आदित्य प्रकाश | |
Monday, 11 February २००८ http://www।hindimedia.in/content/view/1189/141/ | |
हमारे देश में फिल्म और टीवी दुनिया के लोग हिन्दी के नाम पर करोड़ों अरबों रुपये की कमाई करते हैं, मगर किसी भी मौकै पर हमारे फिल्मी सितारों, निर्देशकों और इससे जुड़े हर शख्स को हिन्दी बोलने में मानो शर्म महसूस होती है। अब तो फिल्म समारोहों में जाकर दो दो कौड़ी के विदूषक, जिन्हें अभिनेता की बजाय जोकर कहना ज्यादा बेहतर होगा हिन्दी के शब्दों की खिल्ली उड़ाते हैं और उस समारोह में भाजपा के नेता और हिन्दी की कमाई खाने वाले शत्रुघ्न सिन्हा तालियाँ बजाकर उन जोकरों की बातों पर वाहवाही करते हैं। दूसरी ओर हमारे देश से हजारों मील दूर ऐसे लोग हैं जो जिन्होंने अपने वतन, मिट्टी और भाषा और साहित्य को जिंदा ही नहीं रखा है बल्कि निःस्वार्थ सेवा कर इसे और समृध्द बना रहे हैं। पेश है अमरीका के डैलास से श्री आदित्य प्रकाश की यह रपट कि किस तरह एक रेडिओ कार्यक्रम से पाकिस्तानी, बंगलादेशी और भारतीय का भेद मिट गया है और सभी लोग अपने आपको एक ही देश से जुड़ा महसूस करने लगे हैं। विदेश में भीड़ में अकेले खो ना जाएं, इसके लिये सामाजिक संस्थाएं, मंदिर, देशी पर्व त्यौहार पर उत्सव अकेलेपन को अवश्य दूर करता है और व्यक्ति अपने देश से जुडा़ महसूस करता है। सामुदायिक रेडियो जहाँ भारत पाकिस्तान और बांगलादेश के लोग एक मंच पर "देसी" बन कर अमेरिका में अपनी पहचान बना पाने में सक्षम हो पाते हैं। दो वर्ष पहले, अमेरिका के डैलस शहर में एक नया रेडियो स्टेशन स्थापित हुआ, "रेडियो सलाम-नमस्ते" जिसे हर भारतीय और पाकिस्तानी अपना रेडियो समझता है। आज इस रेडियो से हिन्दी, उर्दु, तेलुगु, तमिल, गुज्रराती, पंजाबी और नेपाली भाषा में एक एक घन्टे के कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते है। यह अमेरिका का पहला एफ़-एम (104.9 fm) रेडियो स्टेशन है जो सातों दिन, चौबीसो घंटे अपना कार्यक्रम प्रसारित करने के लिये चर्चित है। वैसे तो इस रेडियो स्टेशन से कई कार्यक्रम प्रस्तुत किये जातें हैं, पर हिंदी कविता पर विशेष कार्यक्रम "कवितांजलि" अपने आप में विश्व में अनूठा बन गया है। हर रविवार रात्रि 9 बजे से यह कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाता है जिसके लिये अमेरिका के हिंदी प्रेमी आतुरता से प्रतीक्षा करते हैं। "कवितांजलि" ने कविता के माध्यम से दुनिया भर के कविता प्रेमियों को एक साथ लाने का जो प्रयास किया है, उसे दुनिया भर के रसिक श्रोताओं ने सराहा है। इस मंच पर भारत के कई लोकप्रिय कवि पाठ कर चुके हैं जिनको सुन कर अमेरिका में बसे भारतीयों को हजारों मील दूर भी अपने वतन की मिट्टी की महक मिलती रहती है और वे अपने आपको इस माटी से जुड़ा महसूस करते हैं। इस कार्यक्रम से अमेरिका में हिंदी कि दशा और दिशा, दोनो का पता चलता है। इस रेडिओ के माध्यम से