नरगिस
लहरा कर, सरसरा कर , झीने झीने पर्दो ने,
तेरे, नर्म गालोँ को जब आहिस्ता से छुआ होगा
मेरे दिल की धडकनोँ मेँ तेरी आवाज को पाया होगा
ना होशो ~ हवास मेरे, ना जजबोँ पे काबु रहा होगा
मेरी रुह ने, रोशनी मेँ तेरा जब, दीदार किया होगा !
तेरे आफताब से चेहरे की उस जादुगरी से बँध कर,
चुपके से, बहती हवाने,भी, इजहार किया होगा
फ़ैल कर, पर्दोँ से लिपटी मेरी बाहोँ ने,
फिर् , तेरे, मासुम से चेहरे को, अपने आगोश मेँ, लिया होगा ॥
तेरी आँखोँ मेँ बसे, महके हुए, सुरमे की कसम!
उसकी ठँडक मेँ बसे, तेरे, इश्को~ रहम ने
मेरे जजबातोँ को, अपने पास बुलाया होगा
एक हठीली लट जो गिरी थी गालोँ पे,
उनसे उलझ कर मैँने कुछ और सुकून पाया होगा
तू , कहाँ है ? तेरी तस्वीर से ये पूछता हूँ मैँ !
आई है मेरी रुह, तुझसे मिलने, तेरे वीरानोँ में ,
बता दे राज, आज अपनी इस कहानी का
रोती रही नरगिस क्युँ अपनी बेनुरी पे सदा ?
चमन मेँ पैदा हुआ, सुखन्वर, यदा ~ कदा !!--
-- लावण्या शाह
http://anubhutihindi-naihawa.blogspot.com/
लहरा कर, सरसरा कर , झीने झीने पर्दो ने,
तेरे, नर्म गालोँ को जब आहिस्ता से छुआ होगा
मेरे दिल की धडकनोँ मेँ तेरी आवाज को पाया होगा
ना होशो ~ हवास मेरे, ना जजबोँ पे काबु रहा होगा
मेरी रुह ने, रोशनी मेँ तेरा जब, दीदार किया होगा !
तेरे आफताब से चेहरे की उस जादुगरी से बँध कर,
चुपके से, बहती हवाने,भी, इजहार किया होगा
फ़ैल कर, पर्दोँ से लिपटी मेरी बाहोँ ने,
फिर् , तेरे, मासुम से चेहरे को, अपने आगोश मेँ, लिया होगा ॥
तेरी आँखोँ मेँ बसे, महके हुए, सुरमे की कसम!
उसकी ठँडक मेँ बसे, तेरे, इश्को~ रहम ने
मेरे जजबातोँ को, अपने पास बुलाया होगा
एक हठीली लट जो गिरी थी गालोँ पे,
उनसे उलझ कर मैँने कुछ और सुकून पाया होगा
तू , कहाँ है ? तेरी तस्वीर से ये पूछता हूँ मैँ !
आई है मेरी रुह, तुझसे मिलने, तेरे वीरानोँ में ,
बता दे राज, आज अपनी इस कहानी का
रोती रही नरगिस क्युँ अपनी बेनुरी पे सदा ?
चमन मेँ पैदा हुआ, सुखन्वर, यदा ~ कदा !!--
-- लावण्या शाह
http://anubhutihindi-naihawa.blogspot.com/
10 comments:
भई वाह!!!
बहुत खूब!
वाह ! बहुत सुन्दर !
आपने तो मूड रोमांटिक बना डाला !
बहुत खूब दी, नर्म-मुलायम-गुलाबी अहसास । शुक्रिया
आज तो आपकी दो-दो रचनाएँ पढ़कर दिल खुश हो गया। एक से बढ़कर एक।
bahut khub
अजित भाई, अनूप जी, सुजाता जी, पारुल बहना, ममता जी, कँचन जी
शुक्रिया ..आप सब का ..अनुभूति कविता लिखो कार्यशाला मेँ इसी तरह
काफी कुछ सीखने को मिला था ..ये उसी दौरान की एक नज़्म है ...ऊपर जो
श्वेत श्याम चित्र है उसी को देखकर कविता लिखनी थी ..नतीजा आप के सामने है !
पसँद करने का शुक्रिया !
और हाँ सुजाता जी, रोमाँटीक = is good, isn't it ? :-) sure hope so...
with Rgds to all,
L
bahut sundar bhaavabhivyakti
Beautiful poem Lavanyaji!
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