Tuesday, July 17, 2007

८वाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन -- कुछ झलकियाँ --





सँयुक्त राष्ट्र सँघ के महासचिव श्रीयुत्` बान की मून्` ने कुछ हिन्दी वाक्योँ को,जब अपने लहजे से बोल कर सुनाया तब, सभागार मेँ बैठे,
दूर देशोँ से आये श्रोताओँ के समक्ष अपने हिन्दी के प्रति सजग प्रेम का उदाहरण देते हुए सभी का मन मोह लिया था -
-अँतराष्ट्रीय आँठवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन बहुत से अवरोध,
प्रति अवरोधोँ के साथ शुरु हुआ
पर सँयुक्त राष्ट्र सँघ के मुख्य प्रवेश द्वार पर, लहरा रही
हरी,नीली, पीली , लाल, सुफेद व धानी साडीयोँ की आभा ने
प्राँगण को भारतीय रुप रँग मेँ डूबो कर ,
न्यू योर्क के इस भव्य स्मारक के साथ,
हम भारतीय,
हिन्दी भाषा बोलने वालोँ के मन मेँ,
एक अनोखा अपनापन निर्मित करते हुए,
एक नई उर्जा , एक नयी उमँग भर दी थी.
बाहर एक, बँदूक की नली को मोड कर,
महात्मा गाँधी के "अहिँसा " के सँदेश को प्रतपादित करती,
प्रतिमा को देखकर, फिर ये विचार आ रहा था कि, विश्व मेँ अहिँसा का प्रचार व प्रसार हो तथा शाँति का सँदेश फैल कर २१ वीँ सदी के समग्र मानव जाति के लिये, एक "शाश्वत सर्वोदय " का सँदेश लाये और वह 'अमर सँदेश ' हमारी "हिंदी भाषा " मेँ ही हो !
आखिरकार, अपनी तस्वीर दीखलाकर, या प्रवासी अतिथि, पासपोर्ट दीखला कर, अपने निजी सामान का निरिक्षण करवा कर, सभागार मेँ दाखिल हुए
-व स्थान ग्रहण किया --
- भारत के प्रधान मँत्री मनमोहन जी ने
द्रश्य -श्रव्य माध्यम द्वारा
अपना सँदेश, श्रोताओँ तक पहुँचाया -
विदेश मेँ बसे भारतीय साहित्य को भी शैक्षणिक पाठ्य क्रम मेँ मान्यता दीलवाने की घोषणा का, सहर्ष स्वागत किया गया.
मेरे युवा कवि साथीयोँ का,
आँखोँ देखा विवरण भी यहाँ के २ लिन्कोँ पर अवश्य पढेँ -
- रोचक लगेगा -
-मैँने भी मेरी कविता सुनायी - गुलज़ार साहब के सामने! :-)
अन्य महानुभावोँ के सम्मुख !!
जिसे ऊँचे स्वर मेँ पढते हुए,
सुखद अनुभूति हुई -
- "कोटि कोटि कँठोँ से गूँजे, जय माँ! जय जय भारती"
के घोष से,
भारत का गौरव "भाषा भारती , माँ भारती" के प्रति मेरा प्रणाम, गणमान्य अतिथि समुदाय तक पहुँचा जिसकी मुझे खुशी है-
लावण्या

इसे भी आप,अवश्य देखेँ -- http://www.abhivyakti-hindi.org/vhs2008/vhs3.htm

अवश्य देखेँ -- http://www.vishwahindi.com/newsletter/14_july_newsletter.pdf

6 comments:

Udan Tashtari said...

यह तो और खूब रही...सबसे बेहतरीन. आभार.

शैलेश भारतवासी said...

आपको चित्रों ने नीचे कैप्शन लगाना चाहिए था जिससे हम जैसे चेहरे न पहचान पाने वाले लोगों को आसानी रहे। वैसे इतना भी लगाया यह कम नहीं है।

Manish Kumar said...

वाह गुलज़ार साहब से मिलीं आप। अच्छा लगा जानकर।

Divine India said...

आदरणीय मैम,
बहुत अच्छा लगा यह सब देखकर…।
गुलजार साहब के सामने कविता को पढ़ना ही बहुत होता है पर आप भी तो बहुत गहराई से कहती हैं तो मैं तो ऐसा सोंचता हूँ कि गुलजार साहब ने भी उठकर तालियाँ बजाईं होंगी…।

Harshad Jangla said...

It was great event for you to meet such great personalities. You deserve heavy compliments.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

शैलेष भाई व सँजय भाई
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आप लोगोँ ने जो सुझाव दिया है कि अन्य चित्रोँ के साथ नाम भी दे दूँ -- तो चित्र मेँ जितने व्यक्ति हैँ उन सारे लोगोँ के नाम मुझे ज्ञात नहीँ --
मनीष भाई,
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जी हाँ हिन्दी के सब से सफल गीतकार तथा गज़लकार , गुलज़ार जी से मिलना सुखद अनुभूति रही
धन्यवाद