"पापा यू आर ग्रेट"
टसकीगी वायुसेना का दल : राष्ट्रपति ट्रुमेन के समय मेँ और आज ओबामा के साथ : सन २००७ मेँ उस वक्त सीनेटर रहे ओबामा ने इन्हीँ बहादुर जाँबाज़ विमान चालकोँ को याद किया था
टसकीगी एरमेन का दस्ता द्वीतिय विश्व युध्ध मेँ अमरीकी राष्ट्रपति हैरी ट्रुमेन की सता के तहत
बहादुरी की मिसाल कायम कर चुके थे परँतु सम्मान और समान दर्जा हासिल नहीँ कर पाये थे.
उसके बाद रेवरँड मार्टीन ल्युथर कीँग ने,
" मेरा एक स्वप्न है कि मै , समानता और प्रेम देखूँगा ."
का सँदेस दिया था जिसके बाद उनकी निर्मम हत्या की गई ..
और आज ओबामा के राष्ट्रपति पद पर नियुक्ति पर,टस्कीगी के बहादुरोँ को सम्मानीय अतिथि की हैसियत से ओबामा का बुलावा पहुँचा था जो, बदलाव का सूचक है लोगोँ का आमूल ह्रदय परिवर्तन भी एक स्वप्न ही है .
जो सत्य होते शायद हम कभी ना देख पायेँगेँ परँतु,
बदलाव जारी रहने की खुशी भी है .
टसकीगी विमान दल के बारे मेँ अधिक जानकारी पढने क लिये लिन्क हैँ यहाँ
ttp://www.nytimes.com/2008/12/10/us/politics/10inaug.html?_r=1&scp=3&sq=Tuskegee%20air%20men&st=cse
टसकीगी विमान दल : आज ~~~
हिन्दी ब्लोग जगत पर, बहुत सी प्रतिक्रियाएँ पढने को मिलीँ टसकीगी विमान दल : आज ~~~
- घुघूती जी ने लिखा -
और कुन्टा किन्टे सफल हो गया~~ और ये है
" ~~~
सफेद घर में काले आदमी का प्रवेश,
अनूप "सुकुल जी " का कहना था ओबामा एक ठो इधर भी लाओ यार
जापान मेँ आज भी एक सामाजिक असमानता और अवरोध मौजूद हैँ यह पढ कर विस्मय हुआ -बुराकु जाति के लोग आज भी उच्च पद पर आसीन नहीँ हो पाते और वे भी शौचालय साफ करना, मृत देह की अँतिम क्रिया जैसे कार्योँ को करते थे आप भी देखिये लिन्क : Japan — For Japan, the crowning of Hiromu Nonaka as its top leader would have been as significant as America’s election of its first black president. Taro Aso, By NORIMITSU ONISHI
('http://www.nytimes.com/2009/01/16/world/asia/16outcasts.html')
पिछले दिनोँ ये फिल्म देखी और उस पर कई प्रतिक्रियाएँ भी पढीँ - अमरीका मेँ जब बास्केट बोल का खेल हो और गेँद नेट मेँ निशाने से पार हो जाये उसे कहते हैँ " स्लैम डँक़ " यही किया है इस फिल्म स्लम डोग ने और अमरीकी आदत हमेशा "अँडर डोग " माने जो सर्वथा माइनस लिये हो उसके पक्ष मेँ सहानूभुति जताने मेँ अव्वल है सो, ये "अँडर डोग " बालक की गाथा भी विजयी हुई बोक्स ओफिस पर "वर्ड ओफ माउथ " माने एकदूसरे के कहने से सर्वाधिक लोकप्रियता प्राप्त करने मेँ सफल हुई है - "गोल्डन ग्लोब विजेता रहमान को लोग पहचानने लगे हैँ ..और स्लेम डँक़ - अँडर डोग मीलीयेनर"
सफल फिल्म हुई है - ये भी देखिये --
"पुस्तक एडविना और नेहरू के बहाने गाँधी " ~~~
मेरी नानी जी "कपिला बा " अक्सर कहा करतीँ थीँ, " देवता भी इन्सान के बनाये हुए हैँ और देवता से दूरी ही भली "
गुजराती मेँ सुलगते हुए कोयले को भी "देवता " ही कहते हैँ ~~ उनका यही आशय था, कि हर सँत, मुनि, लीडर,नायक वगैरह से दूर से "राम राम " करो, हाथ लगाने से जलने की सँभावना है -
मेरी अम्मा की सीख भी यही रही,
"अपने घर की सात्विकता और शाँति और सुख को सर्वोपरि रखना ही सबसे श्रेष्ठ है "
और हम तो यही कहते हैँ कि,
( कृप्या इन ब्लोग प्रविष्टीयोँ पर click करेँ और पढेँ )
"समय ! धीरे धीरे चल !"
