Monday, November 17, 2008

लँदन के दर्शनीय टुरीस्ट स्थल

ईसा पूर्व ५० वर्ष पहले के समय मेँ रोमन साम्राज्य ने लँदनीयम नामक स्थान पर लकडी का पुल बनाया गया था जो आज थेम्स नदी के ऊपर लँदन शहर और साउथवार्क को जोडते हुए बनाया गया है। ११ वीँ सदी मेँ इसी पुल को खीँच लिया जाता था जिसे ड्रो ब्रीज कहते हैँ । १९ वीं सदी में , जोन रीनी नामके इँजीनीयरने इस ब्रीज का आधुनिक रुप बनाया था जो ९२८ फीट लँबा और ४९ फीट चौडाई लिये था - १९६७ में रीनी के ब्रीज को बेच दिया गया जो अब अमरीका के अरीजोना प्रांत में हवासू नदी पे एक एक टुकडा फ़िर जोड़ कर लगाया गया -
आज जो ब्रीज है उसे ऐलेन सीम्प्सन नामके एन्जीयर ने बनाया । मार्च १७ , १९७३ को महारानी एलिजाबेथ ने , इसका उद्`घाटन किया --
अनेक सैलानी और वाहनोँ के यातायात से हर समय यह अति व्यस्त रहनेवाला ब्रीज विश्व का आधुनिक करिश्मा है ये लँदन का ब्रीज !
ओर अब चलें टावर ऑफ़ लन्दन देखने ~~~
ये है होरेशीयो नेल्सन का गौरव स्तँभजो १८४० से १८४३ मेँ बनवाया गया था जब ट्रफालगर के महायुध्ध मेँ फ्रान्स की सेना के तोपोँ को पिघलाकर उसी कान्स्य धातु से मूर्ति के नीचे पत्तियाँ बनाकर ब्रिटन की जीत को उजागर करते हुए रखा गया है
उसी मूर्ति के नीचे हम लोग --- http://en.wikipedia.org/wiki/Nelson
महारानी एलिज़बेथ का राजसी निशाँ दरवाजे पर लगा हुआ -राज महल के बाहर हम : बकिंघम पेलेस
पिकाडेली सर्कल एक मुख्य चौराहा है वहीँ पर
स्वामी नारायण मन्दिर : भारतीय साँस्कृतिक केन्द्र है
स्वामी नारायण मन्दिर : लन्दन / Neasden
टावर ऑफ़ लन्दन के प्रहरी के साथ -
इस प्राचीन इमारत में शाही खजाना रखा हुआ है - जिस में , भारत का प्रसिध्ध रत्न कोहीनूर भी है जो महारानी के मुकुट में लगा हुआ है । दूसरी महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ देखिये - ख़ास तौर से , विशाल काले कौए जिन्हेँ रेवन कहते हैँ -
उनके बारे मेँ पढेँ - प्रथम लिन्क से --
http://www.historic-uk.com/DestinationsUK/TowerRavens.htm
- ट्रेन अंडर ग्राउंड भी है और दो मंजिल बसें लाल रंग की चलतीं हैं जो बंबई शहर की याद दिलातीं हैं - टैक्सी से आप किसी भी कोने में आराम से पहुँच सकते हैं - गलियाँ भीड़ भरी हैं - यातायात व्यवस्थित और सुचारू है जिसे लन्दन पुलिस , जिन्हें " बोब्बी " कहते हैं बड़ी कुशलता से संभालती है - भारत से आए सीख समुदाय के लोग , पंजाब, गुजरात , बिहार, उत्तर प्रदेश के लोग आप को अकसर दीख जायेंगें ..अरब देशों से आए लोग भी दीख जायेंगें ...विश्व के सबसे व्यस्त तथा विकसित शहरों में लन्दन की गिनती है फ़िर भी हरियाली इसे एक शांति भी देती है और जगह जगह बने हुए , आधुनिक इन्तजाम वगैरा , लन्दन को , सैलानी के लिए , खुला निमंत्रण देता हुआ सा शहर , प्रतीत होता है ।
भारतीय खाना , शायद आपको भारत के बाहर भी बहुत जायकेदार और स्वादिष्ट मिले ॥ इस बात से , आप आश्चर्य ना करें ...
लन्दन के निवासी यों ने भारतीय भोजन को , बखूबी अपना लिया है !
दक्षिण के इडली और दोसे के साथ ६ तरह की चटनियाँ , यहाँ मिल जाएँगीं और गुजराती फरसान , नाश्ते भी हर तरह के मिल जाते हैं ॥
वेम्बली के बाज़ारों को २४ घंटों खुला देख आश्चर्य हुआ जहाँ रात को भी आप सब्जी खरीद कर घर ला सकते हैं ॥
भारतीय लोग , खूब काम करते हैं, और अपनी दुनिया , बसाए आबाद हुए हैं ...
मैंने कई घरों में , नए नए , लोगों से पहचान की और अमरीका के मुकाबले , घर और गाडियां , दोनों ही आकार में , छोटी पाईँ !
एकाध बड़े घर भी देखे ..जहाँ एक एडवोक़ेट महोदय रहते थे ! खैर !
महारानी एलिजाबेथ के राज प्रसाद बकिंघम पेलेस के आगे , सारे घर आपको चिडिया के घोंसले ही लगेंगें !! :)
टूरिस्ट होने से आप , हर प्रवास को नए अंदाज़ में , नई आंखों से देखते हो .
..यही शायद हमारे साथ भी सच हुआ !
बहुत बरसों पहले भी लन्दन से रुकते हुए हम भारत लौटे थे ॥
इस बार , हमने लन्दन, ट्रेन से, पैदल ओर कार से देखा ओर इस की विविधता ओर साँस्कृतिक धरोहरों का आनंद लिया -
लन्दन से पास ही लगे हुए , अनेक स्थल आपको ब्रिटेन की सामाजिक ओर प्राकृतिक विविधता ओर शांति का परिचय देंगें ...
असल में आप जहाँ भी यात्रा करते हो, समय ओर स्थान फ़िर भी कई देखने के बाकी रह ही जाते हैं ॥
आप मन बना लेते हो ..अगली बार आयेंगें ..उस समय , ये भी देख लेंगें ...यही आनंद है ..अधूरे प्रवास का ..जो आपमें उत्सुकता को संजोए रखता है ....

