रोहित को ऐयर पोर्ट से घर ले जाने के लिये उसका ड्राइवर आ गया था -
उसके माता पिता ने कहा कि "हम आयेँगेँ तुम्हेँ लेने "
तब रोहित ने मना किया था कि,
" मैँ जब सोके उठूँगा तब आपके पास आ जाऊँगा -
आप लोग कष्ट ना करेँ !"
जेट लेग से तँग आकर रोहित पूरे १२ घँटोँ बाद ही उठ पाया था. चाय पीते हुए, बील, डाक वगैरह देखने लगा तो एक हरे लाल रँग का ब्याह का निमँत्रण पत्र देखा तो कौतूहल से उलट पुलट कर नाम इत्यादि पढने लगा .
" अब कौन फँसने जा रहा है ?? .......
जेट लेग से तँग आकर रोहित पूरे १२ घँटोँ बाद ही उठ पाया था. चाय पीते हुए, बील, डाक वगैरह देखने लगा तो एक हरे लाल रँग का ब्याह का निमँत्रण पत्र देखा तो कौतूहल से उलट पुलट कर नाम इत्यादि पढने लगा .
" अब कौन फँसने जा रहा है ?? .......
कोल्हू का बैल बनेगा ! "
उसके सीनीकल दिमाग ने चुहल की तो रेशनल माइन्ड ने उलाहाना दिया,
" ऊँहूँ ! इसका लक्क मुझसे तगडा होगा
और जन्न्नत नसीब होगी मेरे यार को ! " -
- नाम था पीयूष परमार -
उसके सीनीकल दिमाग ने चुहल की तो रेशनल माइन्ड ने उलाहाना दिया,
" ऊँहूँ ! इसका लक्क मुझसे तगडा होगा
और जन्न्नत नसीब होगी मेरे यार को ! " -
- नाम था पीयूष परमार -
- आहा ! मिस्टर परमार ईज गेटीँग मेरीड!
वो स्वगत बोल उठा - दुल्हन कौन हैँ -
वो स्वगत बोल उठा - दुल्हन कौन हैँ -
देखेँ तो नाम उभर कर सामने आया,
" पायल बजाज " -- वाह !
अब तो पीयूष के पैरोँ मेँ पायल बँधेगी --
उसने सोचा और तारीख भी कल की ही थी -
और विवाह की दावत पे जाना तो होगा ही -
" पायल बजाज " -- वाह !
अब तो पीयूष के पैरोँ मेँ पायल बँधेगी --
उसने सोचा और तारीख भी कल की ही थी -
और विवाह की दावत पे जाना तो होगा ही -
- ड्राइवर से कह दीया कि कल शाम के बाद
उसकी रात ११ बजे तक की ड्यूटी ओवर टाइम की होगी -
" जी साब " ड्राइवर ने आहिस्ता से पूछा, " आज कहीँ चलना है साब "
" हाँ --मैँ आता हूँ .... तुम नीचे इँतजार करो "
कहता रोहित स्नान करने चला गया -
और अपने माता पिता के, छोटे से फ्लेट की ओर चल दिया -
उसकी रात ११ बजे तक की ड्यूटी ओवर टाइम की होगी -
" जी साब " ड्राइवर ने आहिस्ता से पूछा, " आज कहीँ चलना है साब "
" हाँ --मैँ आता हूँ .... तुम नीचे इँतजार करो "
कहता रोहित स्नान करने चला गया -
और अपने माता पिता के, छोटे से फ्लेट की ओर चल दिया -
- रास्ते मेँ रोहित ने उन सारे सवालोँ के जवाब मन ही मन तैयार कर लीये जो उसे मालूम था कि उसके सीधे सादे माता पिता उसे पूछेँगे -
-जो जो सोचा था उसी तरह उसने ,
उनसे बातेँ कीँ और उन्हेँ ढाढस बँधाया,
उनसे बातेँ कीँ और उन्हेँ ढाढस बँधाया,
हीम्मत दी कि अब जो भी होगा देखा जायेगा --
इस परिस्थिती मेँ और क्या किया जा सकता है ? "
उसके ये कहने पर वे आश्वस्त हुए --
इस परिस्थिती मेँ और क्या किया जा सकता है ? "
उसके ये कहने पर वे आश्वस्त हुए --
और वो फिर घर चला आया था -
- हाँ घर पर रीना उसे अब नहीँ मिलनेवाली थी ,
ये भी वो जानता था --
खैर!
