Thursday, September 6, 2007

जोगलिखी संजय पटेल की ...के संजय भाई सुनिये ...


वंदना आंटी जी से
...मैं ...व मेरे पति दीपक
८ वें विश्व हिंदी सम्मेलन में
क़रीब ३५ साल के बाद मिले
८ वें विश्व हिंदी सम्मेलन में एक अन्य ज्योतिषाचार्य , हिंदी के यशस्वी लेखक व प्रसिद्ध पत्रकार पंडित सूर्य नारायण जी व्यास के सुपुत्र
श्री राजशेखर व्यास ( दिल्ली दूरदर्शन के निर्देशक ) भी बाद में मिले ..
..पीछे सौभाग्यवती हर्षा प्रिया अमरेन्द्र के साथ हैं
हिंदी की कवियत्री कुसुम सिन्हा जी ...

और संजय भाई, ये वंदना जी का आप के लिए संदेसा ....
"संजय भाई आज , ...मैं लावन्या से मिली -

उससे, आपके बारे में सुनकर आश्चर्य और खुशी भी मिली
इन्दौर आने पर विस्तार से बात करेंगे
" वाह रे पट्ठा भारे करी" मैंने आगे चलाई है
वहां आने पर सुनाऊंगी ..
शेष शुभ...
मिलने पर ..
पिताजी को नमस्कार
वन्दना आंटी "

:-)

8 comments:

अजित वडनेरकर said...

बहुत खूब....
संजय भाई बधाई। परदेस से खुशी आई।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

अजित जी ,
नमस्कार !
जी हाँ ..
परिचित स्वजन का सँदेशा खुशी के रुप मेँ ही तो आता है ..
परदेस और देस की दूरी अब कम हो गई है ,
है ना ?
स्नेह के साथ -- लावण्या

Udan Tashtari said...

संजय भाई तो हर तरफ गुंजायमान हैं. बधाई संजय भाई को और आभार आपका.

सुनीता शानू said...

लावन्या जी बहुत अच्छा लगा तस्वीरें देख कर आपको तो हम पहले भी देख चुके है आपकी आवाज भी सुन चुके है..आज कुसुम सिन्हा जी को देखने का सपना भी पूरा हुआ...बहुत-बहुत धन्यवाद...

शानू

महावीर said...

कहने में संकोच नहीं है, लावण्यम्-अंतर्मन तो पाठकों के लिए अनेक विधाओं का
ज्ञान-सागर बनता जा रहा है या यूं कहूंगा कि एक नए अंदाज़ में encyclopaedia बनता जा रहा है।
ढेर सारी शुभकामनाओं सहित
महावीर

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

आदरणीय महावीर जी,
आज आप का आना और आशिष,
देखकर, अतीव प्रन्नता हुई !
..स स्नेह,
-- लावण्या

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

सुनीता जी व समीर भाई,
आप दोनोँ का भी बहुत बहुत शुक्रिया यहाँ टिप्पणी रखने का और मेरी प्रविष्टी पढने का !
स स्नेह,
-- लावण्या

sanjay patel said...

वंदना आँटी की कुशलता जानकर प्रसन्नता हुई.चित्र देख कर लगा कि वे अपनों के बीच ही हैं चाहे सात समंदर पार. लावण्याबेन वंदनाजी के बारे में ब्लॉगर बिरादरी (आपको छोड़कर क्योंकि आप तो मुझसे ज़्यादा जानती हैं) चित्र में दिख रहीं श्रीमती वंदना जोशी मालवी के आदि गद्यकार और संवाद लेखक स्मृति शेष श्रीयुत श्रीनिवास जी जोशी की सहचरी हैं. श्रीनिवास जी सन २००५ में हमसे बिछुड़े. उन्होने प्रभात पिक्चर्स में बहैसियत संवाद लेखक काम किया. किसी ज़माने में फ़िल्मों के बीच दिखाए जाने वाले भारतीय समाचार दर्शन (indian news real) की डाक्यूमेंट्री फ़िल्मों का स्क्रिप्ट लेखन किया. मीनाकुमारी,बलराज साहनी अभिनीत,पं सुधीर फ़ड़के संगीतबध्द और पं नरेन्द्र शर्मा के गीतों से सज्जित (ज्योति कलश छलके) फ़िल्म भाभी की चूडियाँ के संवाद लिखे. वे विशुध्द मालवी मना शख्सियत थे. बालकृष्ण शर्मा नवीन, कवि प्रदीप,डॉ.शिवमंगल सिंह सुमन जैसे नामचीन साहित्यकारों के परम मित्र -सखा थे श्रीनिवास जी.थे साहित्यकार और मालती माधव नाम की फ़िल्म बनाने की भूल कर बैठे...जीवन क़र्ज़ में डूबा रहा. जीवन की संध्या बेला तक सक्रिय रहे.आख़िर आख़िर में पं.सुधीर फ़ड़के की महत्वाकांक्षी फ़िल्म वीर सावरकर के संवाद भी लिखे श्रीनिवास जी ने.उन्होने मालवी में ठहाकेदार निबंध लिखे जिसका प्रकाशन श्रीमती वंदना जोशी ने अत्यंत परिश्रपूर्वक इन्दौर में ही करवाया. वारे पट्ठा भारी करी शीर्षक से जारी ये निबंध संग्रह मालवी साहित्य की अनमोल धरोहर है.ख्यात सितार वादक भारतरत्न पं रविशंकर और श्रीनिवास जी का जन्मदिन ( ७ अप्रैल)को एक ही दिन आता है. श्रीनिवास जी अपने ऊपर भी हँसने का हुनर जानते थे. कहते थे किसी पंडित ने उन्हें बताया था कि उनकी जन्म पत्री के हिसाब से उनके धरती पर आने में आधे घंटे की देर हो गई वरना वे किसी राज्य के राजकुमार होते.वे मालवी लोक संस्कृति के राजकुमार ही तो थे. मालवी जाजम के ब्लॉग www.malvijajam.bolgspot.com पर श्रीनिवास जोशी की हस्ताक्षर रचना जारी करूंगा लावण्या बेन.प्रणाम स्वीकारें मेरे.