Wednesday, September 12, 2007

राम मिलाइन जोडी :)

कुछ चित्र ऐसे होते हैँ कि आगे कुछ कहने जैसा बाकी ही नहीँ रहता ..ये २ चित्र अलग अलग समय पर देखे थे परँतु, विचार यही आया मन मेँ कि"राम मिलाइन जोडी " "रानी को जँचा वो राजा " और " राजा को पसँद वही रानी '
पहला चित्र है चीन के सबसे लँबे सज्जन का ..और साथ ब्याह के जोडे मेँ सजी खडी हैँ उनकी दुल्हन !कितनी सुँदर हैँ ...अब भगवान भी ना कभी कभी ऐसे जोडोँ को मिलवा देते हैँ कि बस देखते रह जाओ >पसँद अपनी अपनी ...खयाल अपना अपना ..और नहीँ तो क्या !
मियाँ बीवी राजी तो क्या कर लेगा काजी ? दूसरे चित्र मेँ उत्तरी देश की लडकी है ..अपने बोय फ्रेन्ड के साथ खडीँ हैँ ! माशाल्लाह क्या ऊँचाई पायी है !
मेरे बेटे की शादी फीनीक्स शहर मेँ हुई थी ..तब उसका एक सह कर्मचारी अपनी पत्नी समेत आया था - पतिदेव की ऊँचाई होगी करीब ६ फीट ६ इँच और पत्नी भी थीँ ६ फीट कीँ लँबी चौडी !
सुँदर युगल था !
हम भारतीयोँ के बीच ऐसे सज रहे थे मानोँ , देहात की मिट्टी + घास फूस की झोँपडीयोँ के बीच, ऐम्पायर स्टेट , सीयर्स टावर के साथ शोभायमान हो !
मैँने उनसे कहा, " मैँ भगवान से प्रार्थना करुँगी कि , मुझे अगले जनम मेँ आप दोनोँ की तरह लँबा, बनायेँ " तो वो झट से बोले, "हम उनसे कहेँगेँ कि हमेँ आप जैसा छोटे कद का बना देँ ! " चूँकि हम बस्स्` ५ फीट पहुँचे ही पहुँचे खडे थे दोनोँ के सामने ;-)

...और सच मानिये, हम तीनोँ सहजता से , खुले दील से मुस्कुराते हुए, हँसने लग पडे थे ...
कैसे कैसे अलग अलग किस्म के प्राणी रचे हैँ ईश्वर ने इस रँगीन दुनिया मेँ ...
इतने अलग रँगोँ के, नैन नक्श, ऊँचाई, दुबले पतले, मोटे, नाटे , बुध्धु, गहरे चिँतक और विद्वान, द्वेष और ईर्ष्या रखने वाले, कुटील, क्रूर, हंसमुख , मिलनसार, सेवा भावी, लुटेरे, दास भाव के, क्रोधी, विरोधी,काले, गोरे, लाल , पीले ...स्वस्थ, कमज़ोर, बहादुर, डरपोक, इन्साफ पसँद या नाइन्साफ, ऐहसान फ़रामोश !!
ऊफफ्फ ~ इतनी सारी विविधता ना होती तो क्या ये सँसार, इतने सारे रँगोँ और गुण या दोष विहिन, इतना रोचक लगता क्या ? नहीँ ना ? प्राणी मात्र मेँ ईश्वर का आवास है ये सारे धर्म समझाते हैँ .......
फिर
, इन्सान क्यूँ अपनी विविधता मेँ उस एकता के दर्शन नहीँ कर पाता ? क्यूँ अपने आप को निश्पक्ष होकर पहचान नहीँ पाता ?
ये कौन सा पर्दा है जो मनुष्य को दूसरोँ से , अलग किये रखता है ?
उसके भीतर छिपे, उस एक अनँत परमात्मा से पर्दा किये,क्यूँ भटकता रहता है वह ? क़ब उठेगा पर्दा ? कब होगा वो बे - पर्दा ? कब होगा मिलन उसका परवरदीगार से ?

8 comments:

Shastri JC Philip said...

बहुत दिलचस्प चित्र, दिलचस्प खबर !!

-- शास्त्री जे सी फिलिप

मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,
2020 में 50 लाख, एवं 2025 मे एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार!!

Udan Tashtari said...

अरे आप तो बड़े मजेदार चित्र ढ़ूँढ़ लेती हैं. मजा आया देखकर और वैसा ही सुन्दर संदेश लिये रोचक आलेख भी बन पड़ा है. बधाई.

और किस्से सुनाईये.

Harshad Jangla said...

Lavanyaji
Interesting blog!
Jiski bibi moti uska bhi bada naam hai....Remember?

Sanjay Tiwari said...

अजब-गजब है यह दुनिया. राम मिलाइन जोड़ी शब्द पढ़कर गांव की याद आ गयी.

mamta said...

बहुत बढ़िया और रोचक।

वाकई शीर्षक बिल्कुल फ़िट नही-नही हिट है। राम मिलाईन जोडी :)

सुनीता शानू said...

वाह बहुत ही सुन्दर जोड़ी चित्र है और खबर भी धमाकेदार...:)

संजय बेंगाणी said...

जोड़ी सलामत रहे.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

आप सभी का स्वागत है ... व आभार भी !
शास्त्री जी,
समीर भाई,
हर्षद भाई (अटलान्टा से ),
सँजय तिवारी जी (क्या आप को " राम मिलाइन जोडी " शब्द से जुडी कोई बात या गीत पता है / अगर हाँ तो बतलाइयेगा )
ममता जी,
सुनीता जी,
संजय बैँगाणी जी,

दीपाँजलि जी ..
स्नेह सहित
-- लावण्या