जय शंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की छंद बद्ध कविताओं को सस्वर को प्रस्तुत कर उन्हे पुनर्जीवित किया गया है। भारत में से जिन कवियों ने इस रेडियो कार्यक्रम से अपना काव्य पाठ किया, उनमे कुमार विश्वास, सुनील जोगी, राजेश चेतन, ओम व्यास, पवन दीक्षित, मनोज कुमार मनोज, दीपक गुप्ता, अर्जुन सिसोदिया, मनीषा कुलश्रेष्ठ, डाँ कविता वाचकनवी आदि प्रमुख हैं। जबकि प्रवासी कवियों में: अंजना संधीर, लावण्या शाह (लावण्याजी जाने माने गीतकार स्वर्गीय पं. नरेंद्र शर्मा की पुत्री है), इला प्रसाद, अभिनव शुक्ल, रेखा मैत्र, प्रियदर्शिनी, कुसुम सिन्हा, देवेन्द्र सिंह, अर्चना पांडा, रेणुका भटनागर, सुधा धिंगरा, हरिशंकर आदेश, डाँ ज्ञान प्रकाश, शशि पाधा, कल्पना सिंह चिटनिस आदि ने काव्य पाठ कर अमरीका में बसी भारत की नई पीढ़ी और भारतीयों की पुरानी पीढ़ी को अपनी भाषा और साहित्य के सौंदर्य से परिचित ही नहीं कराया है बल्कि हमारी साहित्य और संस्कृति को एक नया आयाम दिया है। साहित्यकारों में इंटरनेट के माध्यम से हिन्दी के नवोदित रचनाकरों को मंच देने में सक्रिय भूमिका निभाने वाले रापयुर के श्री जयप्रकाश मानस (सॄजनगाथा) का भी इस आयोजन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आज स्थिति यह हो गई है कि कविता के इस कार्यक्रम के लिए अमरीका में बसे भारतीय बेसब्री से इंतजार करते हैं। अभी हाल में कवि आदेश जी ने पहली बार इस कार्यक्रम को सुना तो अपना अनुभव काव्य में ही भेज दिया (कुछ पंक्तियाँ यहाँ प्रस्तुत हैं)- "गीत में नव प्राण भरता कार्यक्रम कवितांजलि, विश्व में हर ओर से, हर छोर से कवि जुड़े रहें। रच रहा इतिहास नूतन कार्यक्रम कवितांजलि॥ पुनर्जीवित हो उठे हैं "पंत", "जय शंकर प्रसाद", नव दिशा दिखला रहा है कार्यक्रम कवितांजलि॥ खुशी कि बात है कि इस रेडियो को ऑनलाइन विश्व भर में कहीं भी कभी भी सुना जा सकता है। आप चाहें तो अपने घर में बैठकर भी इस कार्यक्रम का मजा ले सकते हैं। www.radiosalaamnamaste.com और अगर कार्यक्रम सुनते-सुनते आपके अंदर किसी कविता का जन्म हो जाए तो तो फोन उठाएं और काल करें: 972-401-1049. इसी माह "कवितांजलि" अमेरिका में अपना एक वर्ष पूरा कर रही है। (लेखक इस कार्यक्रम के प्रस्तुतकर्ता हैं और वे अपने हिन्दी प्रेम के कारण इसके लिए निःशुल्क सेवाएं देते हैं) |
Wednesday, February 13, 2008
"कवितांजलि" : आदित्य प्रकाशजी -"रेडियो सलाम-नमस्ते" :
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4 comments:
अच्छी जानकारी दी आपने।
Nice info.I have included the radio site in my favorites.
Thanx & Rgds.
शुक्रिया ज्ञान भाई साहब --
Thank you Harshad bhai --
Good thought Re: Salaam Nameste
you'll hear many poems & get to know many poets this way.
Rgds,
L
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