Sunday, June 10, 2007

दिलीप कुमार साहब के अल्फाज़ * एक हसीन शख्शियत *


दिलीप कुमार साहब वैजयँतीमाला के साथ जिन्होँने फिल्म गँगा जमुना मेँ उनके साथ सफल अभिनय किया था
दिलीप कुमार सा'ब अब ८३ साल के हो गये हैँ और दादा साहेब फालके संम्मान मिलने पर उन्होँने कहा कि 
"मुझे किसी बात का अफसोस नहीँ - मैँने ज़िँदगी को भरपूर जिया है "
देखिये ~~ उनकी फिल्मी यात्रा का विवरण ~~ 

( बाबा रे ! टाइप करते करते इतना समय लगा , 
तब सोचिये इतनी सारी फिल्मोँ मेँ काम करते कितने साल गुजरे होँगेँ !
As Presenter : आग का दरया -- Aag Ka Darya (1990)
As Artiste :

किला- Quila- (1998) सौदागर- (1991) इज़्ज़त्दार (1990) -- आग का दरिया (1990) Kanoon Apna --कानून अपना अपना --(1989) धर्माधिकारी --Dharm Adhikari (1986) कर्मा Karma (1986) मशाल -Mashaal (1984) दुनिया -Duniya (1984) मज़दूर - Mazdoor (1983) विधाता Vidhaata (1982) शक्ति Shakti (1982) क्रान्ति Kranti (1981) बैराग Bairaag (1976) फिर कब मिलोगी ? Phir Kab Milogi (1974) सगीना Sagina (1974) अनोखा मिलन Anokha Milan (1972) दास्ताँ Dastan (1972) गोपी Gopi (1970) आदमी Aadmi (1968) सँघर्ष Sunghursh (1968) राम और श्याम Ram Aur shyam (1967) दिल दिया दर्द लिया Dil Diya Dard Liya (1966) आसमान महल Aasman Mahal (1965) लीडर Leader (1964) गँगा जमुना Ganga Jamna (1961) कोहीनूर Kohinoor (1960) मुगल्-ए -आज़म Mughal-E-Azam (1960) पैगाम Paigham (1959) मधुमती Madhumati (1958) मुसाफिर Musafir (1957) नया दौर Naya Daur (1957) आज़ाद Azad (1955) देवदास Devdas (1955) इन्सानियत Insaniyat (1955) उडन खटोला Udan Khatola (1955) अमर Amar (1954) फूटपाथ Footpath (1953) शिकस्त Shikast (1953) आन Aan (1952) दाग Daag (1952) सँगदिल Sangdil (1952) दीदार Deedar (1951) हलचल Hulchul (1951) तराना Tarana (1951) आरज़ू Arzoo (1950) बाबुल Babul (1950) जोगन Jogan (1950) अँदाज़ Andaaz (1949) शबनम Shabnam (1949) 
घर की इज़्ज़त Ghar Ki Izzat (1948) मेला Mela (1948)
नदीया के पार Nadiya Ke Paar (1948) शहीद Shaheed (1948) अनोखा प्यार Anokha Pyar (1948) जुगनु Jugnu (1947) मिलन Milan (1946) प्रतिमा Pratima (1945) ज्वार भाटा Jwar Bhata (1944) As Playback Singer कर्मा Karma (1986) & मुसाफिर -- Musafir
एक हसीन शख्शियत
" ऐ दोस्त, किसी हमदमे दरीना का मिलना बेहतर है मुलाकातेँ मसीहा और फिज़ार से .."
उसका मिलाप हमारी किसी मसीहे के मिलाप से बेहतर होता है यह है नरेन भैया की अहमियत हमारी ज़िँदगी मेँ जो हमारी जिँदगी का बहुत बडा हिस्सा है बडा भरपूर चैप्टर है i remember him with feelings with warmth, with comforts and with optimism. All these things oriented with the values of the rights, proper and improper "

