Friday, April 6, 2007
Some Rare B& W Images
poet Sree Narendra Sharma
for his marriage to Susheela Godiwala May 12 th 1947, Baombay, INDIA
An Old B/ & W pic of India's Legendry Songstress Sree Lata Mangesker ji
On 60th birth day of poet Late Pandit Narendra ji Sharma : Sitting in front row are :~~
Famous Hindi Poet Sree Hariwansh Rai " Bachchan ji " ( father of Sree Amitabh Bachchanji )
Dogree poetess Smt Padma Sachdev, Kum Lata Mangeshker ji, Smt Susheela Sharma & Late Smt. Tara Shah ( my mother in law )
Place : Bombay, INDIA
पीढी दर पीढी ....
2 - ब्याह
मैँ व दीपक - पीछे बडी ननदजी स्व.श्रीमती चारुमती रमेश मेहता,
दीसम्बर ९, १९७४
दीपक और लावण्या
..मेरे पापाजी के साथ, अँतिम बार, कन्या रुप मेँ, हमारे घर की गेलेरी मेँ खडे हुए - मैँ और पापाजी, पँडित नरेन्द्र शर्मा
मेरी खास सहेली, सुधा त्रिवेदी, नीली साडी मेँ, मैँ दुल्हन के भेस मेँ , वरमाला लिये और बडी बहन स्व. वासवी बकुल मोदी गुलाबी साडी मेँ,
दुल्हे राजा = दीपक, का स्वागत करतीँ हुईँ श्रीमती सुशीला नरेन्द्र शर्मा, राजेन् गुलाबदास गोदीवाला के साथ
९ नवम्बर, १९७४ दीपक और लावण्या के ब्याह के अवसर पर / साँताक्रुज,बम्बई, आर्य समाज मँदिर
मेरी खास सहेली, सुधा त्रिवेदी, नीली साडी मेँ, मैँ दुल्हन के भेस मेँ , वरमाला लिये और बडी बहन स्व. वासवी बकुल मोदी गुलाबी साडी मेँ,
यादोँ के झरोखोँ से : ~~
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चित्र मे अम्मा सुशीला, परितोष व मैँ भी हैँ
वो कोलेज के दिन:
हमेँ भी याद है वो कोलेज के दिन
हमेँ भी याद है वो कोलेज का केन्टीन,
वो लडकोँ का कोलेज के दरवाजे पे,
हमारा बेसब्री से इँतजार करना!
वो लहराती हुई ओढनी का, सरसरा के फिसलना!
और हमारा बदन को छुपाना -छिपाना !
किसी की निगाहोँ मेँ शोला भडकना,
किसी की सीटीयोँ से वो रँगत बदलना!
हमेँ भी याद आता है, वो गुजरा जमाना,
वो तेज तेज बारिश मेँ कपडोँ का चिपकना,
जुहू बीच की तनहायोँ मेँ वो मौजोँ का उछलना!
किसी सहेली की कोमल हथेली का पकडना !
वो खिलखिलाती हँसी से, दिल का बहलना -
और, थरथराते लब का वो जादू टोना !
वो साहिल के शिकवे, वो कश्ती के आँसू-
कहाँ किसका मिलना, किसका बिछडना!
वो माँ की दुआ, या पापा का लाड हम पे,
वो उनकी निशानी, ये आँखोँ मेँ पानी !
कहाँ हैँ वो नगमे, वो भोली सी बातेँ ?
जिन्हेँ हम कहा करते थे, "मीठी'ज़ बातेँ"
सपना हो गईँ हैँ वो बातेँ पुरानी,
कहानी मेँ अब है, "एक राजा, एक रानी "
( मीठी'ज़ बातेँ क्यूँकि मैँ मीठीबाई कोलिज, जुहूस्कीम,विले पार्ले मेँ जो कोलिज है वहाँ पढती थी )
---लावण्या जुलाई, २, २००१
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