मैंने पिछली प्रविष्टी में ये बातें लिखीं ,
जिनको पढ़कर , दिनेश भाई साहब ने अनुरोध किया -- इन्हीं मुद्दों को विस्तार दिया जाए ..अब ये दुहराते हुए , वाक्यांश यहां दे रही हूँ ...
" सामाजिक परिस्थितियाँ भी आसान नहीँ हैँ अमरीका मेँ कयी तरह की विडम्बनाएँ, विषमताएँ ,कठिनाइयाँ, यहाँ के रोज के जीवन का हिस्सा हैँ - सुख सुविधा, आधुनिकता के साथ साथ एकाकीपन, विलुप्त होते पारिवारिक रीश्ते,एक खालीपन, हिँसा, अत्याधिक खुलेपन से उत्पन्न होते टकराव्, व्याभिचार, समलैँगिक सँबँध, शराब्, नशीले पदार्थोँ का सेवन, समाज के लिये, भविष्य के लिये क्या लायेँगेँये सोचनेवाली बात है"....
जी हां , अमरीका...पेरेडोक्स (paradox) है !!
ये गाना याद आ रहा है, " दिल सच्चा और चेहारा झूठा " ...इस देश में , अन्य कई देशों की तरह बहुत अच्छी बातें हैं और कई दिल दहला देनेवाली बातें भी हैं।
पहले सुख सुविधा की बातें करें ..आपके पैरों को नर्म मुलायम कालीन, साफ सुथरे फर्श पे चलने फिरने की , बहुत जल्दी , हर मौसम में, सुविधाजनक , तापमान में ही जीने की आदत - हो जाती है। खाना , पीना -- इतनी तरह का की ब्रेड जैसी चीज़ २०० तरह की , आप को दीखलायी दे जाएँगीं , सारी सुख सुविधाएं आसानी से और प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं!
..इंसान काम करना चाहे , उसे अपनी पढाई के मुताबिक , नौकरी भी मिल ही जाती है। आप अपने बल् बूते पे आगे बढ़ें , तरक्की करें, वाहन खरीद लें , बिजली , साफ पीने लायक पानी , भोजन ये इंसान की , पहली जरूरतों के लिए आपकी आवश्यकता पूरी होतेदेर नहीं लगेगी ..ये दुनिया का सबसे सम्पन्न और शक्तिशाली देश है -
दूसरी ओर , यहां सामाजिक विषमताएं ऐसी हो चलीं हैं जिनसे ये एक डर लग रहा है की तथाकथित सामाजिक व साँस्कृतिक मूल्यों का क्या होगा ?
क्या २१ वीं सदी , इस , महानता के शिखर पे बिराजे विशाल भूखंड को , रोमन और ग्रीक सभ्यता की तरह स्वयं के अतिरेक तथा असयँम के कारण , विलुप्त होते देखेगी ?
समलैम्गिक विवाह आज न्यूयोर्क और केलीफोर्नीया ये दोनों सबसे बड़े और कार्य , व्यवहार , आबादी से घने तथा समृध्ध प्रांत हैं वहां , ऐसे विवाह कानूनन मान्यता प्राप्त का दर्जा हासिल कराने में सफल हुए हैं। आगे पीढ़ी , किस तरहा विक्सित होगी ? ये नहीं सोचते ये लोग क्या ?