,
28 comments:
लावण्यम् जी अगर मै अमेरिकन होता तो शायद मुझे खुशी होती , या मेरी नगरिकता अमेरिकन होती तो मुझे खुशी होती,
अब बेगानी शादी मे अब्दुला दिवाना....:)
मेरी इस टिपण्णी से नारज ना होये, क्योकि जो सच है वो ही मेने अपने दिमाग से लिख दिया, खम्खां मे झुठ मुठ मुझे नही आता.
धन्यवाद
राज भाई साहब,
सच ही तो लिखा आपने ...
मुझे खुशी इसी बात की है कि
"बदलाव जारी है "
कल से आज का अच्छा होना
एक कदम और
सफल होने की निशानी है ...
और अमरीकी राष्ट्र प्रमुख से
विश्व भर के अन्य राष्टोँ के साथ
कैसा व्यवहार
और आदान -प्रदान होता है
उस पर भी भविष्य की दिशा
का निर्माण होता है -
शाँति और समानता की चाह हमेशा उसे होती है जो उस मकाम को चाहता है -
हम लाख शाँति चाहेँ ,
हमारे दुशमन जब हथियार त्यागने की बात करते हैँ
तभी तो सच्ची सुलह होती है
श्वेत और अश्वेत समाज के बीच की गहरी खाई, क्षेत्रीयवाद, वर्ण व्यवस्था और दलित, पिछडे तबके को समानता मिलने की क्रिया मेँ हर कदम सराहनीय ही रहेगा
ऐसा मैँ मानती हूँ .
.खैर !
बदलाव किसी जादू की छडी से सँभव नहीँ होते ..
ऐसे सामूहिक
छोटे प्रयासोँ से ही होते हैँ ..
बस !
मेरी आशा यही है ..
विश्व भर मेँ मान्यता हो
मुक्ति के और शाँति के सँदेश की
- लावण्या
बदलाव जारी है -जी..बिल्कुल जारी है और न जाने कितनी नजरें उम्मीदें लिए खड़ी है.
आपने ओबामा के मुद्दे पर तो बढ़िया चिठ्ठाचर्चा कर डाली। और नोरीमित्सु ओनीशी का न्यूयॉर्क टाइम्स का लिंक देने के लिये धन्यवाद।
परिवर्तन कभी नहीं रुकता, वही तो समय है। परिवर्तन रुक जाए तो समय की मृत्यु हो जाती है। उस का लक्ष्य क्या है किसी को नहीं पता। वह चलता रहता है निरंतर, निरंतर...