दूसरे दिन उसने फिर बातेँ कीँ अपने वकील से और तलाक की कार्यवाही को किस तरह निपटाया जाये उस पर सलाह मश्वरा भी किया.
फिर शाम होते ही फ्रेश हो कर रोहित पीयूष के विवाह समारोह मेँ शामिल होने के लिये चल पडा !
-- धूम धाम, फूलोँ से सजा प्रेवेश द्वार, स्कूल कालिज के कई परिचित दोस्तोँ के चेहरे, बँबई के गुजराती परिवारोँ के सँभ्राँत बुजुर्ग वर्ग के सदस्य, कुछ परिचित कुछ नये चेहरे, आगे स्टेज भी फूलोँ से लदा सजा रँगीन रोशनी के बल्ब, हवा मेँ सँगीत लहरी बहती हुई, खुश्बुओँ के झोँकोँ से झकझोर कर बारी बारी से कह रहे थे, " आ जाओ भारत मेँ रोहित ! ये तुम्हारे देश का विवाह उत्सव है " --
सच! भारतीय शादीयोँ मेँ फूलोँ की जितनी तेज मादक सुगँध उसने महसूस की है वैसी खुश्बु लँदन अमरीका के बेशकिमती फूलोँ के गुल्दस्तोँ मेँ उसने नहीँ पायी -- भारतीय गुलाब व मोगरोँ के गजरोँ से महकती शामेँ , सर्वथा बेजोड होतीँ हैँ उसे ये पता था -
- " हेल्लो ! बीग शोट ! आप यहाँ तशरीफ लाये -- बडी मेहरबानी की हुज़ूर ! " इतना कहती , बेला उसके पास चल कर आयी -
उसकी सहपाठी थी वो -- और भी कई सारे मित्र उसे देखते सामने से चलकर आने लगे -
ये भी वो जानता था --
खैर!
दूसरे दिन उसने फिर बातेँ कीँ अपने वकील से और तलाक की कार्यवाही को किस तरह निपटाया जाये उस पर सलाह मश्वरा भी किया.
फिर शाम होते ही फ्रेश हो कर रोहित पीयूष के विवाह समारोह मेँ शामिल होने के लिये चल पडा !
-- धूम धाम, फूलोँ से सजा प्रेवेश द्वार, स्कूल कालिज के कई परिचित दोस्तोँ के चेहरे, बँबई के गुजराती परिवारोँ के सँभ्राँत बुजुर्ग वर्ग के सदस्य, कुछ परिचित कुछ नये चेहरे, आगे स्टेज भी फूलोँ से लदा सजा रँगीन रोशनी के बल्ब, हवा मेँ सँगीत लहरी बहती हुई, खुश्बुओँ के झोँकोँ से झकझोर कर बारी बारी से कह रहे थे, " आ जाओ भारत मेँ रोहित ! ये तुम्हारे देश का विवाह उत्सव है " --
सच! भारतीय शादीयोँ मेँ फूलोँ की जितनी तेज मादक सुगँध उसने महसूस की है वैसी खुश्बु लँदन अमरीका के बेशकिमती फूलोँ के गुल्दस्तोँ मेँ उसने नहीँ पायी -- भारतीय गुलाब व मोगरोँ के गजरोँ से महकती शामेँ , सर्वथा बेजोड होतीँ हैँ उसे ये पता था -
- " हेल्लो ! बीग शोट ! आप यहाँ तशरीफ लाये -- बडी मेहरबानी की हुज़ूर ! " इतना कहती , बेला उसके पास चल कर आयी -
उसकी सहपाठी थी वो -- और भी कई सारे मित्र उसे देखते सामने से चलकर आने लगे -
