Thursday, June 7, 2007

मँजी हुई अदाकारा : रेखा जी !




रेखा जी के जीवन के बारे मेँ इतना तो सभी जानते हैँ कि वे दक्षिण भारत के मशहुर नायक शिवाजी गणेशन की पुत्री हैँ ...माँ का नाम था पुष्पवल्ली -
रेखा की और बहनेँ भी हैँ जिन्हेँ वे बहुत प्यार करतीँ हैँ - एक बार ब्याह भी किया तो अजीब हादसा हुआ कि उनके पति की १ माह के भीतर मौत हो गई !
फिल्मोँ मेँ कच्ची ऊम्र मेँ काम शुरु किया " सावन ~ भादोँ " मेँ नवीन निस्चल के साथ रुपहले पर्दे पर सशक्त अभिनय किया तो दर्शकोँ ने उन्हेँ साँवले रँग की होते हुए भी सराहा. बिस्वजीत के साथ उनकी कुछ सनसनीखेज़ तस्वीरेँ भी आईँ थीँ जिसे उनकी कारकीर्दी को बढावा देने के लिये ही समाचार पत्रोँ मेँ छापा गया. उस वक्त की रेखा सही शब्दोँ मेँ "बिन्दास" कहीँ जा सकतीँ हैँ --


मैँने उन्हेँ देखा था रणधीर कपूर और बबीता की शादी के वक्त ! रेखा जी ने उस वक्त काँजीवरम सिल्क की साडी पहन रखी थी और अब आपको शायद ताज्ज्जुब हो पर वे जया भादुरी जी के साथ साथ उस कपूर परिवार की शादी के जलसे मेँ घूम रहीँ थीँ !
उसके बाद मैँने रेखा जी को नीतू और ऋषि कपूर की शादी के समय बडी तन्मयता से, नीतू के साथ साथ लग्न -मँडप मेँ भी ध्यान से सारी विवाह की विधि को सम्पन्न होते देखा था ! लोगोँ की ,भीड के बीच नीतू जिन्होँने उपवास भी किया था शायद, वे कुछ पल के लिये बेहोश हो गई थी तब भी रेखा जी उसके साथ सहारा देतीँ साथ खडीँ थीँ --

सुना है कि रेखा जी का ह्र्दय बहोत विशाल है और लाख मना करने पर भी, वे नीतू जैसी खास सहेली को कई सारे तोहफे देतीँ थीँ !

उसके बाद, रेखा जी के जीवन मेँ तब्दीलीयाँ आईँ -- गोसिप न करते हुए, इतना ही कहुँगी कि, जो भी उनके अनिभव रहे रेखा जी ने हमेशा एक गरिमापूर्ण चुप्पी साधे रखी है ! हाँ अक्सर, फिल्मफेर अवार्ड शो मेँ उन्हेँ स्टेज पर बुलाया जाता है तब रेखा जी उम्र के इस पडाव मेँ भी , अपने से आधी ऊम्र की नई नई सिने तारिकाओँ की भीड के बीच भी सबसे सुँदर, सबसे हसीँ नज़र आतीँ हैँ -- जब वे "गुलज़ार साहब" का कोई शेर दोहरातीँ हैँ तब सच्चे दिल से बोली हुई उनकी बात दर्शकोँ के दिल को भी छू जाती है ! उनकी आँखोँ मेँ आँसू मानोँ ठहरे हुए रहतेँ हैँ पर हँसतीँ हैँ तब खुल के हँसतीँ हैँ और उन्हेँ "सुँदर" पुकारने पर शर्मा भी जातीँ दीखलाई देतीँ हैँ !

दूर से यह सब देखकर, मेरे दिल से तो इस मँजी हुई अदाकारा के लिये, दुआ ही निकलती है --

ईश्वर रेखा जी को खुशहाल रखेँ ! ये मेरी कामना है

...ऐसा क्यूँ होता है कि, हम किसी भी इन्सान की कद्र या प्रशँसा उनके चले जाने के बाद ही किया करते हैँ ?? क्या, हम, उदारता से किसी अच्छे इन्सान की अच्छाइयोँ के बारे मेँ कहने से, लिखने से, या तारीफ करने से कतराते हैँ ?

