Thursday, November 29, 2007
ख़जाना !!!!
अब ये विश्व के सुप्रसिध्ध नगीनोँ की दमकती हुई झलक है !
यहाँ पर दर्शाया गया एक ,एक रत्न बेशकिमती है -
1) ऊपर की पँक्ति मेँ जो पीले रँग का चौकोर हीरा है उसका नाम "टीफनी डायमँड" है --
जिसे न्यु -योर्क शहर मेँ , फीफ्थ ऐवेन्यु पर स्थित उनकी दुकान मेँ प्रमुख आकर्षण के तौर पर रखा गया है और वो मैँने वहीँ पे रखा हुआ देखा है -
जो लीफ्ट -मेन था उसने मज़ाक मेँ हमसे इस रत्न की ओर इशारा करते हुए कहा कि " अगर मैँ एक बढिया चीज़ आपको दीखलाऊँ तो वादा करिये कि आप उसे यहाँ से ले नहीँ जायेँगेँ ! " -
और ऊँगली इस हीरे के शो केस की तरफ उठाई थी
और हम इस बेशकिमती,रत्न की चकाचौँध देखते ही रह गये ...
और ये हैद्राबाद के निज़ाम की शाही साफे पे बाँधीजानेवाली "कलगी" है - जिसमें दुर्लभ रत्न पन्नोँ का हरा रँग व हीरे इसे एक बेनमून कालाकृति बना रहे हैँ
ओहो ये है $100,000 अमेरीकन डालर का नोट !! * Click on the image for a larger view.
A link on the Federal Reserve Bank of San Francisco Web site shows the front and reverse of the $100,000 note.
You're not likely to get one of these as a tip.
"The largest note ever printed by the Bureau of Engraving and Printing was the $100,000 Gold Certificate, Series 1934.
इन नोटोँ को अमरीकी मुद्रण प्रणाली से बनाया गया Dec. 18, 1934 से Jan. 9, 1935 की कालावधि के बीच ..
(They were issued by the Treasurer of the United States to Federal Reserve Banks only against an equal amount of gold bullion held by the Treasury.)
इन नोटोँ का चलन केन्द्रीय रीझर्व बेन्कोँ के बीच आदान -प्रदान के लिये ही किया जाता रहा और आम जनता के लिये इनका उपयोग कभी नहीँ हुआ "
http://www.ustreas.gov/education/fact-sheets/currency/fort-knox.html
द्वीतीय विश्व युध्ध के समय अमरीकी सुवर्ण भँडार : 649.6 million troy ounces (20,205 metric tons). वर्तमान सुवर्ण मात्रा अनुमानत्: 147.3 million ounces[1]
Wednesday, November 28, 2007
(" पँडित नरेन्द्र शर्मा की " षष्ठिपूर्ति " के अवसर पर डा. हरिवँश राय बच्चन के भाषण से साभार उद्`धृत )
पँडित नरेन्द्र शर्मा की " षष्ठिपूर्ति " के अवसर पर , माल्यार्पण करते हुए
कविवर श्री सुमित्रानँदन पँत ,पँडित नरेन्द्र शर्मा ,डा. हरिवँश राय बच्चन
Sunday, November 25, 2007
डा. हरिवँश राय बच्चन जी' को आज बरबस याद कर रही हूँ +उनकी धर्मपत्नी "तेजी आँटी जी
दीपावली की जाडोँ के दिनोँ की २०, दिनोँ की छोटी अवधि की छुट्टियाँ....
बिड़ला मँदिर, कुतुब मिनार, लाल किल्ला, चाँदनी चौक,कनोट प्लेस, गाँधी बापू जी की समाधि,तीन मूर्ति भवन जो मारत के प्रथम प्रधान मँत्री श्री जवाहरलाल नेहरु जी का आवास था ये सारे ऐतिहासिक और देहली के प्रमुख आकर्षण सदा के लिये दीलोदीमाग के पन्नोँ मेँ,दबे फूलोँ की तरह कैद हें !