             मैँ, बोम्बे टाकीज़ मेँ जब मैँ गया नरेन भैया भी वहाँ थे। वहीँ से जो हमारा साथ शुरु हुआ वह अब तक है।  फिल्म इंडस्ट्री उनके लिये भी उतनी ही अनोखी थी जितनी कि मेरे लिये ! क्योँकि वे मुझसे कुछ ही दिनोँ पहले वहाँ दाखिल हुए थे।  उनके पास बहुत कुछ था।  जो वे फिल्मी दुनिया को देने आये थे या दे रहे थे और उन्हेँ देना था।  ज़िन्दगी के जो जुरुरी फैसले हैँ उन्हेँ वे, मन ही मन कर चुके थे। 
 In the sense that he had very evolved mind !
हम लोग थे नआजमुदा न त्तजुर्बेकार ! जो हमने सीखा था वह भी था - not tested or tried at the anvil of Time ! इसलिये उन्हीँके पास हमे sense of comfort मिलता था ! He tried to infuse spirit of confidence in us. खुद मै भी ऐसा था कि literature से नाआशना था - उर्दु मेरा base था और अँग्रेज़ी मैँने
adopt की थी Classical Literature उस भाषा से मैँ वाकीफ था। 
About the Values of Life,about the desperate need to transplant these literary values in Indian Cinema. खुद हिन्दुस्तानी सिनेमा भी 'promising" दौर से गुज़र रहा था।  अच्छी फिल्मोँ के लिये एक अच्छा माहौल भी बहुत जरुरी होता है। इसलिये नरेन भैया और उन जैसे साथीयोँ के साथ हम यह महसूस नहीँ करते थे कि हम किसी pedestrian किस्म के profession मेँ हैँ।  बल्कि ऐसा महसूस होता था कि किसी Acedemy मेँ आये हैँ ! बडा सेहतनुमा Communication होता था ! हँसी मज़ाक भी होता था ! बडा मक्`सूस किस्म का माहौल था।  कोई छीछोरी बात न होती थी। दोस्ताने के जो अँदाज़ हैँ , उठने बैठने के जो सलीके हैँ।  उसे पूरी अहमियत दी जाती थी।  Due importance was given to the general deportment.
हुस्न उर्दू मेँ BEAUTY को कहते हैँ।  शायराना अँदाज़ मेँ वह किसी महबूब से मुताल्लिक किया जाता है।  लेकिन हुस्न फूलोँ मेँ भी होता है।  इन्सान की शख्शियत मेँ भी होता है ! इसी लिहाज़ मेँ नरेन भैया हम लोगोँ के लिये बहुत ही "एक हसीन शख्शियत " थे ! सिर्फ पसँद के लिये ही नहीँ , बल्कि अदब और ऐतराम के लिए भी! सिर्फ इन्हीँ के लिये ही नहीँ, बल्कि दोस्ताने के लिये भी!
He was a TRUE - GANDHIAN and an ascetic , pure soul and I saw him as a person who had withdrawn all his Energies..." Inward " !! 
In the outer world, he gave Love, Compassion, Understanding and Good Will to ALL that he came in contact with --
                   फिल्मोँ का जो माहौल है वह बडा militant है।  हम लोग इस बात से आगाह हैँ कि नरेन भैया was a very profound patriot also a profound humanist ! हम लोग इस बात से आगाह हैँ कि फिल्मोँ के लिये जो छोटे - छोटे आपस के टँटे , गासीप और किसी की कामयाबी या नाकामयाबी का जब कभी भी ज़िक्र करते, तो वह सदा दायम मुस्काराते रहते थे। 
क्रमश: ~`

6 comments:

अनूप शुक्ल said...

बहुत अच्छा लगा इसे पढ़कर!

हिंदी ब्लॉगर/Hindi Blogger said...

धन्यवाद, दिलीप साहब पर इतनी जानकारी एक साथ परोसने के लिए.

Monika (Manya) said...

Sabse pahle to maafi chahti hun itne din tak aapke blog par nahi aayi .. really sorry Mam.. beech mein kuchh post padhi thi par comment nahi kar paayi.. koshish karungi aainda aisa na ho.. real gud pics of Dilip Saahab, Saaira Bano n Vaihyanti mala.. aur jaankari to hai hi bharpoor.. ur words n language really amazing..
Love n Regars
Manya

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

अनुप भाई साहब,
धन्यवाद !
मेरा प्रयास आप जैसे अनुभवी ब्लोगकार को पसँद आया तब तो लिखने की मेहनत सफल हो गई
स स्नेह
-- लावण्या

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

हिन्दी ब्लोगर जी,
आपका ब्लोग "देश -दुनिया ' पढा और बहुत सी जानकारीयाँ मिलीँ -
परँतु आपका नाम नहीँ मिला !
आपका आभार --
स स्नेह
-- लावण्या

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

Dear manya,
are ...maafi - waafi kis liye hummm ? Jab bhee samay mile aatee raho ...per jaanti hoon ki you r near & dear to my heart ---
& I'm ware of your creative work in progress on your BLOG too --
Good Luck, God Bless --
warm rgds,
L