Thursday, June 12, 2008

रोड ट्रिप

कल रोड ट्रिप पे रहे अक्सर जैसे जाते रह्ते हैँ ..शहर कार की खिडकी से नये नये द्रश्य दीखला रहा था। दूर हरे पेड़ , जिसके पीछे कभी दीख जाते घर, सामने झील, उसके ठीक बीच , दोपहर की सूरज की रोशनी में , जल की बूंदों को ऊपर , बिखेरता फव्व्वारा , दिन भर , एक ही सुर में , बिना रुके , गूंजता हुआ ...अरे कौन सा गीत गा रहा था वो , सुनना चाहती थी पर, आखिरकार आगे बढ़ गयी थी उस का गीत सुन पाते तब तक ... रास्ता मोड़ ले चुका था ..........
और ये थी एक सुंदर , शांत नयी बनी कोलोनी ..बाहर, आनेवालों के स्वागत के लिए , यहां एक प्रवेष द्वार बना हुआ था ...जहां से कई गाडियाँ ,दाखिल होतीं थीं या बाहर फ्री वे की तरफ़ निकल जातीं थीं। आसमान एकदम साफ और गहरे नीले रंग का था , बादल भी नहीं थे ।
अब थोड़ी देर गाडी रोक कर , सुस्ता लें ...खूब भगाया है इसे भी ...यहां पेड़ था , छाया थी ..और वातावरण भी शांत था।
ये एक दूसरा सब डिविजन था , सड़कें काफी साफ होतीं हैं ..कई बार इन्हें पानी से धोने के लिए मशीन भी आ जाती है ..हर कोने में, अमरीकी ध्वज भी दीखालाई देता है।
और अब, ये रास्ते की साइन बता रही है किस दिशा में जाना है - १४४७ रास्ते का क्रमांक बतला रहा है ...वहीं से आगे का रास्ता मिलेगा ...
वहीं पे ये कांस्य का शिल्प बना हुआ है, ये अश्व ! फूलों के बीच खडा है , आने जाने वालों के लिए कौतूहल का केन्द्र !
आज इतना ही ..........आगे और बातें करतें रहेंगें ......

13 comments:

संतराम यादव said...

wah, chitron ke saath itna sunder chitran, sachmuch hi kabiletaarif hai.

Udan Tashtari said...

चलिये आपके साथ साथ फोटो में हम भी घूम लिए. बहुत बढ़िया फोटो आई हैं.

Gyan Dutt Pandey said...

खूब ललचाया आपने चित्रों से।

दिनेशराय द्विवेदी said...

वाकई ललचाने वाली पोस्ट है।

बालकिशन said...

सैर करके मज़ा तो जरुर आया जी.
आगे कब ले चलेंगी.

कुश said...

वाह मज़ा आ गया.. और लालच भी

mamta said...

जितनी सुंदर फोटो उतना ही सुंदर विवरण ।
आपके साथ हम भी घूम लिए और खूब मजा भी आया।

PD said...

आपके शीर्षक से मुझे एक अंग्रेजी सिनेमा कि याद आ गई.. "रोड ट्रिप"..
वैसे बेकार और फूहड़ कॉमेडी है इसमें, मगर फिर भी अगर आप नहीं देखी हैं तो देख सकती हैं.. :)
वैसे रोड ट्रिप और वो भी बाईक से.. बस मुझे और कुछ नहीं चाहिये.. 100-150 किलोमीटर चलाने के बाद तबियत खुश हो जाती है.. :)

पारुल "पुखराज" said...

kitney sundar chitr hain....didi,batayiye to kaun si TRIP thii? :))

डॉ .अनुराग said...

chalte rahe....

Abhishek Ojha said...

बहुत खूब... खुले मौसम में ऐसे ट्रिप का माजा... वाह !

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

सँतराम जी धन्यवाद -
समीर भाई आपको पसँद आया, खुशी है इस की :)
ज्ञान भाई साहब्,
दिनेश भाई जी,
अरे ललचाने की क्या बात है ?:)
अमरीका घूमने का मन बना लीजिये, और सफर शुरु ..
बाल कीशन जी, जल्दी ही और भी यात्राओँ का विवरण पेश करुँगी...
कुश जी, ममता जी,प्रशाँत जी, अभिषेक भाई, अनुराग भाई,
शुक्रिया ~~~
दोस्तोँ के साथ घूमना हो उससे अच्छा और क्या होगा है ना ?
पारुल, उनके काम के सिलसिले मेँ, अक्सर दीपक जी के सँग,मैँ भी चली जाती हूँ
हफ्ते मेँ ३०० मील से ज्यादा प्रवास हो जाता है , अब तो कम हुआ है पहले तो खूब्
लम्बी यात्राएँ कीँ हैँ ..
सभी का आभार व स्नेह
-लावण्या

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

PD,
i've seen that film ~
thank you for reminding the title with the same name !
Rgds,
L