- बहुतोँ से वो कई महीनोँ बाद मिला था -
खूब बातेँ होने लगीँ --
कभी अमरीका की कितनी ट्रीप उसने कीँ उस के बारे मेँ
तो कभी क्या काम कर रहा है उस विषय पर ,
तो कभी क्या काम कर रहा है उस विषय पर ,
प्रश्न करते दोस्तोँ से रोहित , सबके जवाब देता मुस्कुराता हुआ खडा था
- तभी मनोज ने पूछा, " यार ! तेरी बीवी कहाँ है ? नहीँ मिलवाओगे ? "
अब रोहित ने जो सूझा कह दिया, ' आज उसकी तबियत ठीक नहीँ -
- तभी मनोज ने पूछा, " यार ! तेरी बीवी कहाँ है ? नहीँ मिलवाओगे ? "
अब रोहित ने जो सूझा कह दिया, ' आज उसकी तबियत ठीक नहीँ -
- इसलिये नहीँ आ पायी - मिलवा दूँगा - फिर कभी ! "
इतने मेँ बेला फिर चहक कर बोली,
इतने मेँ बेला फिर चहक कर बोली,
" तुम्हारी गप्प मारने की आदत अब भी वैसी ही है रोहित !
केमेस्ट्री क्लास मेँ गली पार करके स्कूल आधा घॅँटा देरी से पहुँचते थे और रस्तोगी सर से कहते थे,
"ट्रेन लेट थी सर बैठ जाऊँ क्लास मेँ -?" -
केमेस्ट्री क्लास मेँ गली पार करके स्कूल आधा घॅँटा देरी से पहुँचते थे और रस्तोगी सर से कहते थे,
"ट्रेन लेट थी सर बैठ जाऊँ क्लास मेँ -?" -
ह हा ह ह हा ..हा ..झूठे कहीँ के !
वो देखो, रीना तो आयी है शादी मेँ !
वहाँ डा. मोदी के साथ कौन खडा है ? "
उसने कहा तो सारे मित्र मँडली की निगाहेँ उसी ओर घूम गईँ
जहाँ रीना अपनी डा. मम्मी के साथ खडी होकर आइस्क्रीम की तश्तरी
वेटर के हाथोँ से ले रही थी.
अब तो रोहित के चेहरे से खून उतर गया --
वो देखो, रीना तो आयी है शादी मेँ !
वहाँ डा. मोदी के साथ कौन खडा है ? "
उसने कहा तो सारे मित्र मँडली की निगाहेँ उसी ओर घूम गईँ
जहाँ रीना अपनी डा. मम्मी के साथ खडी होकर आइस्क्रीम की तश्तरी
वेटर के हाथोँ से ले रही थी.
अब तो रोहित के चेहरे से खून उतर गया --
क्या कहता सब के सामने ?
" अरे यार, अब मिलवा दे रीना से " गौतम ने कहा तब तो रोहित की रही सही सँज्ञा भी सुन्न पडने लगी -
" अरे यार, अब मिलवा दे रीना से " गौतम ने कहा तब तो रोहित की रही सही सँज्ञा भी सुन्न पडने लगी -
- क्या करे वो?
रीना उससे सीधे मुँह बात भी करेगी या नहीँ उसका रोहित को भरोसा नहीँ था -- और क्या ठाठ थे उसकी अब चँद दिनोँ की मेहमान बीवी जी के !
खूब सज सँवर कर आयी थी रीना --
रोहित मौन खडा था और उसके दोस्त ,
रीना उससे सीधे मुँह बात भी करेगी या नहीँ उसका रोहित को भरोसा नहीँ था -- और क्या ठाठ थे उसकी अब चँद दिनोँ की मेहमान बीवी जी के !