दददा राष्ट्रकवि श्री मैथिली शरण गुप्त जी के घर हम एक गर्मीयोँ की छुट्टी मेँ ठहरे थे जिसके करीब ही एक नीचे के मँजिलवाले एक घर मेँ तेजी आँटी से मिलने हम बच्चे झूला झूलने के बाद, रास्ते मेँ तेजी आँटी का घर पडता था वहाँ रुक जाया करते थे.
मुझसे छोटी मेरी बहन जिसे हम "मोँघी" के प्यारभरे घर के नामसे बुलाते हैँ उसे खाने की चीज वस्तुओँ से, बचपन से बडा गहरा लगाव है ! ( मोँघी की इसी आदत को, कई सहेलियाँ "पेटू" कहकर उसे चिढाती थीँ )
अब तो हमारी मोँघी रानी जिसे खेलकूद के बाद , भूख लगी थी उससे रहा नही गया, तो तपाक - से पूछ ही लिया मोघी ने,
तेजी आँटी जी बडी शानदार पार्टीयाँ आयोजित किया करतीँ थी.उनके खाने के कमरे मेँ बडे टेबल के कोनोँ मेँ जलती हुई मोमबतीयाँ, पहली बार ज़िँदगी मेँ देखीँ थी औररोमाँचक -सी लगीँ थीँ
बच्चों
तो कभी हम जिन्हेँ "चाचाजी " बुलाते थे वे हिन्दी साहित्य को "चित्र लेखा" जैसी कथा कहानी सौँपने वाले शख्स श्री भगवती चरण वर्मा जैसे महान कहानीकार थे -
Wednesday, November 21, 2007
भविष्य की मुँबई नगरी को जोडता हुआ ये ब्रिज - इन्जीनीयरीँग के विषय पर आधारित आलेख
बान्द्रा वरली ब्रिज पर एक विहँगम दृष्टि
हिन्दुस्तान अखबार से मिली एक खबर ने, मन मेँ , BRIDGE = "ब्रीज" याने "पुल" के प्रति दुबारा विस्मय व श्रध्धा को भर दिया -- ये खबर दे रहीँ थीँ - madhurimaa nandee -- देखेँ लिन्क http://www.hindustantimes.com/news/specials/bombay/index.shtml
देवेन्द्र शर्मा इस कार्य के प्रमुख इन्जीनीयर हैं --
कई दिनोँ से मन मेँ आधुनिक स्थापत्यकला के ये बेमिसाल नमूने ,और उन पर मेरे विचार , आप के लिये प्रस्तुत करने का मन था जिसे आज रोक नहीँ पाई -
विश्व मेँ रोज इस्तेमाल हो रहे यातायात विभाग के, दो भूखँडोँ, या जल राशि को जोडने वाले , अचरज पैदा करने वाले, ये इन्जीनीयरीँग क्षेत्र के बेजोड उदाहरण तो हैं ही साथ, साथ, मनुष्य की हर प्राकृतिक अवरोध से जुझने की अदम्य लालसा और आँतरिक मनोबल के ज्वलँत उदाहरण भी हैँ ~~
और ये " COVERED BRIDGES = कवर्ड ब्रिज या ढँक़े हुए पूल " कहलाते हैँ और उत्तर अमरीका मेँ प्राय: पाये जाते हैं और बहुत खूबसुरत होते हैँ -इन्हीँ पर एक प्रसिध्ध पुस्तक " ब्रीजीस ओफ मेडीसन काऊँटी " नामक लिखी गयी है जो एक सफल होलीवुड़ फिल्म भी बनी जिस मेँ क्लीँट इस्टवूड और मेरीलीन स्ट्रीप की बेहतरीन अदाकारी है -
(1 ) http://en.wikipedia.org/wiki/Covered_bridge
( 2 ) http://www.800padutch.com/covbrdg.shtml
अब देखिये सूची - विश्व के सब्से प्रमुख प्रसिध्धि पाये ब्रिजोँ की
( १ ) आकाशी केक्यो ब्रिज : Akashi Kaikyo Bridge
http://www.hsba.go.jp/bridge/e-akasi.htm
http://www.pbs.org/wgbh/buildingbig/wonder/structure/akashi_kaikyo.html
( २ ) ब्रुक्लीन ब्रिज : Brooklyn Bridge
http://www.nycroads.com/crossings/brooklyn/
http://www.discovery.com/stories/technology/buildings/panoramas/brdg_java1.html
http://www.pbs.org/wgbh/buildingbig/wonder/structure/brooklyn.html
(३ ) चीज़ पेक बे ब्रिज टनल : Chesapeake Bay Bridge-Tunnel
