Wednesday, February 20, 2008

लोक नृत्य की समृध्धि

भारत के अलग अलग प्रान्तों से लोक गीत पर थिरकते, जन समुदाय का आनंद
सदीयों से , अबाध गति से , ऐसा ही , चंचल, मन भावन रहा है -- अन्तिम नृत्य
समोरोह पर आयोजित किया गया , पुराना गीत नयी साज सज्जा के साथ है
देखियेगा, अवश्य पसंद आयेंगें ये links : ~~~
1) http://www.youtube.com/watch?v=Moi6w7zT39o&feature=related
2)http://www.youtube.com/watch?v=ZW7sAMTLDas&feature=related

3)
http://www.youtube.com/watch?v=n-z6IT3EE5Y&feature=related
4 )
http://www.youtube.com/watch?v=TRCG5QnS8RE&feature=related
५)
http://www.youtube.com/watch?v=GFpZIzdcqAI&feature=related
६)
http://www.youtube.com/watch?v=9iB0UCnCVh0&feature=related

4 comments:

Gyan Dutt Pandey said...

नृत्य तो काव्य-संगीत की तरह डिवाइन है। पूरा आनन्द मिलता है उसमें।

Harshad Jangla said...

Lavanyaji

Really wonderful links, enjoyed fully. Thanx a lot.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

ज्ञान जी , सही कह रहे हैं आप -
DANCE IS, THE dIVINE, IN MOTION !

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

Harshad bhai, i genuinely appreciate all your comments & support !
thanx so much !