(ये आलेख - अभिषेक भाई के कहने पर लिखा है ....)
































19 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

सारी दुनिया घूम कर देखी नहीं जा सकती, जितना देख पाएँ, देख पाएँ बाकी तो आप के जैसे बहुत से लोगों के विवरणों से ही जाना जा सकता है।

ताऊ रामपुरिया said...

सदैव की तरह बहुत ही नयनाभिराम चित्रों से युक्त आपकी पोस्ट है ! बहुत सुंदर और सजीव लग रही है ! बहुत शुभकामनाएं !

Smart Indian said...

बहुत अच्छी पोस्ट है - चित्र, लेख सभी कुछ बोल रहा है, धन्यवाद!

रंजू भाटिया said...

चित्र और यात्रा वर्णन दोनों ही बहुत पसंद आए ..इस तरह के वर्णन से यात्रा जैसे साथ साथ हो जाती है .शुक्रिया आपका

Alpana Verma said...

sundar pics hain aur hum bhi ghuum liye aap ke saath is bahane

संगीता पुरी said...

लंदन के टूरिस्‍ट स्‍थलों को घुमाने जैसा आनंद देने का शुक्रिया।

L.Goswami said...

सुन्दर चित्र ..लावण्या जी ..साथ ही विवरण भी रोचक रहा

Abhishek Ojha said...

आभार इस प्रस्तुति के लिए. लन्दन आपकी आँखों से देखना बड़ा अच्छा लगा.

जाने की इच्छा में वृद्धि ही हुई... बस यहीं जाने की सबसे ज्यादा इच्छा है और यहीं का प्लान नहीं बन पा रहा :-(

धन्यवाद !

डॉ .अनुराग said...

हमारी मित्र बुला रही है कई दिनों से .आज उनका जन्म दिन भी है.....बस जुगाड़ .वक़्त की कमी है .....आपके चित्र खूब है.....

Gyan Dutt Pandey said...

वैसे तो नहीं देखा, आपके कैमरे से देख लिया लन्दन!
बहुत सुन्दर लगे - चित्र और विवरण।

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुन्दर विवरण लिखा आप ने, सब कुछ याद आ गया फ़िर से , आप लिटल इंडिया( साउथ हाल ) तो जरुर गई होगी, जरा वहा के बारे भी लिखे,
धन्यवाद

Manish Kumar said...

shukriya in tasweeron ke liye.

डॉ. मनोज मिश्र said...

आपने तो पूरा लन्दन दिखा दिया है .फोटोग्राफ्स बहुत सजीव हैं .मज़ा आ गया .

विधुल्लता said...

आपने लन्दन की मुझे दुबारा सैर करवा दी ..शुक्रिया,दोसाल पहले मुझे भी पत्रकारिता के सिलसिले मैं जाने का अवसर मिला था ,अद्भुत है लन्दन जिसने देखा वोही जान सकता है उसकी खूबसूरती,

नीरज गोस्वामी said...

बहुत रोचक जानकारी दी है आपने और साथ में बेजोड़ चित्र भी..लन्दन यात्रा की मेरी पुरानी यादें ताजा हो गयीं...
नीरज

Harshad Jangla said...

लावण्या दी
आपकी सफरमे हमें भी शामिल करने के लिए बहुत धन्यवाद |
काफी रोचक और रसप्रद जानकारी के साथ सुंदर चित्रों को देखकर अति आनंद हुआ |

-हर्षद जांगला
एटलांटा , युएसए

pallavi trivedi said...

heme london ghumaane ka shukriya...

Anil Pusadkar said...

लँदन की सैर कराने का शुक्रिया।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

आप सभी के स्नेह तथा टीप्पणीयोँ के लिये हार्दिक धन्यवाद -
- लावण्या