( भारतीय उध्योगपति परिवार की बडी बहूरानी )
( असल नाम है निवृति ) अनिल अंबानी
जिनके हवाई जहाअज मेँ ऐश्वर्या व अभिषेक
जिनके हवाई जहाअज मेँ ऐश्वर्या व अभिषेक
तिरुपती देवस्थानम दर्शन के लिए
उनकी शादी के दूसरे दिन यात्रा करते हुए
देवी - दर्शन ? ;-)
ऐश्वर्या को बीग -बी ( अमिताभ जी ) व जया जी व परिवार "परी" के नाम से बुलाते हैँ - ३४ वीँ साल गिरह पर अपने तोहफे नीली ( मर्सीडीज़ )लक्ज़री कार के साथ खुश होकर खडीं ऐश्वर्या बच्चन राय
और ये खडाऊँ हैँ भारत के सँत महात्मा , हमारे सबके दुलारे गाँधी बापू जी की --- जिन्हेँ देखकर ये विचार आ रहा है कि, भारत का आज का सच, बहुत बदल गया है उन्नतिशील, प्रगति के पथ पर चलते,भारत के प्रति मुझे गर्व है, सद्` भावनाएँ हैँ परँतु .....ये भी सोचती हूँ कि, हमारे असँख्य बलिदानी, शूरवीर देश भक्तोँ के बलिदान, उनकी कुरबानीयाँ आज का २१ वीँ सदी का भारत, भूल न जाये तो ही अच्छा होगा ...
उनकी शादी के दूसरे दिन यात्रा करते हुए
देवी - दर्शन ? ;-)
ऐश्वर्या को बीग -बी ( अमिताभ जी ) व जया जी व परिवार "परी" के नाम से बुलाते हैँ - ३४ वीँ साल गिरह पर अपने तोहफे नीली ( मर्सीडीज़ )लक्ज़री कार के साथ खुश होकर खडीं ऐश्वर्या बच्चन राय
और ये खडाऊँ हैँ भारत के सँत महात्मा , हमारे सबके दुलारे गाँधी बापू जी की --- जिन्हेँ देखकर ये विचार आ रहा है कि, भारत का आज का सच, बहुत बदल गया है उन्नतिशील, प्रगति के पथ पर चलते,भारत के प्रति मुझे गर्व है, सद्` भावनाएँ हैँ परँतु .....ये भी सोचती हूँ कि, हमारे असँख्य बलिदानी, शूरवीर देश भक्तोँ के बलिदान, उनकी कुरबानीयाँ आज का २१ वीँ सदी का भारत, भूल न जाये तो ही अच्छा होगा ...
9 comments:
श्रृंख्ला अच्छी सजाई है. नहीं भूलेंगे. दोनों बातें अपनी अपनी जगह हैं. और जिनको भूलना है, वो बिना इन चीजों को हुए भी उन्हें भूले जा रहे हैं.
बापूजी की खड़ाऊ और धनपतियों की जीवन शैली..वाह क्या बात है...विरोधाभासों में जी रहा हमारा जनमानस.लावण्या बेन हम सबका जीवन क्षणभंगुर है...राजे गए ; रजवाड़े गए; धनपति आए ; औद्योगिक घराने और नेता-अभिनेता भी आए और चले जाएंगे...ये करोड़ों के हवाई जहाज़ और इन रईसों के उपहार...सब भुला दिये जाएंगे...याद तो रहेंगे बापू और उनके सादा साधन.ज़िन्दगी के सच को आचरण में उतारने वाले महात्मा अमर हैं...बाबू घनश्यामदास बिड़ला की तरह अनिल अंबानी,मुकेश अंबानी,विजय माल्या जैसे धनकुबेरों को जन-जन के लिये कुछ कर गुज़रना चाहिये शायद तभी ज़माना उन्हे याद करेगा...वरना सभी को काल-कवलित हो ही जाना है....मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना है कि एक समय के बाद आदमी को सोचना चाहिये कि वह लोगों की स्मृतियों में किस तरह से रहना चाहता है..या रहना चाहता है भी या नहीं...
लावण्या जी श्रृंखला की एक कड़ी से हमें आज़ादी मिली और विश्व में एक स्थान दूसरी कड़ी ने भी तो विश्व में हमें एक स्थान दिया है। यह बात और है कि दोनों स्थान अलग-अलग है पर विश्व पटल पर भारत को अंकित तो करते है।
अन्नपूर्णा
Lavanyaji
Interestingly created Contrast
Thanx & Rgds
समीर भाई सही कहा आपने ...जो भूलना चाहतेँ हैँ उनके लिये
इन बातोँ के कोई मायने नहीँ ..
स स्नेह
- लावण्या
जी हाँ सँजय भाई,
किसी की मुस्कुराहटोँ पे हो निसार
किसी का दर्द हो सके तो ले उधार
जीना इसीका नाम है ...है ना ?
तेज,बालू के कण सी अद्रश्य होती ज़िँदगी
के ये भी कठिन निर्णय होते हैँ
स स्नेह
- लावण्या
अन्नपूर्णा जी,
समूचा विश्व भारत की प्रगति से प्रभावित अवश्य है परँतु,जो भारत के,निर्धन, दलित , वर्ग के हैँ,
उन पर भी विश्व की नज़र है-
नाम अँकित अवश्य हुआ ,
ये भी अच्छा हुआ
पर अब, सर्वोदय का इँतज़ार है ....
स स्नेह
- लावण्या
Thank you Harshad bhai , for your kind comment -
rgds,
L
लावण्याजी , बहुत खूब। कहां कहां पर है आपकी नज़र। परदेस में रहकर भी खूब खबर ले रही हैं आप तथाकथित.....लोगों की। मज़ा आया।
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