Friday, July 11, 2008

सँत श्री मोरारी बापु

लोकाभिरामं रणरंग धीरं
राजीव नेत्रं रघुवंशनाथम
कारुण्य रूपं करुणा करनतम
श्री राम चन्द्रम शरणम् प्रपद्ये

जनक -सुता जग जननी जानकी
अतिसय प्रिय करुणा निधान की
ताके जुग पद कमल मनावौं
जासु कृपा निर्मल मति पावों

जब जब होई धरम कै हानि
बढहहिँ असुर अधम अभिमानी
तब तब प्रभु धरि बिबिध सरीरा
हरिहैँ कृपानिधि सज्जन पीरा


श्रध्धेय श्री मोरारी बापू ने हाथों में करताल उठा ली और भाव मग्न हो गए ~
राम धुन गाने लगे , श्रोता गण, उठ कर, नाचने लगे !.....

http://www.bindasscafe.com/play.php?vid=351
४ घंटों तक, लगातार, कथा संबन्धी बातें सुनाना , व्यास पीठ पे, आसन ग्रहण किए रहना , अद्भुत लगा !
" राम चरित मानस एही नामा, सुनत श्रवण पायो विश्रामा " व्यास पीठ से संत श्री मोरारी बापू की छवि के दर्शन कीजिये -
तस उत्पात तात बिधि कीन्हा मुनि मिथिलेस राखी सबु लीन्हा
मुनि मिथिलेस सभा सब काहू भरत बचन सुनी भयौ उछाहू
श्री राम जे राम जे जे राम ..............श्री राम जे राम जे जे राम
" बंदौ गुरु पद कंज कृपा सिन्धु नर रूप हरी
महामोह तं पुंज जासु बचन रविकर निकर"
अतुलित बल धामम् , दनुज -वन - कृषाणुम
ज्ञानी -नाम अग्रगण्यम् सकल -गुण-निधानम्
वानराणाम्-धिषम रघुपति -प्रियम भगतम्-वातजातं नमामि

श्री बापू ने कहा :
" सतसंग से मनुष्य की मति (positive intellect),
कीरति (fame), गति (right path of progress),
भूति (fortune), भलाई (goodness)
विवेक (appropriate knowledge/awareness)
को प्रगति प्राप्त होती है ।
माता पार्वती अपने पतिदेव शिव जी से कहतीं हैं ,
" जौँ मो पर प्रसन्न सुख -रासी
जानिय सत्य मोही निज दासी
तौ प्रभू हरहु मोरे अज्ञाना
कही रघुनाथ कथा बिधि नाना
कहहु पुनीत राम गुना गाथा
भुजग -राज भूषण सुर -नाथा
अति आरती पूछों सुर -राया
रघुपति कथा कहहु करी दाया "
जाकी कृपा लवलेश ते मति मंद तुलसीदास हूँ।
पायो परम बिश्राम राम समान प्रभू नाही काहूँ ॥

7 comments:

डॉ .अनुराग said...

bahut achhe ......

Ashok Pandey said...

सचमुच, राम कथा जैसा सम्‍मोहन किसी चीज में नहीं। हमारे यहां गावों में जब कोई संत पधारकर रामकथा कहते हैं अथवा रामलीला होती है, तो जितने दिन कार्यक्रम चलता है, लोगों का उत्‍साह देखते बनता है।

Gyan Dutt Pandey said...

मोरारी बापू का कुछ तो अपना व्यक्तित्व होगा, और कुछ वह सात्विक वातावरण जो स्वत: निर्मित हो जाता है - समूह की सात्विकता से।
सुन्दर।

दिनेशराय द्विवेदी said...

बापू जी,को घंटों सुना है टीवी पर। वे विद्वान भी हैं और अत्यन्त विनम्र भी। अनेक कलाओं के धनी भी हैं। उन्हें सुनने से प्रत्येक व्यक्ति को बहुत कुछ प्राप्त होता है। कोई धार्मिक न भी हो, ईश्वर विश्वासी भी न हो अथवा अन्य धर्म से सम्बन्धित हो तो भी उसे अपने विश्वास को परिवर्तित किए बिना भी बहुत कुछ प्राप्त हो सकता है।

Harshad Jangla said...

Lavanyaji

Thanks for everything. Bapu has visited my home in Mumbai where he stayed to our next door neighborhood.I am a great fan of him.Thank you for the pic and other description.

डा. अमर कुमार said...

श्रोता को अपने संग बहा ले जाने की अद्भुत क्षमता है, श्री संत जी में ।

धन्यवाद आपका, जो आपने इतना सुंदर सत्संग दिया ,
श्री राम जय राम..जय जय राम !

yogesh ramawat said...

बापु मारो प्राण