http://www.cbbt.com/
http://www.pbs.org/wgbh/buildingbig/wonder/structure/chesapeake_bay_brdg.html
( ४ ) फ्र्थ ओफ फोर्थ ब्रिज : Frth of Forth Bridge
http://www.pbs.org/wgbh/buildingbig/wonder/structure/firth_of_forth.html
( ५ ) जोर्ज पी. कोल्मेन ब्रिज : Gorge P. Coleman Bridge
http://www.pbs.org/wgbh/buildingbig/wonder/structure/george_p_coleman.html
( ६ ) गोल्डन गेट ब्रिज : Golden Gate Bridge
http://www.goldengate.org/
http://www.pbs.org/wgbh/buildingbig/wonder/structure/golden_gate.html
( ७ ) लोहे का ब्रिज: Iron Bridge
http://www.pbs.org/wgbh/buildingbig/wonder/structure/iron.html
( ८ ) सन शाइन स्काय वे फ्लोरिडा : Sunshine Skyway (Florida)
http://www.pbs.org/wgbh/buildingbig/wonder/structure/sunshine_skyway.html
( ९ ) टाकोमा सँकरा ब्रिज : Tacoma Narrows Bridge
http://www.me.utexas.edu/~uer/papers/paper_jk.html
http://www.pbs.org/wgbh/buildingbig/wonder/structure/tacoma_narrows.html
http://instruction.ferris.edu/loub/media/BRIDGE/Bridge.htm
( १० ) टावर ब्रिज : Tower Bridge
http://www.pbs.org/wgbh/buildingbig/wonder/structure/tower.html
http://www.discovery.com/stories/technology/buildings/panoramas/brdg_ipix2.html
( ११ ) Sydney Bridge ( See Video link )
http://media.howstuffworks.com/reuters/video/75th-anniversary-for-sydn-1063.htm?
और ये वीडीयो और येड्रो ब्रिज की कार्य प्रणाली के बारे मेँ
- http://www.howstuffworks.com/bridge.htm
http://www.800padutch.com/covbrdg.shtml
इतना सब देख लेने के बाद एक छोटी सी बात याद दिलाना चाहूँगी - और वो बस्स इतना ही कि इन्सान स्वयँम की बुध्धि और सामर्थ्य के बल बूते पर ये ब्रिज बना लेते हैँ पर कई दफे, हम एक दूस्रे के ह्र्दय तक प्रेम भरा ब्रिज नहीँ बना पाते -
ऐसा क्योँ ?
क्या मनुष्य के मन को जोड़ने वाला पुल हम, नहीँ बना पायेँगेँ ?
कि, जिसकी बदौलत दुनिया भर मेँ अमन चैन कायम हो और युध्ध और विनाश लीला का अँत हो?? -
Sunday, November 18, 2007
Ll`adro = यार्ड्रो / ये क्या है ? जानना चाहेँगेँ आप ?
Bansuri Ganesh ji
Radha KrishnaBal Krishna
LL`adro LAXMI Devi
जी हाँ , अँग्रेज़ी अक्षर कई बार, इस तरह लिखे जाते हैँ कि जिससे उन्हेँ बोलते वक्त,
मूरीश किस्म की भट्टी, उनके माता, पिता के घर के अहाते मेँ ही बनवा कर,
१९५० मेँ इस कारखाने की नीँव रखी थी ---
Saturday, November 17, 2007
कोई कोयल गाये रे ,जपा कुसुम का फूल ,वेणी के फूल
कविता की पुस्तक के अमर गीतकार पँडित नरेन्द्र शर्मा को मेरी श्रध्धाँजली स्वरुप ,
" प्रवासी के गीत"
की ये पँक्तियाँ बरबस ध्यान आकृष्ट करतीं हैं
क्या फिर किसी की याद आयी
ओ विरह व्याकुल प्रवासी ? "
और ~~~
नाम लेकर हमारा, खीँचता आँचल तुम्हारा,क्या कभी सुनसान ? "
और ये मेरी पँक्तियाँ या कहूँ कि "श्रध्धा ~ सुमन हैँ "
" तुम चले जाते हो, नीरव रह जातीँ हैं जीवन की राहें,
अलसाई डालीयोँ से,
तब, रात सरक आती है !"
