सपने वे नहीं होते जो हम सोते समय देखते हैं,
सपने वे होते हैं जो हमें सोने नहीं देते।”-
- सृजनशिल्पी के ब्लॉग पर एक सूक्ति।
http://srijanshilpi.com/?p=161
[ १ ]
ऐ ख्वाब .........तुम चले जाओ !
यूँही आ आ कर फ़िर , दबे पाँव ........लौट जाओ !
जब तुम आ कर चले जाते हो , क्यों अपनी निशानी छोड जाते हो ?
तुम आए तो थे , येही बस है , वही सुनहरी झलक दिखलाओ ,
जो बिखरी रहती है चेहरे पे ! हर चेहरे पर , तुम्हारे जाने के बाद
[ २ ]
ख्वाबों से धुआं उठ कर , कहता है किनारों को ,
हम लौट के आयेंगे फ़िर इन्ही मकामों को -
तेरी आंखों के उजालों में , हम , डूबते जायेंगें ,
पतवार मुहोब्बत की ले , साहिल तक आयेंगें !
कैसा है जुनून - ए - दिल , हर हाल पे बाबस्ताँ,
एक तू है निगाहों में , जले, शमा ज्यूँ आहिस्ता
क्यों प्यासे हैं लब मेरे , क्यों छाई उदासी है ?
क्यों चुप हैं दीवारें ? गमख्वार है क्यों जीना?
[ ३ ]
रहने भी दो ये वाहवाही , हैं ये टूटने के मंजर ,
गुमशुदा की हैं तलाशें , डूबते दिल की है आवाज़ !
ना साथ चाहिए , ना , मंजिल का हौसला ,
ना मांझियों के साहिल , ना , खोने का गिला !
दफना के आए हैं हम , हर रिश्तों को तमाम ,
भूले से आ न जाए , होठों पे तेरा नाम !
हैं याद के समंदर , ठहरी हुई है शाम ,
सब कुछ उदास - सा है , तेरी आरजू के नाम !
कैसे लिखूं मैं नाम तेरा , स्याही से आजकल ?
हो दिल में तुम समाये , मेहमान से बन कर !
चुप रहना ही बेहतर है , करना बर्फ पानी को ,
कहीं आग ना लगा दे , मेरे खौलते ख्याल !
तेरे रास्तों पे आख़िर , ना आए उम्र भर -
लब सी लिए हैं यारां , करते हुए सफर !
पर याद है की बरबस , आती है झूमके
बाँहें गले में डालने , हैं ये इल्तजा के काम !
हैं धड़कने अभी भी , रूह में वही आगाज़ ,
है आज भी लबों पे, हल्का सा तेरा नाम !
है सुकून मुझको यारब - दिल में तडप भी है ,
नही है तो एक तू ही , आंखों में जैसे ख्वाब !
तू ने मुश्किलें छुडाकर दी थी हमे पनाह ,
है आज भी जहन में, ठिठकी हुई सी आह !
कुछ देर को तो तनहा रहने दो जी हमे ,
यादों के झुरमुटों में , ठहरी हुई है शाम !
लंबे उदास साए , लहराते झील पर ,
तकता है मुहँ बांये, आसमान को ज्यों चिनार !
- लावण्या
14 comments:
ख्वाबों से धुआं उठ कर , कहता है किनारों को ,
हम लौट के आयेंगे फ़िर इन्ही मकामों को -
bahut hi khubsurat abhivyakti...
[srijan ke blog wali sukti kitni sahi likhi hui hai---
wah! khwab wo hain jo hamen sone nahin dete!!!!:)
lekin jaagati aankhon ke khwab to bahut pareshaan karte hain...
ऐ ख्वाब .........तुम चले जाओ !
यूँही आ आ कर फ़िर , दबे पाँव ........लौट जाओ !
जब तुम आ कर चले जाते हो , क्यों अपनी निशानी छोड जाते हो ?
तुम आए तो थे , येही बस है , वही सुनहरी झलक दिखलाओ ,
जो बिखरी रहती है चेहरे पे ! हर चेहरे पर , तुम्हारे जाने के बाद
बहुत सुंदर जी ..सपने यही दिल पर छा जाते हैं ..
बहुत सुंदर. हमारे ख्वाब अगर सही हैं तो शायद हमें सोने नहीं दें.
ख्वाब में अगर कशिश है तो अपने को सच करा कर मानेंगे!
ऐ ख्वाब .........तुम चले जाओ !
यूँही आ आ कर फ़िर , दबे पाँव ........लौट जाओ !
जब तुम आ कर चले जाते हो , क्यों अपनी निशानी छोड जाते हो ?
तुम आए तो थे , येही बस है , वही सुनहरी झलक दिखलाओ ,
जो बिखरी रहती है चेहरे पे ! हर चेहरे पर , तुम्हारे जाने के बाद
wah kya kahun bahut sundar rachana,khwab ke itne rang ,itne bhav,har rachana khubsurat ehsaas,bahut badhai
लावण्या जी, दबाए बैठी हैं आप, खजाना बड़ा ।
खुलता है जब भी तराशा हुआ हीरा निकलता है।
अति सुन्दर..बहुत खूब.
सृजन शिल्पी जी के ब्लॉग पर यह सूक्ति हमें भी बहुत पसंद आई थी.
Bahut Sundar Abhivyakti.
Thanx.
ख्वाबों से धुआं उठ कर , कहता है किनारों को ,
हम लौट के आयेंगे फ़िर इन्ही मकामों को
वाह! बहुत ही खूबसूरत.. बधाई स्वीकार करे..
ख्वाबों से धुआं उठ कर , कहता है किनारों को ,
हम लौट के आयेंगे फ़िर इन्ही मकामों को -
bhut khub likhati rhe.
अत्यंत सुंदर रचनाएँ !
आप की रचनाएं तो सुदर होती ही हैं।
आपकी रचनाएं तो सुंदर होती ही हैं।
ख्वाबों से धुआं उठ कर , कहता है किनारों को ,
हम लौट के आयेंगे फ़िर इन्ही मकामों को
बहुत खूबसूरत है,दिल को छू गई...
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