

पोप बेनेडिक्ट


अलेक्ज़ान्द्रिया शहर यहूदी शिक्षा ओर संस्कृति का केन्द्र रहा है.
सन : ३० से लेकर १३० तक वहीं ख्रिस्ती धर्म की नींव राखी गयी थी।
सन : ३० से लेकर १३० तक वहीं ख्रिस्ती धर्म की नींव राखी गयी थी।
सन १९५ पॉप विक्टर प्रथम ने, रोम शहर , कि जिसे इसा मसीह के शिष्य पीटर ने स्थापित किया था , उसे, अन्य चर्चों में , प्रमुख स्थान दिया।
पोप लीयो ने सन ४५१ में , कोंस्तान्तिनोपाल शहर के बदले,
रोम का वर्चस्व , पुनः मजबूत किया।
रोम का वर्चस्व , पुनः मजबूत किया।
पोप हीराक्लास ने सन २३२ में और सीरीसीयस ने भी पोप के रूप में प्रतिष्ठा पायी थी।
बायाजेंटीयम साम्राज्य में , रोम पेपल सता की मुख्य जगह रही।
बायाजेंटीयम साम्राज्य में , रोम पेपल सता की मुख्य जगह रही।
चार्ल्समेंगने प्रथम राज पुरुष रहा जिसे सम्राट के पद पर ,
पोप ने , धार्मिक विधि से पदासीन किया था।
पोप का चुनाव कार्डिनेल , करते हैं जो सदस्यों के मध्य से ही करने की प्रथा है।
पोप का चुनाव कार्डिनेल , करते हैं जो सदस्यों के मध्य से ही करने की प्रथा है।
सन ११७९ में हर कार्डिनेल को समान दर्जा दिया गया।
सन १३७८ में पोप अर्बन , का चुनाव, बाहर से किया गया जों एक अपवाद था।
सन १२७४ की ७ मई को ये निर्णय लिया गया की पोप के देहांत होने पर १० दिन के भीतर , ८० वर्ष की उम्र के नीचे के सभी कार्डिनेल, पेपल कोंक्क्लेव में , बंद होकर , गुप्त मत विधि से , नये पोप का चुनाव करेंगें ।
सन १२७४ की ७ मई को ये निर्णय लिया गया की पोप के देहांत होने पर १० दिन के भीतर , ८० वर्ष की उम्र के नीचे के सभी कार्डिनेल, पेपल कोंक्क्लेव में , बंद होकर , गुप्त मत विधि से , नये पोप का चुनाव करेंगें ।
इस का तरीका था , अपने स्वर से या माथा हिलाकर किया जाना
सन १६२१ में पोप जोन पोल द्वितीय ने , मतपत्र ओर बक्से द्वारा मतदान आरंभ करवाया जो सीस्तीन चेपल में किया जाता है -
सन १६२१ में पोप जोन पोल द्वितीय ने , मतपत्र ओर बक्से द्वारा मतदान आरंभ करवाया जो सीस्तीन चेपल में किया जाता है -
- जीहाँ वही जगह जो वेटिकन सिटी , पोप का आवास है जहां , माइकल एन्जेलो द्वारा , विश्व की , सबसे कलात्मक चित्रकारी , गुम्बद नुमा , चर्च की भींतों पर और छत पे उकेरी गयीं हें। Sistin Chapel की रचना , यहूदी सम्राट सोलोमन के पुराने मंदिर के अनुपात से की गयी है जिसका विवरण पुराने टेस्टामेंट में मौजूद है ।
राफेल नामक कलाकार की बनी टेपेस्ट्री भी
संत पीटर एवं पोल के जीवन के विषय पर आधारित हें।
देखें लिंक :
http://mv.vatican.va/3_EN/pages/CSN/CSN_Main.html
सनातन धर्म से ख्रिस्ती धर्म कयी मामलोँ मेँ भिन्न है
- पोप बेनेडीक्ट बीयर शौक से पीते हैँ !
देखिए http://www।thehimalayantimes.com/fullstory.asp?filename=aFanata0scqzpba8a8a3pa.axamal&folder=aHaoamW&Name=Home&dtSiteDate=20080130
जब् कि हिन्दु धर्म के सँत मदिरापान नही करते -
संत पीटर एवं पोल के जीवन के विषय पर आधारित हें।
देखें लिंक :
http://mv.vatican.va/3_EN/pages/CSN/CSN_Main.html
सनातन धर्म से ख्रिस्ती धर्म कयी मामलोँ मेँ भिन्न है
- पोप बेनेडीक्ट बीयर शौक से पीते हैँ !
देखिए http://www।thehimalayantimes.com/fullstory.asp?filename=aFanata0scqzpba8a8a3pa.axamal&folder=aHaoamW&Name=Home&dtSiteDate=20080130
जब् कि हिन्दु धर्म के सँत मदिरापान नही करते -
अन्य सभी धर्म के ऐसे कई मसले हें जो उन्हें एक दुसरे के
रीति रिवाजों से अलग करते हें --
सर्वधर्म समभाव मेरी मान्यता है और रहेगी -
हर धर्म के मूल में निहित अच्छाइयों को ही ग्रहण करने से ,
रीति रिवाजों से अलग करते हें --
सर्वधर्म समभाव मेरी मान्यता है और रहेगी -
हर धर्म के मूल में निहित अच्छाइयों को ही ग्रहण करने से ,
आत्मोध्धार मिलता है -
8 comments:
अन्त में आपने सही बात कही है - सभी धर्मों की अच्छाइयों का ग्रहण ही आत्मोद्धार का जरीया है। और इसी लिये सभी धर्मों पर अध्ययन-मनन करते रहना चाहिये।
Lavanyaji
Something new and interesting. Thanx.
जी हाँ ...आपने सही कहा Gyan ji !
Harshad bhai,
Thank you so much !
rgds,
L
कभी कभी सच में बड़ी संजीदगी से सोचता हूँ, कि सर्वधर्म समभाव के अतिरिक्त भी क्या कोई तरीका / ढंग है, या हो सकता है जीने का ?
मेरे खयाल मेँ तो सर्व धर्म सम्भाव ही सही है -
हालाँकि ह्रर धर्म्, ये भी कहता है कि
"यही एक राजमार्ग है "
जिस पे चलकर , ईश्वर मिल जायेँगेँ !
शायद, सारे रास्ते, एक ही रास्ते से मिल जाते हैँ
I really like your Live Traffic Map*
So much better than what I have.
Take a look at my blog to see what I mean.
syrena,
yours is good also.
rgds,
L
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