१ ) ज्योति ~ पर्व http://www.anubhuti-hindi.org/sankalan/diye_jalao/sets/21_11_04.html
( २ ) जपा कुसुम का फूल http://www.anubhuti-hindi.org/dishantar/l/lavanyashah/japakusum.htm
( ३ ) कोकिला http://www.anubhuti-hindi.org/sankalan/vasanti_hava/kokila.htm
( ४ ) वेणी के फूल ( जिसे अनुभूति वेब पत्रिका ने " आषाढ की रात " शीर्षक दे कर छापा है http://www.anubhuti-hindi.org/sankalan/varshamangal/sets/22aug.htm
( ५ ) प्रेम - मूर्ति http://www.anubhuti-hindi.org/sankalan/premgeet/premurti.htm
( ६ ) कोई कोयल गाये रे ! http://www.anubhuti-hindi.org/dishantar/l/lavanyashah/pal.htm
(७ ) मेरा मेहमान http://www.anubhuti-hindi.org/sankalan/mausam/mausam3.htm#lavanya
Tuesday, November 13, 2007
स्त्री,साडी ..और परदेसी ललना गोपी के भेस मेँ ?
कि वे भी दुल्हन को लेकर विवाह मँडपे में, साडीयाँ पहन कर दाखिल होँ -
वे पाँचोँ , ब्लाउज़ और पेटीकोट पहने, साडीको दुशालाया खेस बनाकर, कँधे पे डाल कर, ऐसे ही , अर्ध - वस्त्र अवस्था मेँ खाना खाने आ पहुँचीँ .!!
तो उन्हेँ ६ वार की साडी तो ... " भूल भूलैया " ही लगेगी ना !
आप सब, भीतर कमरे मेँ चलो, वहीँ पे खाना पहुँचा दिया जायेगा ...
परदेसी ललना गोपी के भेस मेँ ,सर पर कान्हा को रीझाने के लिये दुग्ध भरी माटी की, रँगोँ से सजायी हँडिया लिये मुस्कुराती हुई भारत की सडकोँ पर चल रहीँ हैँ जिसे देखकर ये विचार आ रहा है कि भारतीय सँस्कृति व्यापक हो रही है ! भारत के शहरोँ की अत्याधुनिक महिलाएँ,पेन्ट टी शर्ट,बाँह बिना के, खुले कपडोँ मँ दीखने लगीँ हैँ और कोलिज जाती लडकियोँ के परिधान,अब, पास्चात्त्य पध्धति के , आम तौर पर दीखने लगे हैँ,भारत की सडकोँ पर, ये नजारा, आम होता जा रहा है
छवि , तो भारतीय नारी की है ...
और ये अँतिम छवि है ...सुप्रसिध्ध सिने कलाकार श्री सशि कपूर जी की ब्रिटीश पत्नी जनीफर केन्डल की बिटियासँजना कपूर की जो , भारत मेँ ही जन्मी, पलीँ, बडी हुईँ हैँ..
ब्रिटेन की आधी + आधी हिन्दुस्तानी विरासत लिये, साडी बाँधे कितनी सहज व प्यारी दीख रहीँ हैँ ...
ये भी कह दूँ कि, इतने बरस विदेश मेँ रहते हुए भी मैँ यही मानती हूँ कि साडी जैसा सुँदर पहनावा, स्त्री के लिये दूजा कोई नहीँ .
