ये जे. पोल गेटी म्युझीयम के भीतर रखे पुरातन , आकर्षक कलाकृतियोँ के चित्र हैँ समीर भाई, आपके अनुरोध पर : ~
ये क्या हो सकता है ? बताऊँ :-) ?
ये नमक रखने का सोने से बना "सोल्ट सेलर " है
ये क्या हो सकता है ? बताऊँ :-) ?
ये नमक रखने का सोने से बना "सोल्ट सेलर " है
जिसे धनिक राज परिवार भोजन के समय ,
नमक छिडकने के लिये इस्तेमाल किया करते थे. रोम मेँ इस प्रकार के केसरी और काले रँग के
कलात्मक बरतन प्रचलित थे ~ ये एक ऐसा ही फूलदान है
नमक छिडकने के लिये इस्तेमाल किया करते थे. रोम मेँ इस प्रकार के केसरी और काले रँग के
कलात्मक बरतन प्रचलित थे ~ ये एक ऐसा ही फूलदान है
स्वर्ण मुकुट
वीनस
एक मार्बल पे तैल रँगोँ से उकेरा एक चित्र देखा था ~ "वसँत का आगमन " और रोम शहर मेँ, प्राचीन काल के कपडोँ मेँ सजे रोमन नागरिक, झरोखोँ से झाँकते हुएऔर ११ से १५ वर्ष की आयु के बाल बालिकाएँ हाथोँ मेँ वसँत मेँ खिले नये पुष्प गुच्छोँ के साथ किलकारी भरते, भवन से मार्ग की और झूमते हुए अग्रसर होते हुए ~~~
यह चित्र - द्रश्य , मानस पटल पर, ३२ सालोँ से, मानोँ, अँकित हो गया था जिसकी अति कलात्मक प्रतिकृति, खरीदते हुए सँग्रहालय से सँबँधित वस्तुओँ की दुकान मेँ, मैँ, उसी चित्र को, ढूँढ रही हूँ, देख रही हूँ ......
आहा ! आखिर वह लुभावना चित्र मुझे, मिल ही गया !
वीनस
एक मार्बल पे तैल रँगोँ से उकेरा एक चित्र देखा था ~ "वसँत का आगमन " और रोम शहर मेँ, प्राचीन काल के कपडोँ मेँ सजे रोमन नागरिक, झरोखोँ से झाँकते हुएऔर ११ से १५ वर्ष की आयु के बाल बालिकाएँ हाथोँ मेँ वसँत मेँ खिले नये पुष्प गुच्छोँ के साथ किलकारी भरते, भवन से मार्ग की और झूमते हुए अग्रसर होते हुए ~~~
यह चित्र - द्रश्य , मानस पटल पर, ३२ सालोँ से, मानोँ, अँकित हो गया था जिसकी अति कलात्मक प्रतिकृति, खरीदते हुए सँग्रहालय से सँबँधित वस्तुओँ की दुकान मेँ, मैँ, उसी चित्र को, ढूँढ रही हूँ, देख रही हूँ ......
आहा ! आखिर वह लुभावना चित्र मुझे, मिल ही गया !
4 comments:
वाह, बहुत आभार आपका. चित्र बहुत अच्छे लगे.
बहुत बहुत धन्यवाद समीर भाई,
स ~~ स्नेह,
-- लावण्या
चित्रों के लिये आभार.
आज मैं ने नोट किया कि आपका चिट्ठा काफी सक्रिय है अत: आज इसे सारथी (www.Sarathi.info) के शीर्ष मेनु पर "सक्रिय-हिन्दी-चिट्ठे" में जोड दिया है. जांच लें -- शास्त्री जे सी फिलिप
हिन्दीजगत की उन्नति के लिये यह जरूरी है कि हम
हिन्दीभाषी लेखक एक दूसरे के प्रतियोगी बनने के
बदले एक दूसरे को प्रोत्साहित करने वाले पूरक बनें
शास्त्री जी,
आपके हिन्दी के प्रति समर्पण व प्रयासोँ को देखकर अत्यँत प्रसन्नता होती है -
धन्यवाद -----------
और आप नित नये उन्नति के शिखर पार करेँ इस सद्` भावना सहित,
स्नेह सहित,
-- लावण्या
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