दोनों स्त्रीयां हों वैसे परिवार में या भृण द्वारा गर्भधारण कियेया तो दत्तक लिए बच्चे , स्कूल जाकर , पढाई करते हुए , बड़े होते हैं , किसी परिवार में दो पुरूष हैं ..कई परिवार में अनब्याही माता बच्चे को बड़ा करती है ..कहीं तलाक होने के बाद , २ या ३ शादियाँ और नये दम्पति के एक से ज्यादा जोड़े , उनके बीच बच्चे पल रहे हैं ॥
ड्रग्स आल्कोहोल बहुत कम ऊमर से यौन सँबँध, यौन सँबँधोँ को महज मनोरञन का साधन मान कर अकृत्रिमता की हद्द तक या अमानवीय तरीके से उपभोग करना ॥ये भी यहाँ के कयी बच्चे जल्दी सीख जाते हैँ ..परँतु ये सारी बातेँ कुछ परिवार अपने प्रयासोँ से , अपनी सँतानोँ से दूर रखने मेँ सफल भी हुए हैँ /
सबसे ज्यादा खतरा है टीन प्रेग्नन्सी का , कम उमर की लडकियाँ माँ बनकर अपने भविष्य को अँधकार मेँ धकेल देतीँ हैँ , कम पढे लिखे माता पिता कम उमर के बच्चोँ के डेट पर जाने को आसानी से स्वीकार कर लेते हैँ तो कयी जगह उन्हेँ प्रोतासाहित भी करते हैँ ..बच्चे अकसर ११ वीँ पास करने के बाद आगे पढाई न करके नौकरी करते हैँ अलग घर बसा लेते हैँ और फिर उनका सँसार शुरु होता है ..जैसा भी वे सम्हाल पायेँ अपने आप को और अपनी गृहस्थी को ..
कम पढे लिखे खुद नशे की चपेट मेँ रहते माता पिता बच्चोँ को क्या सीखायेगेँ ? वैसे ही अधिकाँश बच्चे क्राइम करते हैँ - जेलेँ भरीँ पडीँ हैँ और अमरीकी जेल मेँ हिँसक कैदी शायद दुनिया के क्रूरतम और सबसे भयानक होते हैँ और उनसे भरी हुई यहाँ की जेल एक भयँकर अलग दुनिया हैँ..चूँकि, गन यहाँ आसानी से , आम मिलती है ..
२ विश्व युध्ध के अनुभवोँ से उभरकर , आज सँचार, सूचना और टेक्नोलोजी से लैस अमरीका वास्तव मेँ प्रगतिशील शक्तिशाली देश है परँतु, हर इन्सान अपने आप मेँ एक ईकाई है , अलग्, तटस्थ, स्वार्थरत, अपने अहम्` को हर प्रकार् से पोषित करने को सदा सचेत .
यहाँ ४ थी कक्षा से सिखया जाता है, अपने आपको खुश रखो और उसके लिये किसी से डरो नहीँ और ना ही झुको - प्रतियोगिता यहाँ हर रोज होती है, शिक्षण मेँ, खेलकूद मेँ,.......
.११ वीँ तक की शिक्षा प्राँत की सरकार जिम्मेदारी है जिसके लिये सम्पत्ति कर टेक्स लेकर भरपायी की जाती है यानि कि,स्कूल की शिक्षा मुफत है ..कोलिज की शिक्षा महँगी है और माता पिता को बच्चोँ को स्कूल मेँ भेजना अनिवार्य है .
.बच्चोँ को मारना कानूनन् अपराध है जिसके तहत
टीचर और किसी भी वयस्क को जेल जाना पड सकता है.
जुनून भी गज़ब का, देश प्रेम भी गज़ब का ..जज्बा भी पागलोँ जैसा एक ही जिँदगी मेँ दुनिया की हर खुशी , हर चीज़ , हासिल करने की तडप, काबिलियत पैदा करने का साहस, अमरीकी जीवन शैली के प्रति दीवानगी, मेक डोनाल्ड का चीज़ बर्गर और बीग मेक और बडा स्टेक बीफ, फीश चीकन प्रोन्ज़्, पीग ये खूब सारा खाना ..शारिरिक ताकत पर ध्यान केँद्रीत रखना, स्वाभिमान्, घमँड की हद्द तक का ये सारे अमरीकी आम नागरिक के गुण हैँ ..
