अपने स्वयँ के पुरुषार्थ से इस जगत की हरियाली को सीँचने वाले वीर पुरुष विरले होते हैँ -यह नीर प्रेम की धारा है जो आज के स्वार्थ, ईर्ष्या, कटुता, धृणा, मज़हब के नासमझ ज़ुनुनी , छोटे दायरोँ मेँ कैद , ऐसे बौने ह्र्दयी मनुष्य भूला चुके हैँ -प्रेम ऐसी पवित्र धारा है जिसे सिर्फ "महावीर " ही लूटा पाता है --
जगत के लिये, दूजोँ के लिये, परायोँ के लिये, अपने से अलग ,हर इन्सान के लिये !
ऐसे वीर ही जग की दलदल से उपर उठ पाते हैँ कीचड मेँ खिले अकँप कँवल की तरह -हर गँदगी से उपर , ईश्वर की पवित्र सूर्य किरणोँ मेँ वे अपनी सुँदरत बिखेरते , अपने ह्र्दय कँवल की हर पँखुडी खोले, पवित्रता व सौँदर्य के ईश्वरी प्रसाद की तरह खिले हुए ईश्वर के शाँति दूत , श्वेत खग की तरह अमर सँदेसा देते हैँ
- कवि श्री नरेन्द्र शर्मा की कविता उनकी पुस्तक
" मुठ्ठी बँद रहस्य से ~~~ "
" सच्चा वीर "
वही सच्चा वीर है, जो हार कर हारा नहीँ
आत्म विक्रेता नहीँ जो, बिरुद बन्जारा नहीँ !
जीत का ही आसरा है, जिन्ह के लिये,
जीत जाये वह भले ही, वीर बेचारा नहीँ !
निहत्था रण मेँ अकेला, निराग्रह सत्याग्रही,
ह्र्दय मेँ उसके अभय, भयभीत, हत्यारा नहीँ ,
कौन है वह वीर ?
मेरा देश भारत -वर्ष है !
प्यार जिसने किया सबको, किसी का प्यारा नहीँ !-
- स्व नरेन्द्र शर्मा
14 comments:
मेरा देश भारत -वर्ष जरूर उठेगा सब से ऊंचा दुनिया में।
निहत्था रण मेँ अकेला, निराग्रह सत्याग्रही,
ह्र्दय मेँ उसके अभय, भयभीत, हत्यारा नहीँ ,
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चरित्र निर्माण के लिये ओजस्वी प्रेरणा!
निहत्था रण मेँ अकेला, निराग्रह सत्याग्रही,
ह्र्दय मेँ उसके अभय, भयभीत, हत्यारा नहीँ ,
कौन है वह वीर ?
मेरा देश भारत -वर्ष है !
bahut achhi lagi ye panktiyaan
" वही सच्चा वीर है, जो हार कर हारा नहीँ "
यही वो बात है जो भारत को अलग बनाती है
निहत्था रण मेँ अकेला, निराग्रह सत्याग्रही,
ह्र्दय मेँ उसके अभय, भयभीत, हत्यारा नहीँ ,
कौन है वह वीर ?
आदर्णिय पन्डितजी की ओज पुर्ण रचनाऒं को पढ कर एक जोश आ जाता है !
बहुत धन्यवाद आपको ! हमेशा की तरह एक नयनाभिराम पोस्ट !
राम राम !
वही सच्चा वीर है, जो हार कर हारा नहीँ
आत्म विक्रेता नहीँ जो, बिरुद बन्जारा नहीँ!
इस तेजस्वी रचना को हम तक पहुंचाने के लिए आभार!
आपके संदेश में उर्जा आपके व्यक्तित्व का भी बखान करती है...शुक्रिया इस गीत के लिए
इस ओजस्वी गीत के लिए शुक्रिया.
वही सच्चा वीर है, जो हार कर हारा नहीँ
कौन है वह वीर ?.... हम सब भारत वर्ष के लोग... जो हर कठिनाई मे हिम्मत नही हारते , अपने पुर्वजो से हम बहुत कुछ सिखते है,
स्व नरेन्द्र शर्मा को प्राणाम.
आप का धन्यवाद इतनी सुंदर पोस्ट के लिये
जीत जाए वह भले ही वीर बेचारा नहीं ,बहुत प्रभावी लाइन ....
अद्भुत व्यक्तित्व पर अद्भुत पंक्तियाँ.
प्यार जिसने किया सबको, किसी का प्यारा नहीँ स्व नरेन्द्र शर्मा जी की इतनी सुन्दर कविता पढ्वाने के लिये आपका बहुत बहुत आभार.
ojasvi kavita, padhane ke liye shukriya.
माँ एक कविता सुनाती थी, जिसमें राणा की पत्नी के उद्गार थे
थक गए अगर तुम रण से,अपनी तलवार मुझे दो
रणचंडी सी बन जाऊँ, रक्षा का भार मुझे दो।
याद आ गईं वो पंक्तियाँ...! वो समय जब राष्ट्र भक्ति सबमें खून के साथ संचारित हो रही थी
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