खूब सज सँवर कर आयी थी रीना --
रोहित मौन खडा था और उसके दोस्त ,
रोहित के, बदलते हाव भाव देखकर सोच रहे थे कि
"ये माजरा क्या है ? कुछ तो है जिसके तहत ये खामोश है ! "-
लोगबाग भी समझ लेते हैँ !
खत का मजमूँ , लिफाफा देखकर !
सो, भीड छँट गयी रोहित के इर्दगिद से
-- सिर्फ एक बेला वहीँ खडी उसका चेहरा पढने की नाकाम कोशिश कर रही थी, " क्या बात है ? Any problems my friend ? "
उसने पूछा तो रोहित ने दो टूक उत्तर दीया,
" Its a damn long story Bela ..
लोगबाग भी समझ लेते हैँ !
खत का मजमूँ , लिफाफा देखकर !
सो, भीड छँट गयी रोहित के इर्दगिद से
-- सिर्फ एक बेला वहीँ खडी उसका चेहरा पढने की नाकाम कोशिश कर रही थी, " क्या बात है ? Any problems my friend ? "
उसने पूछा तो रोहित ने दो टूक उत्तर दीया,
" Its a damn long story Bela ..
.I just lost my appetite ..
.will fill you in some other time Bela !
Come let's go wish our friend Piyush & his New Bride "
इतना कह कर रोहित नवविवाहीत वर वधु को
उनके विवाह पर अपनी बधाई और शुभ सँदेश देने स्टेज की ओर चल पडा --
" मुबारक हो सब को समाँ ये सुहाना ..
इतना कह कर रोहित नवविवाहीत वर वधु को
उनके विवाह पर अपनी बधाई और शुभ सँदेश देने स्टेज की ओर चल पडा --
" मुबारक हो सब को समाँ ये सुहाना ..
.मैँ खुश हूँ मेरे आँसूओँ पे न जाना ..
.मैँ तो दीवाना दीवाना दीवाना .
..मैँ तो दीवाना दीवाना दीवाना "
रोहित के जहन मेँ ये मुकेश जी का गाया हुआ गीत बजने लगा ..
.तो उसने सोचा
" हिन्दी फिल्मोँ के गाने हर मौके की तलाश मेँ छिपे बठे रहते हैँ घात लगाये ..
.मौका देखते ही छा जाते हैँ ...
और आज यही गाना उभर आया था
रीना की मम्मी ने रोहित को स्टेज पर खडे देखा तो अपनी लाडली को कुहनी मारकर सँकेत करके रोहित की उपस्थिती के बारे मेँ सावधान कर दीया --
माँ बेटी मौन ही रहे पर देखते रहे रोहित के नये सूट को -
और आज यही गाना उभर आया था
रीना की मम्मी ने रोहित को स्टेज पर खडे देखा तो अपनी लाडली को कुहनी मारकर सँकेत करके रोहित की उपस्थिती के बारे मेँ सावधान कर दीया --
माँ बेटी मौन ही रहे पर देखते रहे रोहित के नये सूट को -
- अब तो आगमन हो गया है महाशय का !
आगे क्या होगा देखते हैँ --
आगे क्या होगा देखते हैँ --
ऐसी ही कुछ अस्फुट सी बातेँ दोनोँ के बीच हुईँ ......
