

~ उनके साथ गाये गीत याद आ रहे हैँ क्या ?

अपनी उपस्थिति से अवसर को महिमा प्रदान करतीँ हुईँ

मेरी, आपकी, अन्य की बात
लावण्यम----अंतर्मनशीर्षक में विषय-वस्तु के बीज समाहित होते हैं.लावण्यम----अंतर्मन इसी बीज का पल्ल्वीकरण है.हृदयेन सत्यम (यजुर्वेद १८-८५) परमात्मा ने ह्रदय से सत्य को जन्म दिया है. यह वही अंतर्मन और वही हृदय हैजो सतहों को पलटता हुआ सत्य की तह तक ले जाता है.लावण्य मयी शैली में विषय-वस्तु का दर्पण
बन जाना और तथ्य को पाठक की हथेली पर देना, यह उनकी लेखन प्रवणता है. सामाजिक, भौगोलिक, सामयिक समस्याओं
के प्रति संवेदन शीलता और समीकरण के प्रति सजग और चिंतित भी है. हर विषय पर गहरी पकड़ है. सचित्र तथ्यों को प्रमाणित करना उनकी शोध वृति का परिचायक है. यात्रा वृतांत तो ऐसे सजीव लिखे है कि हम वहीं की सैर करने लगते हैं.आध्यात्मिक पक्ष, संवेदनात्मक पक्ष के सामायिक समीकरण के समय अंतर्मन से इनके वैचारिक परमाणु अपने पिता पंडित नरेन्द्र शर्मा से जा मिलते हैं,
जो स्वयं काव्य जगत के हस्ताक्षर है.पत्थर के कोहिनूर ने केवल अहंता, द्वेष और विकार दिए हैं, लावण्या के अंतर्मन ने हमें सत्विचारों का नूर दिया है.पारसमणि के आगे कोहिनूर क्या करेगा?- डा. मृदुल कीर्तिAll sublime Art is tinged with unspeakable grief.
All Grief is a reflection of a soul in the mirror of life'SONGS are those ANGEL's sound that Unite US with the Divine.'
About me:
Music and Arts have a tremendous pull for the soul and expressions in poetry and prose reflects from what i percieve around me through them.
6 comments:
इन तस्वीरों को बाँटने का आभार. लता जी को जन्म दिन की बहुत बधाई एवं शुभकामनायें.
लता जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें।
और आपकी फोटो बहुत-बहुत सुन्दर आयी है।
बस लिखती रहें - सबसे पहले यह तीन शब्द कहना चाहूँगा । गुगुल रीडर से शायद सबसे पहले मैं आपके ब्लाग को पढ़ता हूँ ।
चाहे मेरे ब्लाग पर आपकी टिप्पणी हो या आपके अपने सचित्र लेख - एक तरलता है उनमें । कभी-कभी लगता है कि आपकी शैली में एक श्वेत-श्याम तस्वीर की लाल लिपस्टिक वाली लावण्या हमेशा टहलती नजर आती है ।
अब से आपके नाम के आगे जी नहीं लगाना चाहता क्योंकि निश्चल शैली में लावण्या की सरल लिखावट में प्रस्तुत लावण्य अनुपम है । लेखों में कभी कभी आपकी स्माईली देखकर मेरी मुस्कान भी आ जाती है कि शब्दों की कंजुसी करके भाव प्रकाश की नयी शैली को आपने भी अपना लिया । पुरे तौर पर कहें तो आपकी लिखने की सहजता छु सी जाती है ।
इस सहज शैली के पीछे कारण समझने की मैनें कोशिश की थी - पर अब जाकर पता चला । आपका सानिध्य ऐसे लोगों से जो सहजता और कला के सुनहरे संसार में खोये से हैं । सुर की अप्रतिम लता के आप इतने करीब है - जानकर बहूत अच्छा लगा ।
एक छोटा सी कल्पना की है मैनें । अगर आप सुर साम्राज्ञी पर हिन्दी / अंग्रेजी में एक संस्मरण / किताब लिख सकते !
अगर मेरी कल्पना सच हो जाये तो - आपकी शैली में उनके बारे में पढ़ने का आनंद कुछ अलग सा होगा ।
प्रेम पीयूष जी,
आपकी टिपण्णी मेरी ब्लोग प्रविष्टी पर देखकर अचरज् और खुशी दोनोँ हुई -
आपने बहुत हौसला बढाया है मेरा -
- आप जैसे पढनेवाले और सराहनेवाले हैँ तब
तो मेरी सारी मेहनत और प्रयास सफल हुए -
ऐसा मानती हूँ -
- अगर ईश्वर की कृपा रहेगी तब अवश्य लता दीदी और अन्य हिन्दी के महान कवियोँ और लेखकोँ
के और मेरी अम्मा सुशीला नरेन्द्र शर्मा जो एक कलाकार थीँ उनके मित्रोँ की , जो यादेँ मेरे जहन मेँ हैँ, उन्हेँ, कई लोगोँने अनुरोध किया है कि
मुझे उन्हेँ 'सँस्मरण रुपी " पुस्तक मेँ लिख लेना जरुरी है.
Once again, I thank you humble for your encouraging & kind words. Your
generosity of spirit is evident :-) & Yes, I use the SMILEY ---- it
can convey much in short isn't it ?
I will read your BLOG at leisure & get back ......Wishing you Good
Luck & God Bless !
& ya, you can call me "Lavanya " Jee is not at all necessery.
With warm good wishes, I end here ....
-- लावण्या
समीर भाई,आप,
शायद हिन्दी ब्लोग जगत के सबसे ज्यादा उत्साह बढानेवाले टिप्पणीकार हैँ
और कोई न आये पर वे अवश्य आते हैँ और उत्साह बढाते हैँ -- ये बहोत बडी बात है -
अन्यथा, कई लोग तो चुप रहना ही पसँद करते हैँ.
हाँ, हरेक ब्लोग पर टिपणी देना भी असँभव है.
जो भी हो सके, करते रहना चाहीये.
स्नेह सहित,
-- लावण्या
ममता जी आप की बधाई के लिये धन्यवाद और आपके स्नेह के प्रति आभारी हूँ
स्नेह सहित,
-- लावण्या
Post a Comment