Monday, June 9, 2008

तीन कन्या


(मैसुर सिल्क साडी मेँ लिपटी एक अज्ञात कन्या मोगरे की लडीयाँ थामे)
सुना है, नीले गहरे सागर की लहरे के पार,
रहतीँ हैँ सपनोँ की नगरी मेँ, वे, मन मार,
सुफेद शँखोँ से बनी खिडकीयोँ से झाँकतीँ हैँ,
लजाती आँखेँ,खोजतीँ हैँ,दूर हुए,कुछ चेहरे
(एक अज्ञात शर्मीली लडकी की छवि)
आयेँगेँ पार कर,शायद , मेरी आवाज़ सुनकर,
जब गीतोँ सी नाँव डोले,बाग मेँ जैसे हीँडोले,
पुरवाई बहेगी,मध्धिम मध्धिम्, हौले हौले,
आयेँगेँ,बहारोँ के सँग, मेरे, बिछुडे राजकुमार !
फूलोँ की डाली से, हरी हरी वादी से,पूछुँगी,
बादल से, बरखा से, बिजली से, जाने कब् आयेँगेँ,
दूर देस की बातेँ सुनायेँगेँ, मेरे राजकुमार !
- लावण्या
( हीरोइन : सलीना जेटली )


16 comments:

संतराम यादव said...

bahut hi accha. dil ko chhoo gaya. iski jitni prashansha ki jaaye kam hi hogi.

Udan Tashtari said...

बहुत खूबसूरत पोस्ट. आभार. :)

Gyan Dutt Pandey said...

नारी वास्तव में ईश्वर की परफेक्शन वाली कृति है, और सुन्दर नारी तो परफेक्शनतम!

रंजू भाटिया said...

फूलोँ की डाली से, हरी हरी वादी से,पूछुँगी,
बादल से, बरखा से, बिजली से, जाने कब् आयेँगेँ,

सुंदर रूप हर रंग में ..बहुत अच्छा लिखा है

Ashok Pandey said...

बहुत अच्‍छा लगा आपके ब्‍लॉग पर आकर।

कुश said...

बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति... बधाई स्वीकार करे..

डॉ .अनुराग said...

bahut sundar....aapka ye andaj bhi pasand aaya.

बालकिशन said...

बहुत सुंदर और मनमोहक रचनाएं. आपकी और इश्वर की भी.
लेकिन ये क्या! तस्वीरें तीन और कवितायें दो. बहुत नाइंसाफी है ये.

दिनेशराय द्विवेदी said...

चित्रों से अधिक सुंदर हैं आप का शब्द संयोजन।

mamta said...

कितनी खूबसूरत कवितायें ।

सुफेद शंखों से बनी खिड़कियों से झांकती
वाह-वाह

Abhishek Ojha said...

खूबसूरत चित्र और कविता दोनों. !

राकेश जैन said...

kavita khubsurut hai par mujhe sheershak se iska talmel sahi tarah samjh nahi aya, ek vichar e aya ki is post ke llie teen snaps hain galz ke , jinme sabhi ki yah manodasha hai aur apas me discuss kar rahi hain par is bat ka judav kavita ke shabdon me nahi mila, please bataiye na.

Harshad Jangla said...

Nice Pic and also poem.
Can u name these beautiful women?

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

सँतराम जी,
समीर भाई,
ज्ञान भाई साहब,
रँजू जी,
अशोक जी,
कुश भाई,
अनुराग भाई,
बाल कीशन जी,
दिनेश भाई जी,
ममता जी,
अभिषेक जी,
हर्षद भाई --
आप सभी का बहुत सारा धन्यवाद जो इतनी अच्छी तरह मेरी कविता को आप सभी ने पढा और सराहा !
..ममता जी,
आपकी गोवा यात्रा मेँ "शँख से बनी खिडकी " ने इस कविता की
प्रेरणा दी है ..
सो आप लिखती रहेँ :)
स स्नेह्,
- लावण्या

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

Rakesh ji,

ye kavita 3 Girls ki manodasha dikhati hai.
Ye 3 Girls, Samudra ke kinare rehteen hain.
Intezaar ker raheen hain -
Ek doosre se , feelings share ker raheen hain.
Aur Kavita, Reader se !
Hope this is an apt explanation for this poem.

Rgds,
L

Anonymous said...

Is this you in Sari?