.हर तरह की साडी से नारी आकृति की शोभा को गरिमा व असीम सौँदर्य मिलता है ..साडी सदीयोँ से चला आ रहा ऐसा पहनावा है ..जो स्त्री को अधिकाधिक मोहक बनाता है , हर ऐब को ढँकने मेँ सक्षम,साडी, हर नारी के बाह्य सौँदर्य को निखार कर, आकर्षक रुप प्रदान करती है ..यही नहीँ..आँचल की ओट किये, जलता दीपक ले जाती नारी आकृति ने कई मनमोहक छवियाँ प्रस्तुत कीँ हैँ ..और हर बच्चे की स्मृतियोँ मेँ उसके माँ के आँचल को, कस कर थाम ने की छाप अमिट, बसी हुई होती है. , ये मेरा निजी मत हो ...परँतु,साडी सच मेँ मेरा सर्वप्रिय परिधान है और रहेगा
Tuesday, November 6, 2007
ज्योति पर्व : ज्योति वंदना
धरती पर धरो चरण तिमिर-तमहारीपरम व्योमचारी!
चरण धरो, दीपंकर, जाए कट तिमिर-पाश!
दिशि-दिशि में चरण धूलि छाए बन कर-प्रकाश!
आओ, नक्षत्र-पुरुष,गगन-वन-विहारीपरम व्योमचारी!
चरणों में स्वर्ण-हासबिखरा दे दिशा-दिशा!
पा कर आलोक, मृत्यु-लोक हो सुखारीनयन हों पुजारी!*****************************************************************
सुख सुहाग की दीव्य ~ ज्योति से, घर आँगन मुस्काये, ज्योति चरण धर कर दीवाली, घर आँगन नित आये" *****************************************************************
-- रचना : पँ.नरेद्र शर्मा --सँकलन : लावण्या
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ज्योति पर्वसंकलन दीप ज्योति नमोस्तुते
दीप शिखा की लौ कहती है,व्यथा कथा हर घर रहती है!
कभी छुपी तो कभी मुखर होअश्रु-हास बन बन बहती है!
हारी ममता की आँखों में नमीबन कर, बह कर, चुप-सी रहती है!
हाँ व्यथा सखी, हर घर बहती है!
नत मस्तक, मैं दिवला बार नमूँ,
दुखियों को सुख दो, यह बिनती करूँ,माँ!
देख दिया अब प्रज्वलित कर दूँ!
दीपावली आई फिर आँगन,बन्दनवार रंगोली रची सुहावन!
देख सखी यहाँ, फुलझड़ी मुस्कावन!
जीवन बीता जाता ऋतुओं के संग-संग ,
हो सब को, दीपावली का अभिनंदन!
-लावण्या शाह
Friday, November 2, 2007
हवाई जहाज और लक्ज़री कार ( मर्सीडीज़ ) ...वर्षगाँठ की भेँट हैँ ये ??
जिनके हवाई जहाअज मेँ ऐश्वर्या व अभिषेक
उनकी शादी के दूसरे दिन यात्रा करते हुए
देवी - दर्शन ? ;-)
ऐश्वर्या को बीग -बी ( अमिताभ जी ) व जया जी व परिवार "परी" के नाम से बुलाते हैँ - ३४ वीँ साल गिरह पर अपने तोहफे नीली ( मर्सीडीज़ )लक्ज़री कार के साथ खुश होकर खडीं ऐश्वर्या बच्चन राय
और ये खडाऊँ हैँ भारत के सँत महात्मा , हमारे सबके दुलारे गाँधी बापू जी की --- जिन्हेँ देखकर ये विचार आ रहा है कि, भारत का आज का सच, बहुत बदल गया है उन्नतिशील, प्रगति के पथ पर चलते,भारत के प्रति मुझे गर्व है, सद्` भावनाएँ हैँ परँतु .....ये भी सोचती हूँ कि, हमारे असँख्य बलिदानी, शूरवीर देश भक्तोँ के बलिदान, उनकी कुरबानीयाँ आज का २१ वीँ सदी का भारत, भूल न जाये तो ही अच्छा होगा ...