" चल बेटी -- हम भी मिल आयेँ नये जोडे को "
कहती मम्मी जी रीना को लेकर रोहित के सामने ही रीना के साथ स्टेज पर गईँ परँतु रोहित से कोयी बातचीत ही नहीँ की उल्टे वे रोहित से कतरा कर उतर गये और सामने ही सोफे पे जाकर पीयूष की मम्मी के पास बैठ गये ! --
ये सारा द्रश्य सारे मेहमानोँ ने न चाहते हुये भी देख ही लिया था और सभी जान गये कि रोहित का काम जिस तेजीसे सफलता की सीढीयाँ चढ रहा था उसकी निजी जिँदगी उतनी ही तेजी से,
मुँह के बल गिर कर , नीचे लुढक कर गर्त मेँ गिरी जा रही थी --
सभी जानते हैँ कि, समाज एक ऐसी व्यवस्था है कि, जब कोयी मुश्किल मेँ हो ,
" चल बेटी -- हम भी मिल आयेँ नये जोडे को "
कहती मम्मी जी रीना को लेकर रोहित के सामने ही रीना के साथ स्टेज पर गईँ परँतु रोहित से कोयी बातचीत ही नहीँ की उल्टे वे रोहित से कतरा कर उतर गये और सामने ही सोफे पे जाकर पीयूष की मम्मी के पास बैठ गये ! --
ये सारा द्रश्य सारे मेहमानोँ ने न चाहते हुये भी देख ही लिया था और सभी जान गये कि रोहित का काम जिस तेजीसे सफलता की सीढीयाँ चढ रहा था उसकी निजी जिँदगी उतनी ही तेजी से,
मुँह के बल गिर कर , नीचे लुढक कर गर्त मेँ गिरी जा रही थी --
सभी जानते हैँ कि, समाज एक ऐसी व्यवस्था है कि, जब कोयी मुश्किल मेँ हो ,
-- गहरे पानी मेँ मेँ गोते खाता है तब लोग किनारे की सुरक्षित सतह से तमाशे को देखते रहते हैँ !
गहरे पानी मेँ डूबते को बचाने
कोयी बिरला ही छलाँग लगा कर मदद करने का साहस करता है ! -
- लोग देखते रहे, रोहित और रीना के इस अलग अलग आने और बैठने को -- ये कैसा दँपति है ?
"छोडो जी ...बडे लोगोँ की बडी बातेँ !!
गहरे पानी मेँ डूबते को बचाने
कोयी बिरला ही छलाँग लगा कर मदद करने का साहस करता है ! -
- लोग देखते रहे, रोहित और रीना के इस अलग अलग आने और बैठने को -- ये कैसा दँपति है ?
"छोडो जी ...बडे लोगोँ की बडी बातेँ !!
-- अजी जो भी होगा आ जायेगा सामने .
.आखिर " डाइवोर्स " और " प्रेग्नन्सी "
कितने दिन कोयी छिपा लेगा भला ?
दुनिया के सामने आ ही जायेगा जो भी हो रहा है ! " -
कितने दिन कोयी छिपा लेगा भला ?
दुनिया के सामने आ ही जायेगा जो भी हो रहा है ! " -
- लोग फुसफुसा रहे थे -
- और रोहित अनसुना कर के वहाँ से जल्दी ही घर की ओर , अपने सूने मगर आलीशान आशियाने की ओर चल पडा -
- और रोहित अनसुना कर के वहाँ से जल्दी ही घर की ओर , अपने सूने मगर आलीशान आशियाने की ओर चल पडा -
- एक मशहूर चित्रपट के हीरो की बीवी जो आजकल " इन्टीरीयर डेकोरेशन " का सफल व्यवसाय कर रही थी
उसीने रोहित का फ्लेट, अत्याधुनिक साज सज्ज्जा से सँवारा था और रोहित ने मुँहमाँगी कीमत चुका कर रीना को तोहफे मेँ पेश किया था उन दोनोँ के नये आशियाने को !
और आज ये क्या हुआ ?
इसी आशियाने को छोड कर रीना
अपने मैके के शानदार तिमँजिले ,
राजसी शानो शौकतवाले घर को चुनकर ,
रोहित को अकेले छोड कर चली गयी थी --
अब रोहित उसे कोर्ट मेँ ही मिलेगा -
उसीने रोहित का फ्लेट, अत्याधुनिक साज सज्ज्जा से सँवारा था और रोहित ने मुँहमाँगी कीमत चुका कर रीना को तोहफे मेँ पेश किया था उन दोनोँ के नये आशियाने को !
और आज ये क्या हुआ ?