ऐसा क्योँ करते हैँ हम लोग ? बुराई ,ईर्ष्या, जलन, कटुता, वैर, झगडा करने मेँ हम अक्सर आगे क्योँ रहते हैँ ?
...........ये इन्सान की सोच का हिस्स्सा भले हो, क्या, कोई तारीफ के २ शब्द लिख देने से, हमारी धन दौलत या सम्पत्ति कम हो जायेगी ? "शब्दे किम्` दरिद्रता ?"

आज कुछ ऐसे ही विचार आये और लिख दिये .........

अब सुन रही हूँ," वो क्या जगे है दोस्तोँ, वो कौन सा दयार है ..."


12 comments:

Deepak Jeswal said...

I absolutely and full heartedly agree to the last few lines. We always tend to praise a person to the skies after the person has gone. Why not now only?

Absolutely fine piece on Rekhaji, a marvellous actor and a classic beauty.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

Yes Deepak bhai,
somehow, the lonely & forlon figure of Rekha ji standing among the applause has somehow always tugged at my heart !
Kis ne kya paya Zindgi mei,
kisne kya nahee paya ..
un baaton ka hisaab kaun kare ?
I tend to "Gush " on my Fav. people & you too r among them O DJ ji !...The Finest 100 TOP Blogger has YOU among them !! & rightly so ..along with the Classic Beauty Rekha ji & the One & the ONLY Swar Samragnee our beloved Lata didi ..whom we both adore immensely !
Thank you so much for stopping by & for your heartfelt comment.
warm regards,
L

Mohinder56 said...

आप भी ब्लाग लिखने में कम मंजी हुयी नहीं है... सुन्दर लेख लिखा है.. हो सकता है आने वाले समय में कोई ऐसे ही आप के बारे में भी लिखे... शुभकामना के साथ

Pramendra Pratap Singh said...

बहुत खूब, रेखा जी के बारे मे पढ़कर अच्‍छा लगा

ePandit said...

मँजी हुई के साथ सजी हुई भी हैं रेखा जी। वाकई कमाल की अदाकारा हैं वो। उनकी सभी पुरानी फिल्में पसंद हैं। 'खूबसूरत' आदि में चुलबुली लड़की के रोल से लेकर विभिन्न फिल्मों में गंभीर और सशक्त भूमिकाओं के अलावा आज भी 'कोई मिल गया', 'कृश' आदि में शानदार अभिनय का सफर जारी है।

इसके अतिरिक्त उनका व्यवहार और चरित्र हमेशा शालीन रहा है। सचमुच वे सशक्त अभिनेत्री के साथ साथ अच्छी इंसान भी हैं।

Udan Tashtari said...

रेखा हमारे समय की हमारी सबसे पसंद अदाकार हैं. उनके विषय में आपके विचार पढ़कर मन प्रफुल्लित हो गया.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

मोहिन्दर जी ,आपकी ज़र्रा नवाज़ी का शुक्रिया ! आपका कहा सच भी हो जाये, क्या पता !! :)

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

श्रीश जी, अच्छा है ने एक स्त्री को सजने सँवरने मेँ रुचि है तो क्या बुरा है ?
आपके विचार बिलकुल सही हैँ -- रेखा जी एक उम्दा अदाकारा हैँ

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

समीर भाई आपकी हमारी पसँद एक सी है तब तो !
:-)

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

प्रमेन्द्र जी ,
आपको हमारे ब्लोग पर आकर टिप्पणी रखने के लिये, आभार !

Anonymous said...
This comment has been removed by a blog administrator.
Umang said...

बहुत आत्मीय पोस्ट! रेखा जी का बहु आयामी व्यक्तित्व आपके शब्दों की बनारसी साड़ी में लिपट कर और निखर आया। उनका फ़िल्म 'खूबसूरत ' का रूप भुलाए नहीं भूलता। अपने विचार साझा करने के लिए बहुत धन्यवाद।