प्रस्तुत है -" सृजनगाथा " के पाठकों के लिए
http://www.srijangatha.com/2008-09/april/usa%20ki%20dharti%20se%20-%20lshahji.htm
'अमेरिका की धरती से' नामक कॉलम - संपादक
आजकल "ब्लॉग लेखन" एक स्वतंत्र तथा सशक्त विधा के रूप में मीडिया के केन्द्र में छाया हुआ है। इसमें पत्रिकाओं, समाचार पत्र, पुस्तक, घटनाक्रमों पर निजी विचारों आदि को सम्मिलित कर सकते हैं । ब्लॉगों की उपस्थिति से विश्व-स्तर पर जो कुछ घटता है उसे तुरंत जाना जा सकता है । श्रवण पर विश्वास करने वाले यूट्यूब देखते हैं । यूट्यूब की बात छिड़ी है तो आइये देखिये कवि श्री गोपाल दास नीरज जी को काव्य-पाठ करते हुए । ऐसा कौन होगा जो नीरज को गुनगुनाते हुए इधर से झट से न जाना चाहेगा !
एक अमेरिकन डायरी और .....
"ब्लॉग लेखन" क्या है ? ये शायद आप भली भांति जानते होंगें । अमरीका से लिखा जा रहा यह ब्लॉग है -
"अमेरिकन डायरी" । अमेरिकन डायरी को रचती हैं रजनी भार्गव । यह अमेरिका की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी से कुछ खट्टी, कुछ मीठी, कुछ तीखी अनुभूतियों का पुलिन्दा है ।
घर बैठे अमेरिका जीवन, मौसम और भी बहुत कुछ का रोचक जानकारियों के लिए यह एक नयी शुरूआत है ।
रेणू
होने का मतलब
भारत से दूर बसे प्रवासियों ने हिन्दी साहित्य के प्रति अपनी श्रद्धा को सदा रेखांकित किया है । अपने संस्कारों से गद्य व पद्य में उसे स्वर दिया है । चलिए, आज ऐसी ही एक कवियत्री तथा लेखिका श्रीमती रेणू राजवंशी गुप्ता जी से आपकी मुलाक़ात करवाते हैं .
श्रीमती रेणू राजवंशी गुप्ता हिन्दी साहित्य जगत् की सक्षम लेखिका, कवियत्री होने के साथ साथ, भारतीय संस्कृति तथा हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार के लिए भी अथक परिश्रम करतीं हैं। उन्होंने घर पर ही, छोटे बच्चों के लिये हिन्दी शिक्षा केन्द्र खोल रखा है जहाँ अन्य महिलाएँ भी आ कर इस महत्वपूर्ण यज्ञ में हाथ बटाती हैं । उनकी कविता की पुस्तक है - प्रवासी स्वर । "कौन कितना निकट" तथा "जीवन लीला" दो कहानी संग्रह भी प्रकाशित हो चुके हैं । अंजना संधीर द्वारा संपादित काव्य-कृति प्रवासिनी के बोल में रेणू जी की ४ कवितायें समादृत हैं । ज्ञातव्य हो कि यह संग्रह अमेरिका में महिला साहित्यकारों की कविताओं का चर्चित संग्रह भी है ।
रेणू जी मूलतः कोटा राजस्थान की हैं । एमए. अंग्रेज़ी, बी. ए. संस्कृत ओनर्स से करने के बाद उन्होंने अनेक वर्षों तक कम्प्यूटर साइंस का अध्यापन किया । बड़े और व्यस्ततम् व्यवसाय से जुड़े रहने पर भी वे अपने आवास पर कवि गोष्ठियों, साहित्यिक विमर्शों का आयोजन करती रहती हैं । कई बार हम सोचते हैं कि अमेरिका जैसे तेज़ गति वाले समाज में ऐसे कैसे संभव हो सकता है पर सच तो यह है कि रेणू जी जैसे लगनशील रचनाकार अपने लेखन और स्वाध्याय से आंतरिक जीवन को गतिशील बनाए रखते हैं यहीं से जीवन मूल्यों की खोज भी शुरू होती है । यही खोज मनुष्य को जीवन शक्ति से लबरेज़ कर देता है । यही तो कहना है रेणू जी का ।
