँथ निहारूँ
बारूँ चँदा दीप !
सुर बिन प्यारे मुरलिया सूनी,
बिन बसँत के बगिया सूनी,
कन्त बिन सूना सब जीवन,
मोती बिन ज्योँ सीप !
शून्य पथ, मुँह मोड न पाऊँ !
आशा का जी तोड न पाऊँ !
पर कैसे, मन, समझाऊँ , क्योँ ~~
प्रीतम नहीँ समीप !
- पण्डित नरेन्द्र शर्मा
होली और बसंत हो , फागुनी बयार हो और बिरह व्यथा से अवसादित मन हो ये हमारे साहित्य में मार्मिकता से कविता तथा कथा वार्ता में , बखूबी दर्शाया गया है ।-- लावण्या
30 comments:
Lavanya Di
Nice poems and write up too.
Pranam to papaji.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
लावण्या जी अति सुंदर कविता के लिये
आप का धन्यवाद
लावण्या जी,
सुन्दर कविताओं और चित्रों के लिए आभार! पंडित जी की कविताओं की तो बात निराली है ही, भक्ति-काल की महान कवियित्री मीराबाई की रचनाओं को तो मैं विश्व की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में गिनता हूँ, जो देश-काल की हर सीमा से परे हैं.
सुंदर कविता
समयचक्र: रंगीन चिठ्ठी चर्चा : सिर्फ होली के सन्दर्भ में तरह तरह की रंगीन गुलाल से भरपूर चिठ्ठे
स्वर्गीय पूज्य नरेन्द्र शर्माजी की स्मृति को प्रणाम ।
सुन्दर कविता के लिये धन्यवाद, होली की शुभकामनायें।
इस अवसर पर आप ने मीरा का स्मरण करा दिया। वह जीवन भर कृष्ण में ही अवस्थित रही। उन का प्रेम और विरह केवल लौकिक था। वे तो खुद कृष्ण मय थी और सारी दुनिया भी उन के लिए कृष्णमय थी।
बहुत ही मनोहारी चित्रों से आपने इन दोनो ही कालजयी रचनाओं का आनन्द कई गुना बढा दिया.
महारानी मीरा की रचनाएं भक्ति की पराकाष्ठा है और पंडित जी की रचनाएं तो अपने शब्दों से अलग ही विश्व का निर्माण करती हैं. उनका कोई मुकाबला नही है.
आपको बहुत धन्यवाद. परिवार सहित आपको होली की बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
उदास अलसाये मौसम में मीरा और शर्मा जी की रचनाओं में व्यक्त आलौकिक विरह वेदना अंतर्मन भिगो गईं . साधुवाद
जितने सुंदर और मनमोहक चित्र उतनी ही सुंदर कवितायें ।
आपको और आपके परिवार को होली मुबारक हो ।
पण्डित नरेन्द्र शर्मा जी की कवित ने मन के कई सुषुप्त परतों को उकेरा -होली पर रंगमय आदर्भरी शुभकामनाएं !
पोस्ट का धन्यवाद दी...!
आपको होली के पर्व की शुभकामनाएं
Lavanyaji, Beautiful pictures n beautiful poem
Wish u a very happy HOLI
लावण्या जी बहुत सुंदर चित्र और उससे सुंदर कविताएँ । बधाई होली की भी और प्रस्तुति की भी ।
Adbhut Chitra....Waah
आपको होली की शुभ कामनाएं ...
नीरज
होली की आपको और आपके परिवार में समस्त स्वजनों को हार्दिक शुभकामनाएँ
सुन्दर! हे कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे!
भक्ति रस से सन गया मैं।
सुन्दर चित्रों के साथ अपनी बात कहने में आपका कोई जवाब नहीं है.....होली की शुभकामनाएं!
विरह के रंग में रंगी रचनाओं ने व्याकुल कर दिया..हरि नहीं समीप ,,,पिया भए परदेस..
आपके पिताजी की लेखनी से जन्मी सभी रचनाएँ अनमोल विरासत हैं.
मन को मोरा झकझोरे छेड़े है कोई राग
रंग अल्हड़ लेकर आयो रे फिर से फाग
आयो रे फिर से फाग हवा महके महके
जियरा नहीं बस में बोले बहके बहके...
हिंदी ब्लोगेर्स को होली की शुभकामनाएं और साथ में होली और हास्य
धन्यवाद.
adbhut kavitayen hain!
chitr bhi itne sundar hain bas!
in kavitayon ki prastuti ke liye aap ka abhaar.
Holi parv ki shubhkamnyon sahit..
alpana
Bahut sundar kavita
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होली के शुभ अवसर पर,
उल्लास और उमंग से,
हो आपका दिन रंगीन ...
होली मुबारक !
'शब्द सृजन की ओर' पर पढें- ''भारतीय संस्कृति में होली के विभिन्न रंग''
अनुपम मनोरम चित्रों व रचनाओं की प्रस्तुति के लिये आभार
.होली की बहुत-बहुत बधाई.
www.dwijendradwij.blogspot.com
Nice pictures and nice poem...
aapko holi ki shubhkaamnaye...
बहुत सुंदर रचना... होली की हार्दिक शुभकामनाएँ...
लावण्य दी, आपको पूरे परिवार समेत होली की हार्दिक शुभकामनायें।
अलौकिक. तुलनात्मक प्रस्तुति सशक्त रही. पडितजी को नमन. आभार.
हम इसे चूक ही जाते. कुछ दिनों से नेट की मेहरबानी रही.
होली मुबारक......
मनमोहक चित्रों और हृदयस्पर्शी रचनाओं ने मुग्ध कर लिया........बहुत बहुत आभार आपका..
आप सभी की टीप्पणियोँ का शुक्रिया
-लावण्या
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