Thursday, September 25, 2008
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मेरी, आपकी, अन्य की बात
लावण्यम----अंतर्मनशीर्षक में विषय-वस्तु के बीज समाहित होते हैं.लावण्यम----अंतर्मन इसी बीज का पल्ल्वीकरण है.हृदयेन सत्यम (यजुर्वेद १८-८५) परमात्मा ने ह्रदय से सत्य को जन्म दिया है. यह वही अंतर्मन और वही हृदय हैजो सतहों को पलटता हुआ सत्य की तह तक ले जाता है.लावण्य मयी शैली में विषय-वस्तु का दर्पण
बन जाना और तथ्य को पाठक की हथेली पर देना, यह उनकी लेखन प्रवणता है. सामाजिक, भौगोलिक, सामयिक समस्याओं
के प्रति संवेदन शीलता और समीकरण के प्रति सजग और चिंतित भी है. हर विषय पर गहरी पकड़ है. सचित्र तथ्यों को प्रमाणित करना उनकी शोध वृति का परिचायक है. यात्रा वृतांत तो ऐसे सजीव लिखे है कि हम वहीं की सैर करने लगते हैं.आध्यात्मिक पक्ष, संवेदनात्मक पक्ष के सामायिक समीकरण के समय अंतर्मन से इनके वैचारिक परमाणु अपने पिता पंडित नरेन्द्र शर्मा से जा मिलते हैं,
जो स्वयं काव्य जगत के हस्ताक्षर है.पत्थर के कोहिनूर ने केवल अहंता, द्वेष और विकार दिए हैं, लावण्या के अंतर्मन ने हमें सत्विचारों का नूर दिया है.पारसमणि के आगे कोहिनूर क्या करेगा?- डा. मृदुल कीर्तिAll sublime Art is tinged with unspeakable grief.
All Grief is a reflection of a soul in the mirror of life'SONGS are those ANGEL's sound that Unite US with the Divine.'
About me:
Music and Arts have a tremendous pull for the soul and expressions in poetry and prose reflects from what i percieve around me through them.
27 comments:
ऊँ
उलटा क्यों है?
Kuch samaz nahin paye!!!
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
दिनेश भाई जी,
यही चित्र बँगाल से सँबँधित देखा था और सेव कर लिया था
हर्षद भाई, माइक्रो पोस्ट मतलब एकदम छोटी बात लिये पोस्ट !
हाज़िर है -
सिर्फ एक शब्द = ॐ
Compelete By ITSELF !!
- लावण्या
Thank you Didi.
-Harshad Jangla
दिनेश भाई जी,
सीधा ॐ भी लगा दिया है :)
ऊँ को उलटकर गणेश भगवान की छवि लायी गयी है। प्रणाम है उन्हें।
लावण्या दी, लोकस्ट और सिकाडा के बीच का अंतर नहीं बताया? इस विषय में मैं अपनी जानकारी बढ़ाना चाहता हूं।
:)
(μ - माईक्रो टिप्पणी)
नमः शिवाय
प्रणाम ! शायद आपने और आदरणीय ज्ञानदत जी ने माइक्रो की शुरुआत
कर दी है ! शुभकामनाएं !
गणपति ने हमें भी दर्शन दिये। अब ठीक है उलटा भी चलेगा।
दिनेश भाई जी,
अब आपने इतना आभार कर सीधा ॐ भेजा है तब ष्री गणेष जी को नमन करते हुए,
सीधा ॐ भी लगा दिया है :)
आपसे अनुरोध है कि, कभी समय मिले तब ॐ पर पोस्ट अवश्य लिखियेगा ~~
स स्नेह, सादर,
- लावण्या
अशोक भाई, जी,
सीकाडा और लोकस्ट के बीच क्या फर्क है उस पर अभी तक जानकारी विश्वस्त सूत्रोँ से पता नहीँ कर पाई हूँ ..खैर, खोजने की कोशिश जारी है और पता लगा तब अवस्य सूचित करुँगी ..आपकी टीप्पणी का बहुत बहुत आभार !
स स्नेह, सादर,
- लावण्या
नमो भगवते वासुदेवाय !
अजी सीधा हो या उलटा हमारे लिये तो पुजनिया हे, दुसरी बार जब भी ऊं कहता हु तो अपने पिता जी का नाम भी ले लेता हूं, मेरे लिये तो सारी दुनिया ही छुपी हे इस ऊं मे फ़िर सीधा हो या उलटा
धन्यवाद, बहुत अच्छा लगा,
वाह, ओमकाएअ में जबरदस्त सिनर्जी है - अंतर्मन और विश्व का एकाकार। और वह माइक्रो पोस्ट से निखर आया है!
आपके क्रियेटिव सेंस को नमस्कार।
μ
सुंदर.
अहा...!
sundar...pyaara
μ
ॐ....ॐ....ॐ...
अति सुंदर !
ॐ नमः सिद्धम्...
देखिये इस पोस्ट का जवाब नही .फ़िर पढने आ गया....
:) ॐ jay ho
हरि ऊँ तत्सत!
"μ - पोस्ट!"
pe :) tippni
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