अप्रैल में भारत से ३ कवि अमरीका पधार रहे हैं । और रेणू जी इस कार्यक्रम की तैयारियों में अभी से जुट गयीं हैं । इसी सिलसिले में उन्होंने मुझे पिछले दिनों फ़ोन किया । रात्रि भोज का आमंत्रण भी । श्री हरी बाबू बिन्दल भी पहले से विराजमान थे । हरी बाबू, कुछ अर्सा पहले लम्बी बीमारी से उबर कर भारत से फ़िर अमरीका आये थे । चेहरे में थकान साफ़-साफ़ पढ़ी जा सकती थी फिर भी उन्होंने अपनी ३ कवितायें तन्मयता के साथ सुनायीं । बिंदल जी से यह भी सुखद ख़बर मिली कि उनके समधी यानी जिंदल साह'ब हमारे शहर (सीन्सीनाटी)के हिंदू मन्दिर के लिए १०० एकड की ज़मीन की व्यवस्था में किस तरह सफलता अर्जित कर चुके हैं । भारतीय समाज के लोग इस मंदिर के लिए पर्याप्त जगह ख़रीदना चाहते थे । जिंदल साब उसे प्राप्त करने के लिए कितनी कठिन परिस्थितियों से गुज़रे थे जिनके बारे में, उन्होंने हमें विस्तार से बताया । यह समधी की संघर्षगाथा मात्र नहीं भारतीयों के स्वप्नों की फलीभूत होने की विजयगाथा भी थी । कुल मिलाकार संध्या बहुत रोचक रही ।
कविता में नारी, नारी में कविता
बात ही बात में कविता और नारी पर चर्चा होने लगी । रेणू जी का कहना था - "नारी समाज का अलंकार है । कविता साहित्य का अलंकार है। दोनों ही सौन्दर्य, लालित्य, लावण्य, रस और मर्यादा के बिम्ब हैं। कवि, मनीषियों ने कविताओं में नारी चरित्र के विभिन्न पक्षों को उभारा है। नारी कविता की शुरू से ही कथानक रही है। एक उर्दू शायर ने ग़ज़ल और कविता में अंतर करते हुए कहा है कि - "ग़ज़ल में प्रूष बोलता है और कविता में नारी बोलती है" तो, नारी कविता से अछूती कैसे रह सकती है ?
कवियत्रियों की समृद्ध परंपरा है हमारी भाषा में । भाषा का चमत्कार ही कहिए कि उसने नारी को काव्य के क्षेत्र में भी आदि को अग्रेषित किया है । वैदिक काल की गार्गी, मैत्रेयी से लेकर भक्ति काल की मीरा बाई तक और कविता के स्वर्णयुग की महादेवी वर्मा और सुभद्रा कुमारी चौहान से लेकर आधुनिक युगकी अनेक कवियित्रियों ने साहित्य जगत् को मनोरम बनाया है । नारी ने कविता के माध्यम से एक ओर अपने परिवेश के संघर्ष, विसंगतियों और सामाजिक बंधनों को बखूबी समाज के सामने रखा है तो दूसरी और श्रृंगार, ममता, वात्सल्य, करुणा, वीरता और सहनशीलता आदि भावों को शाश्वत माना है ।
हिंदी से है तुम्हें प्यार ?
चलते-चलते रेणू जी की कुछ काव्य-पंक्तियाँ जिसमें वे इसी भाव को विन्यस्त करती हैं -
यदि हिन्दी से है तुम्हें प्यार,
तो हेल्लो की जगह करो, हाथ जोड़ कर नमस्कार !
जाओ किसी दर्शनीय स्थल,
सर्वभाषाओं के मध्य खोजना हिन्दी का नाम,
न हो तो, अवश्य करना अधिकारियों से दरकार
ख़रीदना हो कोई भारतीय साज़-सामान,
ढूँढना हिन्दी में लेबल हिन्दी में नाम,
रखना दूकानदार के सामने अपने विचार,
यदि हिन्दी से है तुम्हें प्यार,
जो हिन्दी की रोटी खाते,
हिन्दी के प्रयोग से कतराते,
हिन्दी फ़िल्मों में करोड़ों कमाते,
हिन्दी बोलने में शर्माते,
एसे लोगों के विरूद्द खोलना है हमें अभियानद्वार
यदि हिन्दी से है तुम्हें प्यार !
रेणू जी का पता है -
रेणू "राजवंशी " गुप्ता,
६०७० एग्लेट ड्राइव, वेस्ट चेस्टर, ओहायो
४५०६९ यू. एस ए.
-- लावण्या
4 comments:
Saadvee ji,
Kripya mujhe e mail kariyega.
lavnis@gmail.com -- per --
dhanywaad.
hope to hear from you soon.
Warm regards,
Lavanya
achchha laga renu ji ke vishay me padh kar
Dhanywaad Kanchan ji --
Renu ji wakayee , bahut achche karyon ko poora ker rahee hain Pardes mei reker .
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