बहुत अच्छा लगा आपकी पोस्ट पढ़कर। ओबामा की बिटिया का अपने पिता को बधाई देते हुये चित्र शानदार है। जाबांज हवाबाजों के बारे में लिंक देने का शुक्रिया।
बढियां और समय से लिखा आपने -कई बातें मन में उमड़ घुमड़ रही हैं ! उधर रीयल जीवन का एक कथित स्लम डाग (अश्वेत ) अमेरिका का राष्ट्रपति बन बैठा और लगभग उसी समय रील लाईफ का एक मुम्बईकर स्लम डाग करोड़पति बन गया ! यह एक बड़ा पैराडायिम बदलाव तो है ! पर रीयल लाईफ के अमरीकी स्लम डाग तथा इस तीसरी दुनिया के स्लम डाग को लेकर पशिमी जगत के रिस्पांस में साफ़ अन्तर है -यहाँ का स्लम डाग दया , हिकारत, विस्मय का पात्र है और खबर्दारिया शैली में प्रोजेक्ट किया गया है इस संकेत के साथ संभलो यह साला कुत्ता भी हमारी बराबरी पर आ सकता है !
मैं विश्व की इन सायोंगिक समांतर घटनाओं के साम्य ,वैषम्य और विरोधाभांसों की पड़ताल कर रहा हूँ लावण्या जी !
लावण्या जी,
आपकी पोस्ट, चित्र तथा मार्टिन लूथर किंग और टसकीगी वायुसैनिकों का ज़िक्र, सभी कुछ अच्छा लगा. हम रहें न रहें, असत से सत् की ओर यह प्रगति तो सतत चलती ही रहेगी.
टसकीगी वायुसेना के जाँबाज़ विमान चालकोँ की हीम्मत ने ही भेदभाव के किवाडोँ मेँ पहला प्रहार कर दरवाजे खोले थे
ऐसे ही शनै शनै बदलाव आते हैँ ..
~ "असतो मा सत गमय्`,
तमसो मा ज्योतिर गमय्`
- लावण्या
बेहद उतकृष्ट पोस्ट. मैं तो आपकी प्रतिटिपणि के कवितामयी शब्द ही यहां प्रयोग करना चाहुंगा.
बदलाव किसी जादू की छडी से सँभव नहीँ होते ..
ऐसे सामूहिक
छोटे प्रयासोँ से ही होते हैँ ..
बस !
मेरी आशा यही है ..
विश्व भर मेँ मान्यता हो
मुक्ति के और शाँति के सँदेश की
बहुत बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
बदलाव जारी रहे तो अच्छा है हम सबके लिये
चित्र और पोस्ट दोनों शानदार है ..बदलाव होना अच्छा लगता है ..और अब उसी का इंतजार है
आपके भीतर सबसे अच्छी बात है हर बात में आशा को खोजना ....शायद ये दृष्टि आपको स्वीकार्य ,उर्जावान ओर एक बेहतर मनुष्य बनाये हुए है....
हमें भी उम्मीद है....बस सब भविष्य की गोद में है...पर ये परिवर्तन वास्तव में उल्लेखनीय है.
आभार इतनी जानकारी भरी पोस्ट के लिए.
anuraag ji ka sher hai.. jo unki gaandhi wali post ka title bhi tha..
"kareeb jakar chhhote lage
wo log jo aasman the......"
चित्र और पोस्ट दोनों शानदार है
aap ki lekhni dhardar he
आभार इतनी जानकारी भरी पोस्ट के लिए !
परिवर्तन सृष्टि का नियम है.और हर परिवर्तन अच्छे के लिए हो ऐसी सभी आशा लगाये रहते हैं.
उम्मीद है ओबामा का चयन भारत के लिए भी अच्छी खबरें लाये.
जापान के बारे में नई जानकारी मिली.
बहुत जानकारियाँ मिली हैं इस पोस्ट के जरिए.
आभार सहित..
परिवर्तन सृष्टि का नियम है.और हर परिवर्तन अच्छे के लिए हो ऐसी सभी आशा लगाये रहते हैं.
उम्मीद है ओबामा का चयन भारत के लिए भी अच्छी खबरें लाये.
जापान के बारे में नई जानकारी मिली.
बहुत जानकारियाँ मिली हैं इस पोस्ट के जरिए.
