ज्योति पर्व : ज्योति वंदना
जीवन की अँधियारी रात हो उजारी !
धरती पर धरो चरण तिमिर-तमहारीपरम व्योमचारी!
चरण धरो, दीपंकर, जाए कट तिमिर-पाश!
दिशि-दिशि में चरण धूलि छाए बन कर-प्रकाश!
आओ, नक्षत्र-पुरुष,गगन-वन-विहारीपरम व्योमचारी!
धरती पर धरो चरण तिमिर-तमहारीपरम व्योमचारी!
चरण धरो, दीपंकर, जाए कट तिमिर-पाश!
दिशि-दिशि में चरण धूलि छाए बन कर-प्रकाश!
आओ, नक्षत्र-पुरुष,गगन-वन-विहारीपरम व्योमचारी!
आओ तुम, दीपों कोनिरावरण करे निशा!
चरणों में स्वर्ण-हासबिखरा दे दिशा-दिशा!
पा कर आलोक, मृत्यु-लोक हो सुखारीनयन हों पुजारी!*****************************************************************
सुख सुहाग की दीव्य ~ ज्योति से, घर आँगन मुस्काये, ज्योति चरण धर कर दीवाली, घर आँगन नित आये" *****************************************************************
-- रचना : पँ.नरेद्र शर्मा --सँकलन : लावण्या
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ज्योति पर्वसंकलन दीप ज्योति नमोस्तुते
दीप शिखा की लौ कहती है,व्यथा कथा हर घर रहती है!
कभी छुपी तो कभी मुखर होअश्रु-हास बन बन बहती है!
चरणों में स्वर्ण-हासबिखरा दे दिशा-दिशा!
पा कर आलोक, मृत्यु-लोक हो सुखारीनयन हों पुजारी!*****************************************************************
सुख सुहाग की दीव्य ~ ज्योति से, घर आँगन मुस्काये, ज्योति चरण धर कर दीवाली, घर आँगन नित आये" *****************************************************************
-- रचना : पँ.नरेद्र शर्मा --सँकलन : लावण्या
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ज्योति पर्वसंकलन दीप ज्योति नमोस्तुते
दीप शिखा की लौ कहती है,व्यथा कथा हर घर रहती है!
कभी छुपी तो कभी मुखर होअश्रु-हास बन बन बहती है!
हां, व्यथा सखी, हर घर रहती है!
बिछुड़े स्वजन की याद कभीनिर्धन की लालसा ज्यों, थकी-थकी
हारी ममता की आँखों में नमीबन कर, बह कर, चुप-सी रहती है!
हाँ व्यथा सखी, हर घर बहती है!
नत मस्तक, मैं दिवला बार नमूँ,
हारी ममता की आँखों में नमीबन कर, बह कर, चुप-सी रहती है!
हाँ व्यथा सखी, हर घर बहती है!
नत मस्तक, मैं दिवला बार नमूँ,
आरती माँ महा-लक्ष्मी, मैं तेरी करूँ,
आओ घर घर माँ, यही आज कहूं,
दुखियों को सुख दो, यह बिनती करूँ,माँ!
देख दिया अब प्रज्वलित कर दूँ!
दीपावली आई फिर आँगन,बन्दनवार रंगोली रची सुहावन!
दुखियों को सुख दो, यह बिनती करूँ,माँ!
देख दिया अब प्रज्वलित कर दूँ!
दीपावली आई फिर आँगन,बन्दनवार रंगोली रची सुहावन!
किलकारी से गूँजा रे, प्रांगनमिष्टान-अन्न-धृत-मेवा, मन भावन!
देख सखी यहाँ, फुलझड़ी मुस्कावन!
जीवन बीता जाता ऋतुओं के संग-संग ,
हो सब को, दीपावली का अभिनंदन!
देख सखी यहाँ, फुलझड़ी मुस्कावन!
जीवन बीता जाता ऋतुओं के संग-संग ,
हो सब को, दीपावली का अभिनंदन!
नये वर्ष की बधाई - हो, नित नव-रस !
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डॉ. मनस्वी श्रीविद्यालंकार : वेब दुनिया से साभार
धनतेरस के दिन क्या करें?
इस दिन धन्वंतरिजी का पूजन करें
दीपक प्रज्वलित कर घर, दुकान आदि को श्रृंगारित करें।
मंदिर, गोशाला, नदी के घाट, कुआँ, तालाब, बगीचों में भी दीपक लगाएँ।यथाशक्ति तांबे, पीतल, चाँदी के गृह-उपयोगी नवीन बर्तन व आभूषण क्रय करें।
स्नान करके प्रदोष काल में घाट, गौशाला, बावड़ी, कुआँ, मंदिर आदि स्थानों पर तीन दिन तक दीपक जलाएँ।
भगवान कुबेर पर फूल चढ़ाएँ -
श्रेष्ठ विमान पर विराजमान, गरुड़मणि के समान आभावाले, दोनों हाथों में गदा एवं वर धारण करने वाले, सिर पर श्रेष्ठ मुकुट से अलंकृत तुंदिल शरीर वाले, भगवान शिव के प्रिय मित्र
निधीश्वर कुबेर का मैं ध्यान करता हूँ।
इसके पश्चात निम्न मंत्र द्वारा चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन करें
-'यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य
अधिपतयेधन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा ।'
-लावण्या शाह
-लावण्या शाह
7 comments:
दीपावली की आपको और आपके परिवार को भी ढेरों शुभकामनाऎं.
दीपावली की आपको और आपके परिवार को भी ढेरों बधाई और अनेकों शुभकामनाऎं.
सुन्दर रचनायें.
Lavanyaji
Beautiful poems.
Wishing you and your family, a Haappy Deewali and a Prosperous New Year. May God bless you with an ability to write more and more wonderful poems, interesting blogs and and to become a real Shishya of Papaji.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
दीपावली की ढेरों शुभ कामनाएँ।
आपके जीवन में सुख का प्रकाश हो।
संजय गुलाटी मुसाफिर
काकेश जी, समीर भाई, सँजय जी आप सभी की बधाइयाँ मिल गईँ तो दीपावली
दमक उठी --
& Harshad bhai,
I respectfully acknowledge your blessings , given to me , during this Festive season -- May I earn to b an apt Shishya of such a Worthy Soul -
I wish all of you a Joyous Time.
स स्नेह
- लावण्या
दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ आपकी रचनाओं की भी बहुत-2बधाई बहुत अच्छी हैं सभी रचनायें...
बहुत , बहुत आभार, आपका भावना जी ..
आपको भी नवा वर्षा की दीपावली की शुभ कामनाएं
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