Thursday, January 17, 2008

मेहंदी मालवा से, जिसका रंग निखरा गुजरात में (एक लोक -गीत )

हाय, हाथों में मेहंदी ...सजी दुल्हन...
अब , ये , दुल्हन , ससुराल चली
!
पांवों में महावर , पहने हो झांझर, दुल्हन , ससुराल चली !ये गुजरात का सबसे ज्यादह , गाया जानेवाला " गरबा -गीत " है
मेहंदी मालवा में उगाई गयी थी पर आज इसका रंग निखारा है दुल्हन के मेहंदी में, जों गुजरात में , ससुराल जाने के लिए, सोलह श्रंगार किये, सजी हुई है।
जिसे यहां, हिन्दी भाषांतर सहित प्रस्तुत करते हर्ष हो रहा है -
गुजराती ब्लोग जिसे जयश्री जी लिखतीं हैं उसी से साभार --
गीत सुनने के लिए क्लीक करें --

સ્વર : લતા મંગેશકર

તન છે રૂપનું હાલરડું ને આંખે મદનો ભાર
( तन है रूप की लोरी आंखों में मद अपार )
ઘૂંઘટમાં જોબનની જ્વાળા ઝાંઝરનો ઝમકાર

घूंघट में यूवानी की ज्वाला, झांझर के झंकार
લાંબો છેડો છાયલનો, ને ગજરો ભારો ભાર
लंबा आँचल चुनरी का, गजरों की बहार
લટકમટકની ચાલ ચાલતી જુઓ ગુર્જરી નાર
लटक मटक चाल चलती, देखो गुर्जरी नार !
મેંદી તે વાવી માળવે ને એનો રંગ ગયો ગુજરાત રે
मेहंदी बोयी थी मालवा में, जिसका रंग निखरा गुजरात
મેંદી રંગ લાગ્યો રે
आहा मेहंदी तेरा रंग लगा रे!
નાનો દિયરડો લાડકો જે,
કંઇ લાવ્યો મેંદીનો છોડ રે
लाडला देवर लाया मेहंदी का बिरवा रे
… મેંદી …
आहा मेहंदी तेरा रंग लगा रे!
વાટી ઘૂંટીને ભર્યો વાટકો ને ભાભી રંગો તમારા હાથ રે …
कूट पीस कर भरी कटोरी , भाभी अब रंग लो हाथ
મેંદી …
आहा मेहंदी तेरा रंग लगा रे!
હે… લાંબો ડગલો, મૂછો વાંકડી, શિરે પાઘડી રાતી
लंबा कोट , मूंछें बांकी,सिर पे पगड़ी लाल
બોલ બોલતો તોળી તોળી છેલછબીલો ગુજરાતી
एक एक बोल, तौल कर बोले, छैलछबीला गुजराती
હે॥ .......
તન છોટુ પણ મન મોટું, છે ખમીરવંતી જાતી
तन छोटा पर मन बडा खमीरवन्त है जाति
ભલે લાગતો ભોળો, હું છેલછબીલો ગુજરાતી
भले ही लागूँ मै भोला भाला, मैँ हूँ छैलछबीला, गुजराती !
હાથ રંગીને વીરા શું રે કરું?
इन हाथोँ को रँग के वीराँ क्या करूँ ?
એનો જોનારો પરદેશ રે …
इन्हेँ देखनेवाला गया है परदेस रे
મેંદી …
आहा मेहंदी तेरा रंग लगा रे!
મેંદી તે વાવી માળવે નેએનો રંગ ગયો ગુજરાત રે
મેંદી રંગ લાગ્યો રે.

7 comments:

Harshad Jangla said...

Lavanyaji
It is one of those everlasting Gujarati songs which is known, liked and sung by every Gujarati.The translation is just wonderful.I remember it being used in our local Raas-Dandiyas in Mumbai before almost five decades. Great!!!

अजित वडनेरकर said...

बहुत खूब लावण्या जी। आपके ब्लाग में कुछ सज्जा भी बदली बदली लग रही है।

annapurna said...

अच्छा लगा गीत और प्रस्तुति भी।

ghughutibasuti said...

सुन्दर गीत है । दोनों भाषाओं में देने के लिए धन्यवाद ।
घुघूती बासूती

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

गीत को पसँद करने का धन्यवाद अजित जी, घुघूती जी व अन्नपूर्णा जी ...
और आपके कहने पे मेरे जाल घर की साज सज्जा भी बदलने की कोशिश की है --
सादर, स स्नेह,
- लावण्या

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

Harshad bhai,
Yes
this song is always played during weddings & Raas Garba or Dandiyaa
& brings back so many memories, isn't it ?
Thank you so much for enjoying my translation effort of this Lok Geet of Gujrat.
I feel, some of these great inheritance should be shared with All so they can enjoy such Gems also.
rgds,
& Thanx again,
L

હરસુખ થાનકી said...

सुंदर ब्लोग. तमे गुजराती जाणो छो एम मानीने गुजरातीमां कोमेन्ट करी रह्यो छुं. हुं गुजराती ब्लोगर छुं. सर्फिंग करतो आ साइट पर आव्यो छुं. महेंदीना गीते घणी स्मृतिओ ताजी करी दीधी. आ गीत गुजराती फिल्म "महेंदी रंग लाग्यो" (1960) मां पण लेवायुं हतुं.