हाँ इस देश मेँ बसने की, काम करने की, धर्म पालन की, खुलकर अपनी बात कहने की, राज्नेता से पूछने की भी सबको आज़ादी है ..आज़ादी इतनी है कि, आप जो चाहेँ करेँ , कोयी पूछनेवाला नहीँ ..कयी पढे लिखे अच्छे सँस्कारी लोग मेहनत से कमाया धन दान भी कर देते हैँ , अपने चर्च को या गरीबोँ को या शिक्षा सँस्थानोँ को ......अब आज इतना ही ....
- लावन्या
अमेरिका : ~~ A poem : ~~~
America
Give me the quiet strength of your soil,
Give me the will to reach for the moon!
Give me the toil of desperate limbs,
Give me the shocks and horrors of sins!
Give me the bravery of your braves -
Give me the affection, for motherland!
Give me your love, your benevolence --
Give me your true and Noble spirit !
America! The most wonders land!
A free nation! Undivided! And One!
From Alaska to Hawaii -
From New York to Los-Angeles,
From Mexico to Canada, you lie,
From Sea to shining Sea!
Old Glory flutters high up in the sky
Multitudes of masses go rushing by -
May God keep you, safe and sound!
No adversaries, nor enemies, come around!
Your wondrous Bounty, may know no bounds!
Amen!
(c)
Lavanya Shah July 1, 2001
20 comments:
बहुत बहुत आभार! निवेदन स्वीकार करने के लिए। ऐसा लग रहा है जैसे हमें अमरीका में एक सामाजिक संवाददाता मिलने गया है। आज की पोस्ट आगे आने वाले सोपान की भूमिका मात्र है।
आप की कविता सशक्त और सुन्दर अभिव्यक्ति है।
सितम्बर 1955 की पैदाइश हूँ। आप उम्र में भी बड़ी होंगी, मुझ से। भाई साहब लिखती हैं तो अजीब सा महसूस होता है। आप केवल भाई कहें तो अच्छा लगेगा।
क्या पोस्त है। अमरीकी जज्बा सही में सलाम करने का विषय है। इण्डियन चिरकुटई के बिल्कुल उल्टा!
क्या इसलिए अमेरिका महाशक्ति कहलाया जाता है ?
बहुत रोचक जानकारी दी है आपने इस लेख में अमरीका के बारे में .. भागम भाग है अब लगता है हर जगह दुनिया में :)
मेरी best friend वही पर है पिछले साल ५ साल बाद मुलाकात हुई ,पतिदेव भी डॉ है...कहने लगी ५ साल बाद वापस लौट आयेंगे.....वरना बच्चे हाथ से निकल जायेंगे....कुछ अच्छा है तो कुछ बुरा भी है....
अमेरिका के इस पहलू के बारे मे सुना तो जरुर था पर आज पूरी तरह से जाना।
सच कहूँ तो मुझे ये लगता है कि अच्छे से बुरा ज्यादा है.
और इस कदर बुरे अच्छाई पर हावी है कि एक दिन लील जायेगी इस अच्छाई को.
आप की पोस्ट के मार्फ़त ये सब जानकर रोमांच भी हो उठता है.
बहुत अच्छा लिखा आपने.
बधाई.
अमेरिका के बारे मे और जानने को उत्सुक हूँ.
अमेरिका के साथ पूरे पश्चिम की ये समस्या बनते जा रही है... तलाक के बारे में आपने थोड़ा कम लिखा... और अकेलापन, वृद्धावस्था ... हाईपर टेंसन जैसी बातों पर भी लिखिए.
पश्चिम की समस्या, तलाक के बारे में और अकेलापन, वृद्धावस्था ...
हाईपर टेंसन जैसी बातों पर भी आगे लिखूँगी ..
आप भी वेस्टर्न कन्ट्री मेँ ही हैँ ना ? आपको कितना समय हुआ है
भारत को छोडे हुए ?
Do writ in detail.
- लावण्या
बाल कीशन जी,
धन्यवाद!
..आप किस पहलू पे और किन विषयोँ के बारे मेँ
जानकरी चाहते हैँ लिखियेगा .
