भारत का इतिहास सीखाया था कई सारे शिक्षकों ने ..जो आज भी भूलाये नहीं भूलते ..एक थे पुरोहित सर, दुबले पतले, सुफेद हो रहे , कम हो गए केश , आर्मी कट से कटे हुए, खादी का बुश्कोट पहने , ब्लैक बोर्ड की तरफ़ मुंह किए , भारत के नक्शे पर बनाते , बिगाड़ते , सल्तनतों को , गद्दी पे बिठाते और कहीं जंग हो जाती , कोई राजा या नवाब मारा जाता , कई सत्ता अस्तित्व में आतीं और पुरोहित सर के इशारों पे , डस्टर से साफ़ हो जातीं !!
...ये पाठ ऐसे दीमाग में , भीतर तक पैठ जाते जिन्हें आजतक भूले नहीं॥
हर स्कूल में ऐसे ही समर्पित अध्यापक होंगें !
जैसे हमारे हुआ करते थे !
इतिहास और भूगोल , मेरे प्रिय , विषय रहे हैं।
समय एक इतनी लम्बी सीमा से परे की , काल रेखा है , जिसका , आधार , ऐसे ही ऐतिहासिक पात्र , हमें , सामने आकर और हमसे विदा लेकर, दीखला जाते हैं और ये सीख दे जाते हैं के हमारा समय कितना कम है यहाँ ...
ना कोई रहा है ना कोई रहेगा ,
ये दुनिया है फानी सो फानी रहेगी
ये माट्टी सभी की कहानी कहेगी ...
झांसी की वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई की वीरा गाथा के साथ ,
एक और कथा भी सूनी थी जिसे आज याद कर रही हूँ ...सुनिए ,
" शूर वीरता लिए लिए,गौरवान्वित किए किए ,
खूब लड़ी क्षत्राणी , दक्षीण को दी कुर्बानी
वोह चाँद बीबी - थी रानी !
अहमदनगर बचाया, अकबर बादशाह आया ,
चाँद बीबी ने धावा बोला, अकबर का दल तब डोला !
क्या , चाँद बीबी थी रानी !
बीजापुर और गोलकोंडा से मदद मांगी
इब्राहीम और कुतुब शाह दोनों से गोदावरी तल की ,
सुरक्षा , उसने मांगी
वोह चाँद बीबी थी रानी !
आगे भी अधूरी गाथा है , झुकता न वीर रानी का माथा है !
पर लहू लुहान , कट जाता है !
हामिद खान की दगा बाज़ी ने , रानी को मौत दिलाई थी !
ये थी चाँद बीबी की कहानी ~~
[ - लावण्या ]
14 comments:
जितने सुंदर आपके आलेख होते हैं, उतने ही भव्य आप द्वारा चयनित फोटो।
इतिहास, रीति-रिवाज, धर्म, संस्कृति, प्रकृति, मनोरंजन क्या नहीं मिलता है आपके ब्लॉग में।
सुभद्रा कुमारी जी की रचना एवं ऐतिहासिक जानकारी के लिए आभार. आगे भी ऐसे ही लायें. शुभकामनाऐं.
समीर भाई
गुस्ताखी माफ !
स्व. सुभद्रा जी की तर्ज पे लिखी है परँतु, रचना मेरी लिखी हुई है ! :)
-लावण्या
अशोक भाई,
बहुत बहुत आभार !
आपका ब्लोग भी देखा अभी अभी -
आप खेती बाडी से जुडी सामग्री अच्छी लिखते हैँ आपके जाल घर पर !
उसी से जुडी एक पोस्ट मैँ जल्द ही लिखनेवाली हूँ -
कृपया मेरे ब्लोग को देखते रहियेगा -
अग्रिम धन्यवाद !
-लावण्या
चांद बीबी को प्रणाम, और उन का स्मरण कराने वाले को भी प्रणाम।
लावण्या दी ,
बहुत बढ़िया दुर्लभ जानकारी दी। शुक्रिया....
बहुत ज्यादा क्षमाप्रार्थी हूँ जो बहुत ध्यान से नहीं देखा और कनफ्यूज हो गया. जो सजा दें, मंजूर है. सर झुकाये खड़ा हूँ आपकी स्नेहमयी फटकार के लिए.
गल्ती बस इसलिये क्षम्य कहलाई,कि सुभद्रा कुमारी जी की रचना से कन्फ्युज हुआ हूँ कोई आम कवि की नहीं. :)
समीर भाई,
कोयी फटकार नहीँ ...सिर्फ सजा समझिये तो अभी आपने साधना भाभीजी के लिये लिखी थी वैसी एक बढिया कविता जल्दी से लिखियेगा :-)
बहोत पसँद आयी ....और जैसे हँसाते रहते हैँ वैसे ही सब को हँसाते रहिये ..क्षमा माँगने जैसा आपने कुछ किया ही नहीँ ..हमेशा आप मेरा लिखा पढते हैँ वही बहुत है ..और टिप्पणीयाँ तो बोनस होतीँ हैँ ..
बहुत स्नेह के साथ,
आपकी बडी बहन
-लावण्या
दिनेश भाई जी,
प्रणाम आपको भी और कबुल भी कर रही हूँ ..
अजित भाई ,
आप का आगमन वो भी बहुत दिनोँ बाद्, अच्छा लगा :-)
बहुत स्नेह के साथ,
-लावण्या
यह तो वास्तव में सुभद्रा कुमारी जी की बरबस याद दिलाने वाली पोस्ट बन गयी।
चांदबीबी भी भारत का गौरव रही हैं। उनका स्मरण कराने के लिये धन्यवाद।
लावण्याजी, चांद बीबी तो हमने भी पढ़ी थी, आपने फिर से याद दिला दी स्कूल के पाठ्य की।
क्या बात है.. पहले महारानी गायत्री देवी और अब झाँसी की रानी... इतिहास आपका प्रिय विषय लगता है..
लावण्या जी चाँद बीबी पर लिखी आपकी कविता बहुत-बहुत अच्छी लगी।
अफ़सोस आजकल के शिक्षक पहले जैसे कहाँ होते है। :(
वैसे एक बात बताये कि इतिहास हमारा भी प्रिय विषय रहा है
पर भूगोल नही। :)
चाँदबीबी के बारे में हिन्दी की एक पुस्तक में पढ़ा था... धन्यवाद यादें ताजा करने के लिए.
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