आभार सहित.
लावण्या दी
सच है | परिबर्तन संसार का नियम है |
उर्जा से भरा लेख |
धन्यवाद |
-हर्षद जांगला
एटलांटा युएसए
अभी एक दो दिन पहले ही मैंने एक ब्लॉग पर ओबामा के बारे में लिखा है कि ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं अपनी योग्यता, सक्षमता और ओजस्वी व्यक्तित्व के कारण न कि किसी आरक्षणवाद, वंशवाद, सहानुभूति या विवशता के कारण । ओबामा का देशप्रेम स्पष्ट और स्वत:स्फूर्त है। जब बुश गददी त्याग रहे होते हैं तब भी ओबामा उनकी तारीफ ही कर रहे होते हैं । यह सकारात्मक पहलू हैं और समझदार लोगों के जीवन के उजले पहलू को दिखाता हैं।
bahut achchha likha apne.
इतनी शानदार और जानदार पोस्ट के लिए पहले बधाई. देखिए कितनी विसंगतियाँ लेकर आती है बदलाव. अब तक जो कुछ हो रहा है या हुआ है सब का अनुकूल प्रभाव ही पड़ेगा पूरे विश्व में. निराशा केवल एक बात से होती है. वह है धार्मिक असहिष्णुता का माहौल और उसपर इस्लामी कट्टरवाद और उसके प्रवर्तक तालिबानी लोग. शन्तिपूर्ण सहअस्तित्व में तो उन्हें कोई विश्वास नहीं है. अल्लाह उन्हें सद्बुद्धि दे. आभार.
आपके ब्लॉग पर आकर सुखद अनुभूति हुयी.इस गणतंत्र दिवस पर यह हार्दिक शुभकामना और विश्वास कि आपकी सृजनधर्मिता यूँ ही नित आगे बढती रहे. इस पर्व पर "शब्द शिखर'' पर मेरे आलेख "लोक चेतना में स्वाधीनता की लय'' का अवलोकन करें और यदि पसंद आये तो दो शब्दों की अपेक्षा.....!!!
AADARNIYA LAVANYA JEE,
ACHCHHA BADLAAV HO TO
KHUSHEE KISE NAHIN HOTEE.AAPKE
BLOG PAR HAMESHAA HEE KUCHH N KUCHH
NAVEENTAA HOTEE HAI,ZAAHIR HAI USE
DEKH-PADHKAR MUN KO BHARPOOR KHUSHI
HOTEE HAI YANI BAHUT SUKH PAHUNCHTA
HAI.KAL KO GANTANTR DIVAS HAI,IS
SHUBHAVSAR PAR AAP AUR SABKO SHUBH
KAMNA AUR BADHAAEE.
परिवर्तन सहज प्रक्रिया है...मगर हमारी ज़िद कई बार उसे दुरूह बना देती है...ऐसे में बदलाव जब आता है तो काल का आकलन कर ...कई दफा हम खुद को ठगा महसूस करते हैं...मगर फिर डगर पकड़ लेते हैं...
बदलाव तो जारी ही रहेगा, हमेशा बदलता रहा है और बदलना भी चाहिए। बहुत आकर्षक चित्र हैं। टसकीगी विमान दल और 16outcasts की जानकारी के लिए nytimes.com के लिंक से कुछ और भी जानकारी मिली।
यह पोस्ट भी आपकी अन्य पोस्टों की तरह बहुत ही सुंदर प्रस्तुति है।
टिप्पणी आज २६ जनवरी के दिन दे रहा हूं। गणतंत्र की शुभकामनाएं भी प्रेषित हैं।
आप सभी सुधि गुणी जन मेरे ब्लोग पर पधारेँ हैँ और इस आलेख के लिये सभी के भाव~शब्द मिले उसके लिये बहुत बहुत आभार
बहुत स्नेह सहित,
- लावण्या
Post a Comment