मैँ अपने अनुभव और आसपास जो देखा, समझा,
वो तो मैँ लिखूँगी ही .
- लावण्या
ममता जी,शुक्रिया -
कहते हैँ ना,
" travel broadend ones' outlook "...
आपने भी भारत के
अलग स्थानोँ मेँ रहते हुए
बहुत कुछ नया
देखा है है ना ?:)
- लावण्या
जी हाँ अनुराग भाई,
जैसे ही बच्चे १२ वर्ष से ऊपर पहुँचने लगते हैँ,
माता ,पिता को डालर की जगह
भारत की सभ्यता,
आँखोँ मेँ ,
दीखलायी देने लगती है :)
but the choices thay make are strictly their own & children have to adjust & re -adjust to their surroundings..
- लावण्या
रँजू जी,
भागम भाग और अदम्य छटपटाहट, जीवन को जीने की र्जिजीविषा
ही तो अमरीकी अँतरिक्ष यात्रियोँ को चँद्रमा पे कदम रखने के लिये
उध्यत कर गयी !!
..भारत भी बदल रहा है,
परँतु, सँस्कार अब भी
बुनियाद को
मजबूती दिये हुए हैँ,
ऐसा शायद
कुछ समय तक,
अभी और रहेगा -
- लावण्या
ज्ञानभाई साहब्,
आपको प्रयास पसँद आया तब तो लिखना सफल हुआ !
अमरीकी जज्बा समाज के , यहाँ के, जीवन के हर पहलू के साथ
जुडा हुआ है ..
उसके पीछे,
युरोपीय सभ्यता का लँबा इतिहास नीँव सा है और, इस नये प्रदेश की सीमाहिन दौलत,
नयी नस्ल
और बँधन मुक्ति की चाह भी
काफी प्रभाव रखती है इसे अमरीका बनाने मेँ .
- लावण्या
कुश जी,
"महाशक्ति"
तब कहलाता है कोयी भी देश,
जब वह देश या व्यक्ति
स्वयम्` ये नहीँ कहता,instead,
दूसरे सभी इस सत्य को मानते हैँ और कहते हैँ कि
"ये देश या व्यक्ति
महादेश ,
महाशक्ति
या महापुरुष
या महान सन्नारी है "
- लावण्या
दिनेश भाई जी, ठीक है - आप को साहब नहीँ कहूँगी , ऊम्र मेँ अवश्य बडी हूँ आपसे
परँतु, यहाँ इत्ते बरस हुए तो नाम के साथ "ज़ी" इत्यादी सुनने की आदत नहीँ रही !
..यहाँ तो हर कोयी सिर्फ नाम ही से पहचाना जाता है ..
बहुत हुआ तो मिस्टर या मीसीज़ ..
छोटे से बच्चे भी नाम ही लेते हैँ मेरा !:)...
धन्यवाद आपको कहती हूँ जो आपके सुझावानुसार्,ये सब कह रही हूँ और सभी चाव से सुन रहे हैँ ..
आपको कविता अच्छी लगी उस्का शुक्रिया ..ये कविता न्यू -योर्क हार्बर मेँ मशाल थामे"Statue of Liberty " की अभिव्यक्ति- सी है -
आगे भी लिखती रहूँगी ..
- लावण्या
बहुत ही दिलचस्प. सिर्फ़ विषय ही नहीं बल्कि लेखन भी बहुत रोचक है. लिखती रहिये. धन्यवाद.
अरे आज तो आप भी आए हैं हमारे जाल घर पे " Ghost buster jee " ..प्रोत्साहन के लिए सच्चे मन से शुक्रिया -
-- लावण्या
बहुत रोचक तरीके से बताया आपने यह सब। बहुत अच्छा लगा। शुक्रिया।
अनूप भाई,
आपने मेरी बातोँ को,
पढा और सराहा,
उसकी खुशी है मुझे -
आगे बातेँ जारी रहेँगीँ
- लावण्या
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