Friday, February 15, 2008

मलिका पुखराज ...मलिका - ऐ तरन्नुम


लिका पुखराज ...मलिका - ऐ -- तरन्नुम को सुनिए लो फ़िर बसंत आयी

http://www.youtube.com/watch?v=jq3bb33sElU&feature=related

लो फ़िर बसंत आयी --- सुनिए ये नगमा , मलिका जी, ताहीरा की आवाज़ में
मलिका पुखराज ओर ताहीरा सैयद उनकी बिटिया -- लाइव -- अभी तो मैं , जवान हूँ

http://www.youtube.com/watch?v=GUuXAHfQz7k&feature=related
रीम झीम रीम झीम पड़े फुहार http://members.tripod.com/oldies_club/malika_pukhraj.htm
जन्म: १९२१ - जम्मू कश्मीर में हुआ ओर देहांत -- २००४ लाहौर पाकिस्तान में हुआ
उस्ताद अल्लाह बख्श साहब ने मलिका पुखराज को संगीत शिक्षा दी।
कश्मीर के महाराजा हरी सिंहजी के राज दरबार में ८ साल की उम्र में , मलिका ने गीत गा कर सभी को रीझाया तभी से वे , राज दरबार से जुड़ गयीं -उसके बाद, ८ दशक तक वे, ठुमरी, गजल, भजन, लोक गीत व पहाडी गीतों में उनके हुन्नर ओर महारथ की वजह से , मशहूर हुईं ओर पाकिस्तान जाकर बस गयीं। सैयद शब्बीर हुसैन खान साहब से ब्याह रचाया ओर ६ संतानों की माँ बनी -

साथ ही संगीत का सफर जारी रहा। Song Sung True उन्होंने अपनी आत्म कहानी लिखी है - जिस हाल, मैं, पढ़ रही हूँ जिसके कारण , उनके बारे में जानकारी हासिल करने की उत्सुकता हुई ओर इस प्रविष्टी का आगाज़ हुआ -
इसी किताब में एक जगह वे लिखतीं हैं " देहली में , मैं, २ बहनों से मिली : चवन्नी ओर दुअन्नी , जितनी चवन्नी , बदसूरत थी उतनी ही दुअन्नी बला की खुबसुरत थी पर, दोनों गातीं बहुत अच्छा थीं " उस पुराने समय की देहली शेहेर की बातें , कश्मीर के जम्मू इलाके की कई बातें तथा उनकी तालीम के बारे में , फ़िर कश्मीर के महाराजा हरी सिंह जी के , राज्याभिषेक के बारे में जितनी बातें मलिका जी ने बयान की है , वाकई , यादगार है जो हमें गुज़रे हुए जमाने के तौर तरीकों से, रूबरू , करवाती दिलचस्प बातें हैं .... पढने लायक है ये उपन्यास के रूप में लिखी हुई आत्मकथा , अपने अंदर , एक गुजरे हुए जमाने के बारे में , बहुत सारा , समेटे हुए ...

5 comments:

Gyan Dutt Pandey said...

बहुत सुन्दर। आपने पद्मा सचदेव की तस्वीर भी लगाई है। उनपर भी लिखियेगा।

Harshad Jangla said...

Well written article.Song is good too.

पारुल "पुखराज" said...

WAH ,LAVANYA DI...BAHUT KHUUBSURAT,SUREELI POST ...SUBaH BHALI KAR DI AAPNEY...THX

अमिताभ मीत said...

बहुत ही उम्दा post. डूब कर सुनता रहा. आभार.

महावीर said...

मलिका पुखराज के बारे में जानकारी पढ़ कर पुरानी यादें ताज़ा कर दीं। उसके लिए धन्यवाद। हां, मलिका पुखराज का एक गाना था जो उन दिनों बहुत ही मकबूल हुआ था - 'अभी तो मैं जवान हूं'। जहां तक मुझे याद है कि इसकी धुन शायद मशहूर फिल्म संगीतकार 'हुसनलाल भगत राम' ने दी थी। इस गाने को उनकी बेटी ताहिरा ने भी बड़ी खूबसूरती से गाया। गाना इतना मशहूर था कि मलिका-ए-तरन्नुम 'नूरजहां' ने भी एक फ़िल्म में गाया था।
ऐसी जानकारी देते रहिए, बड़ा अच्छा लगता है, विशेषतयः हिंदी में पढ़ कर।
एक बार फिर धन्यवाद।