इतने कष्ट उठाकर भी , चुनरी के भीतर , मुस्कुराती , ये भी एक माँ , पत्नी , भाभी बेटी , हैं
सबसे पहले जागती, सबसे बाद में सोती है जो,
ये भारत की नारी है परदे में रहती है वो
और ये शहरी, आधुनिक, सफल, महिलाएं हैं -- २ जया --
दीनेश बागैती कर , सुधीर नाइक्वाडे , कुनाल जाधव, शोबी डी 'सुझा , अजय मराठे, वैभव मराठे, संदीप पंचाल, संदीप शुक्ला, डेरीक जाधव, स्वपनिल मन्दारे, सिध्धार्थ सिंह , अमित कपूर, ओर रवींद्र शुक्ला ...ये लड़कों के नाम हैं जो मुम्बई ३१ दिसम्बर की
मध्य रात्री को २ अनजान युवती , जो अप्रवासी भारतीय मूल की थीं , अपने दोस्त व परिवार के सदस्यों के साथ बिपाशा बासु का शो देखकर बाहर निकलीं थीं तब , उनके साथ बदसलूकी की गयी --
इन सारे युवकों को बेल मिल गयी हैं चूंकि ये पहले से अपराधी नहीं थे।
इनका केस नागेश जोशी नामक वकील की टीम ने सम्हाला हैं।
ऐसी ही बदसलूकी देहली यूनिवर्सिटी की छात्राओं के साथ भी हुई ॥
कोल्कत्त्ता में भी शर्र्म्नाक वारदातें हुईं हैं :(
.लाटुर में भी ऐसा किस्सा सुनने में आया हैं।
Rape cases in India jump 678% since 1971:
ये भी समाचार पत्रों ने , बतलाया हैं । तब , विश्व जाल पर सर्फ़ करते ये , तस्वीरें भी मिलीं ...जिन्हें आपके सामने प्रस्तुत कर रही हूँ ....
[ The arrested identified as - Dinesh Bagaitkar, Sudhir Naikwade, Kunal Jadhav, Shobby D'Souza, Ajay Marathe, Vaibhav Marathe, Sandip Panchal, Manoj Panchal, Sandip Shukla, Derek Jadhav, Swapnil Mandare, Siddharth Singh, Amit Kapoor and Ravindra Shukla - have been charged with outraging modesty of women, unlawful assembly, rioting, causing hurt and wrongful restraint
14 comments:
कितना सही लिखा है आपने...मगर कुछ नही हो सकता बार-बार जेल होगी और बेल भी हो जायेगी...
तस्वीरे बहुत खूबसूरत है गाँवों में आज भी देखने को मिल जाती हैं हाँ मगर दोनो सांसद जया कम ही साथ-साथ नजर आती है...:)
मुम्बई की घटना हो चाहे दिल्ली की हर जगह औरत को सिर्फ एक वस्तु ही समझा जाता है।
गिरफ्तार किये गए लड़कों को जानने वाले कहते है कि वो लड़के बहुत शरीफ है। उनकी शराफत का सबूत तो हम सभी देख चुके है।
सोच की भँवर में डूबा मन समझ नहीं पाता कि मानव के कितने रूप हैं.. ममतामयी त्यागमयी कहलाने वाली नारी से ही नर के उस शर्मनाक रूप का भी जन्म होता है..
लावण्या जी , अब समय आ गया है कि यदि हम संसार में स्त्री नामक प्राणी को जिन्दा रखना चाहते हैं तो अपने अपने परिवारों में लड़कों से युवराज की तरह व्यवहार करना बंद कर दें ।
यह एक बहुत व्यापक बीमारी है और इसका इलाज भी इन्हें जन्म देने वाली स्त्रियों को ही करना होगा ।
घुघूती बासूती
बहुत ही शर्मनाक हरकत हुई है ये और फैसला ? जमानत... बहुत ही शर्म की बात है ये...क्या भावनायें लेकर जायेंगी वो युवतियाँ नये साल पर अपने ही देश की माटी से...
जब आए दिन उन महिलाओं की सूची बढ रही है जो अपने गर्भ में पलने वाली लड़की के भ्रूण को ही नष्ट कर रही है तब ऐसे अपराधियों की ज़मानतों को कैसे रोका जा सकता है।
अन्नपूर्णा
बारहा में ने महसूस किया है कि मैं कुछ कहना चाहता हूँ और कह नहीं पाता. शायद इसी लिए मेरे blog का नाम ........... जो है सो है . ऐसे में मैं अक्सर एक शेर कह के काम चलाने की कोशिश करता हूँ. आप के इस पोस्ट ने भी कुछ कहने पर मजबूर कर दिया है, सो एक शेर :
"इंसानियत ख़ुद अपनी निगाहों में है ज़लील
इतनी बुलंदियों पे तो इन्साँ कभी न था"
सुनीता जी, आपके लिखने का और यहाँ आने का शुक्रिया !
शराफत का मुखैटा असहाय लडकी को देख उतर जाए वो कैसी शराफत ? है ना ममता जी ?
मीनाक्षी जी , एक पुराना गाना है, साधना फ़िल्म का क्या आपने सुना है ? " औरत ने जन्म दिया मर्दों को ..." लता जी का गाया हुआ है --
-- वैसे ही भाव आप ने दर्शाए हैं --
घुघूती जी, सच कह रहीं हैं आप -- स्त्रीयों को ही फ़िर से नए सिरे से , पुरुषों की सोच बदलने के लिए ठोस प्रयास करने का समय कब का आ गया है --
भावना जी, बेचारी लडकियां ! दुखी मन लेकर जाएँगीं भारत से ! :-(
अन्नपूर्णा जी , हाँ वकील का काम ही है अपने मुवाक्कील को हर हाल में बचा कर ले जाना क़ानून का काम लंबे समय तक चलता रहता है --
मीत जी, शेर बिल्कुल सही कह रहा है हर भाव --
अब, " जो है सो तो है ही ! "
आपके ब्लॉग पर सुमधुर गीत सुने और पसंद आए --
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