Thursday, March 20, 2008

" राधा के गोरे गोरे गाल , उस पे मोहन ने मल्यो गुलाल ,


बृज का रसिया खेले होरी 
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 राधा : स्वगत :  नाइन के भेस श्याम पायन पखार के ,
एडींन महावर सुरंग अंग दिनों है !
सकुची सलोनी सुकुमार नार , हा ये लाज
आज ब्रिजराजा मेरे काज इत कीनो है ! )
" राधा के गोरे गोरे गाल , उस पे मोहन ने मल्यो गुलाल ,
हो , मोहन मुरली वाले ने , राधे , रंग में रंग डारी !
राधे रंग में रंग डारी
खडी नन्द जू की उजरी अटारी ,

भोरी राधा लागे प्यारी प्यारी
मोहन मुरली वाले ने  राधे रंग में रंग डारी
छम्म छम्म बाजे पायलिया औ ' धिन्न धिन्न बाजे पखवाज
नाचें ताल दै , नगर की नारी , नाचे वृद्ध अरु बाल ,
मोहन मुरली वाले ने राधे रंग में रंग डारी
चुनरी बचा के भाभी चल दीं , माँ - भाभी मैं तो पे निहाल !
जन जन नाच रहा दई ताल कि ,
मोहन मुरली वाले ने राधे रंग में रंग डारी .........
राधे रंग में रंग डारी
भींजी राधा काँपे हुई बेहाल , मोहन ने चुटकी ली काट ओर
अंबर पे उडे रि केसर मिश्रित गुलाल , की मोहन मुरली वाले ने ॥

भोरी , राधे रंग में रंग डारी
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( प्रथम ४ पंक्तियाँ बृज साहित्य से साभार )
( - लावण्या )

11 comments:

Gyan Dutt Pandey said...

नाइन के भेस श्याम?! यह प्रसंग तो हमें मालुम ही नहीं था।
बढ़िया पोस्ट और बढ़िया चित्र।

अनूप शुक्ल said...

बढि़ पोस्ट है। गोरे गाल-गुलाल के क्या कहने!

रंजू भाटिया said...

होली की बधाई ..बहुत ही प्यारी रचना लगी ..होली का रंग श्याम की बात के बिना वैसे भी अधूरा है :)

अफ़लातून said...

लावण्या जी , शुभ होली ।

रवीन्द्र प्रभात said...

बढिया है , आपको होली की कोटिश: बधाईयाँ !

कंचन सिंह चौहान said...

अहा .....सुंदर.....!

कंचन सिंह चौहान said...
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Harshad Jangla said...

Lavanyaji

Happy Holi festival to all of u.
Those first four lines need to have a small explanation plz.
What is Naiin?

Anonymous said...
This comment has been removed by a blog administrator.
Unknown said...

लावण्या जी - होली की शुभ कामनाएं सादर - मनीष

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

सभी महानुभावों के प्रति सा स्नेह ...धन्यवाद -
Rgds,
L