Monday, March 31, 2008

नरगिस ~ ~ एक शब्द चित्र



नरगिस
लहरा कर, सरसरा कर , झीने झीने पर्दो ने,
तेरे, नर्म गालोँ को जब आहिस्ता से छुआ होगा
मेरे दिल की धडकनोँ मेँ तेरी आवाज को पाया होगा
ना होशो ~ हवास मेरे, ना जजबोँ पे काबु रहा होगा
मेरी रुह ने, रोशनी मेँ तेरा जब, दीदार किया होगा !
तेरे आफताब से चेहरे की उस जादुगरी से बँध कर,
चुपके से, बहती हवाने,भी, इजहार किया होगा
फ़ैल कर, पर्दोँ से लिपटी मेरी बाहोँ ने,
फिर् , तेरे, मासुम से चेहरे को, अपने आगोश मेँ, लिया होगा ॥
तेरी आँखोँ मेँ बसे, महके हुए, सुरमे की कसम!
उसकी ठँडक मेँ बसे, तेरे, इश्को~ रहम ने
मेरे जजबातोँ को, अपने पास बुलाया होगा
एक हठीली लट जो गिरी थी गालोँ पे,
उनसे उलझ कर मैँने कुछ और सुकून पाया होगा
तू , कहाँ है ? तेरी तस्वीर से ये पूछता हूँ मैँ !
आई है मेरी रुह, तुझसे मिलने, तेरे वीरानोँ में ,
बता दे राज, आज अपनी इस कहानी का
रोती रही नरगिस क्युँ अपनी बेनुरी पे सदा ?
चमन मेँ पैदा हुआ, सुखन्वर, यदा ~ कदा !!--

-- लावण्या शाह
http://anubhutihindi-naihawa.blogspot.com/

10 comments:

अजित वडनेरकर said...

भई वाह!!!

अनूप शुक्ल said...

बहुत खूब!

सुजाता said...

वाह ! बहुत सुन्दर !

सुजाता said...

आपने तो मूड रोमांटिक बना डाला !

पारुल "पुखराज" said...

बहुत खूब दी, नर्म-मुलायम-गुलाबी अहसास । शुक्रिया

mamta said...

आज तो आपकी दो-दो रचनाएँ पढ़कर दिल खुश हो गया। एक से बढ़कर एक।

कंचन सिंह चौहान said...

bahut khub

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

अजित भाई, अनूप जी, सुजाता जी, पारुल बहना, ममता जी, कँचन जी
शुक्रिया ..आप सब का ..अनुभूति कविता लिखो कार्यशाला मेँ इसी तरह
काफी कुछ सीखने को मिला था ..ये उसी दौरान की एक नज़्म है ...ऊपर जो
श्वेत श्याम चित्र है उसी को देखकर कविता लिखनी थी ..नतीजा आप के सामने है !
पसँद करने का शुक्रिया !
और हाँ सुजाता जी, रोमाँटीक = is good, isn't it ? :-) sure hope so...
with Rgds to all,
L

Alpana Verma said...

bahut sundar bhaavabhivyakti

Unknown said...

Beautiful poem Lavanyaji!