इसी आशियाने को छोड कर रीना
अपने मैके के शानदार तिमँजिले ,
राजसी शानो शौकतवाले घर को चुनकर ,
रोहित को अकेले छोड कर चली गयी थी --
अब रोहित उसे कोर्ट मेँ ही मिलेगा -
- उसने भी फैसला कर ही लिया -
- दुस्वप्न की तरह सारी कार्यवाही निपट गयी ..................
उसके बाद --
- दुस्वप्न की तरह सारी कार्यवाही निपट गयी ..................
उसके बाद --
रीना ने एक अजीब प्रस्ताव रखा,
" रोहित क्या हम एक बार और साथ रहने का प्रयास करेँ ?
क्या खयाल है तुम्हारा ? "
और रोहित, हतप्रभ: उसका चेहरा विषाद के साथ देखता रह गया था -
" पागल ये लडकी हे या मैँ हूँ ?
फिर साथ रह का फिर वही लडाई झगडे ??
और रोज की यातना ?
क्या खयाल है तुम्हारा ? "
और रोहित, हतप्रभ: उसका चेहरा विषाद के साथ देखता रह गया था -
" पागल ये लडकी हे या मैँ हूँ ?
फिर साथ रह का फिर वही लडाई झगडे ??
और रोज की यातना ?
क्या उसके लिये रोहित तैयार था ? ? " -
- नहीँ --
उसने अपने इस चेप्टर का अँत किया था --
" रीना ! तुम मुझे समझ ही नहीँ पयी -
- नहीँ --
उसने अपने इस चेप्टर का अँत किया था --
" रीना ! तुम मुझे समझ ही नहीँ पयी -
- जो मेरा है वह सब तुम्हारा था -
- सिर्फ ५० लाख माँग कर तुमने मुझे सदा सदा के लिये खो दीया है -
- रोज रोज के लडाई झघडोँ से अच्छा है कि हम
अपनी अपनी ज़िँदगी अब अपने तरीकोँ से जीयेँ --
तुम्हेँ आज़ादी मुबारक हो ! "
इतना कह कर रोहित ,
रीना से लँबे डग भरता हुआ सदा के लिये दूर होता चल निकला --
भविष्य की ओर ,..........
रास्ता कहाँ पहुँचायेगा उसकी रोहित को भी खबर नहीँ थी --
आगे ...क्या होगा ?
अगले भाग मेँ रोहित की कथा शेष है : ~~
अपनी अपनी ज़िँदगी अब अपने तरीकोँ से जीयेँ --
तुम्हेँ आज़ादी मुबारक हो ! "
इतना कह कर रोहित ,
रीना से लँबे डग भरता हुआ सदा के लिये दूर होता चल निकला --
भविष्य की ओर ,..........
रास्ता कहाँ पहुँचायेगा उसकी रोहित को भी खबर नहीँ थी --
आगे ...क्या होगा ?
अगले भाग मेँ रोहित की कथा शेष है : ~~
4 comments:
अब क्या कहा जाए…अगली कड़ी की प्रतीक्षा है हमेशा की तरह… शायद रोहित को नई मंजिल तक पहुँचना हो…उसके भविष्य को हम भी देखना चाहेंगे।
जी हाँ दीव्याभ ...
अगली कडी जितनी त्वरित गति से लिक्ख पाऊँगी
आप के सामने आ जायेगी -
यह मेरा प्रथम प्रयास है जो सीधे ही मेरे ब्लोग पर लिख रही हूँ !--
wothout any previous written documents --
और एक राज़ की बात,बतला दूँ ?
~~~
सारे पात्रोँ के नाम बदल दीये गये हैँ ( जो कि लेखक का अधिकार है )
पर,......... ये एक "सत्य ~ कथा " है !
स्नेह सहित,
लावण्या
पढ़ते जा रहे हैं पूरे बहाव में...आप बस पेश करती चलें. अच्छा चल रहा है धारावाहिक. बधाई.
समीर भाई,
आप आगे के चेप्टर्स भी पढियेगा जुरुर ! :-)
स स्नेह आभार !
-- लावण्या
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